जानें, हाईराइज में बालकनी को लेकर क्या हैं नियम जिनके उल्लंघन ने ली नंदिता की जान
फ्लैट आनर्स को इतनी राहत जरूर मिलनी चाहिए कि लोग अपने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बालकनी की ग्रिल व अन्य खतरे वाले स्थानों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर सकें।
गाजियाबाद [आयुष गंगवार]। देश की राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश की बड़ी टाउनशिप में शुमार क्रॉशिंग रिपब्लिक के सोसायटी फ्लैट के 12वें फ्लोर से गिरने के बाद 5 वर्षीय नंदिता की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। एनसीआर के इलाकों फरीदाबाद, गुरुग्राम, पलवल, सोनीपत, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में 20 लाख से अधिक फ्लैट्स का निर्माण हो चुका है और बाकी का निर्माण जारी है। वहीं, हैरानी की बात है कि इन शहरों में बन रहे के अपार्टमेंट्स में सेफ्टी नॉर्म्स फॉलो नहीं किए जा रहे हैं। यही वजह है कि अपार्टमेंट्स में आए दिन कुछ न कुछ घटनाएं होती रहती हैं। बिल्डिंग अथवा अपार्टमेंट्स से बच्चों के गिरने की छह से अधिक घटनाएं गाजियाबाद में ही हो चुकी हैं। ताजा मामला बृहस्पतिवार का जहां नंदिता ने बिल्डर्स की लापरवारी के चलते अपनी जान गंवा दी। जानकारों की मानें तो अक्सर बिल्डर निर्माण के दौरान सेफ्टी नॉर्म्स को नजरअंदाज कर देते हैं, जो बाद में किसी किसी हादसे की वजह बनती रहती है। अपार्टमेंट का निर्माण तभी शुरू होता है, जब उसका नक्शा पास होता है, लेकिन कई बिल्डर्स नक्शा पास कराने के लिए तरह-तरह की तिकड़म अपनाते हैं। ऐसे में नियमों का उल्लंघन भी करते हैं।
चार फीट से कम न हो ग्रिल
एनबीसीसी इंडिया लिमिटेड के मुताबिक, फ्लैटों में ग्रिल की ऊंचाई चार फीट से कम नहीं होनी चाहिए। साथ ही ग्रिल में लगने वाली रॉड के बीच की दूरी तीन इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए। नंदिता के परिजनों के मुताबिक उनकी बालकनी की ग्रिल करीब साढ़े तीन फीट ही है।
एक्ट में मिले राहत
अपार्टमेंट एक्ट के मुताबिक फ्लैट आनर्स आउटर स्ट्रक्चर में बदलाव नहीं कर सकते। एओए पदाधिकारी आलोक कुमार का कहना है कि एक्ट में संशोधन कर फ्लैट आनर्स को इतनी राहत जरूर मिलनी चाहिए कि लोग अपने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बालकनी की ग्रिल व अन्य खतरे वाले स्थानों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर सकें।
नहीं ढंक सकते बालकनी
एफएसओ कोतवाली सुशील कुमार का कहना है कि बालकनी रिफ्यूज एरिया में आती है। घर में आग लगने पर बालकनी का प्रयोग कर आग बुझाने में मदद मिलती है। अपार्टमेंट एक्ट में भी इसका जिक्र है।
बालकनी में एक मीटर की रेलिंग
अपार्टमेंट्स के फ्लैट्स की बालकनी में एक मीटर ऊंची रेलिंग होनी चाहिए. कई अपार्टमेंट्स में तो सेफ्टी नॉर्म्स के तहत इसे फॉलो किया जाता है. इतना ही नहीं, कुछ लोग अपने फ्लैट में बालकनी को और सुरक्षित बनाने के लिए उसे पूरी तरह ग्रिल से ढक देते हैं, ताकि किसी भी तरह से यह असुरक्षित नहीं रहे. हालांकि, कुछ लोग बालकनी की सेफ्टी को लेकर थोड़ी लापरवाही बरतते हैं. ऐसे में वहां कई बार घटनाएं हो जाती हैं. जानकारों का कहना है कि फ्लैट में रहनेवालों को भी अपनी ओर से सावधानी बरतने की जरूरत है.
ध्यान रखें ये बातें
- रूद्रांश बालकनी में खड़ी साइकिल पर चढ़ा था और मायरा कुर्सी पर, इसीलिए बालकनी में कोई भी चीज न रखें।
- कई बार लोग गमले रख देते हैं। घर में यदि छोटा बच्चा है तो गमले भी न रखे जाएं।
- बालकनी का गेट हमेशा बंद रखें।
- बालकनी की ऊंटाई पांच फीट तक होनी चाहिए। यदि बिल्डर ने कम ऊंचाई रखी है तो इसकी शिकायत करें।
बालकनी क्यों बन रही हैं बच्चों का काल
21 मार्च 2018 को राजनगर एक्सटेंशन की केडब्ल्यू सृष्टि सोसायटी में रुद्रांश (5) बालकनी में खड़ी साइकिल पर चढ़कर नीचे झांकने की कोशिश कर रहा था। नियंत्रण बिगड़ने के कारण वह पांचवी मंजिल से गिर गया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
21 फरवरी 2018 अहिंसा खंड-एक स्थित जयपुरिया सनराइज ग्रीन सोसायटी की 10वीं मंजिल स्थित फ्लैट की बालकनी से मायरा (4) बालकनी में रखी कुर्सी पर चढ़कर झांकते समय गिर गई और उसकी भी मौके पर ही मौत हो गई।