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EXCLUSIVE: कांग्रेस-AAP के बीच गठबंधन के दरवाजे पूरी तरह नहीं हुए बंद !

दिल्ली के भाजपा नेताओं का कहना है कि AAP व कांग्रेस के बीच मत विभाजन के सहारे चुनावी समर में उतरने के बजाय भाजपा जनाधार बढ़ाने की कोशिश करेगी।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 06 Mar 2019 11:20 AM (IST)Updated: Wed, 06 Mar 2019 11:30 AM (IST)
EXCLUSIVE: कांग्रेस-AAP के बीच गठबंधन के दरवाजे पूरी तरह नहीं हुए बंद !
EXCLUSIVE: कांग्रेस-AAP के बीच गठबंधन के दरवाजे पूरी तरह नहीं हुए बंद !

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) से गठबंधन की संभावनाओं को खारिज कर दिया है, लेकिन भाजपा नेताओं को इस पर एतबार नहीं है। उन्हें लगता है कि दोनों पार्टियों में आगे भी गठबंधन की कोशिश जारी रहेगी। इसे ध्यान में रखकर लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाई है। AAP व कांग्रेस के बीच मत विभाजन के सहारे चुनावी समर में उतरने के बजाय भाजपा जनाधार बढ़ाने की कोशिश करेगी। इसके लिए उसने 50 फीसद से ज्यादा मत हासिल करने का लक्ष्य रखा है।

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AAP की कांग्रेस से चुनावी गठबंधन की कोशिश को लेकर भाजपा नेताओं का कहना है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की विश्वसनीयता खत्म हो गई है, क्योंकि उन्होंने लोगों से जो चुनावी वादे किए थे वे पूरे नहीं किए हैं। वैसे कांग्रेस ने AAP से गठबंधन करने से इनकार कर दिया है, लेकिन संभव है कि आने वाले दिनों में दोनों दल अपनी सियासी जमीन बचाने के लिए मिलकर चुनाव लड़ें। ऐसे में उनका सामना करने के लिए पार्टी पूरी तरह से तैयार है।

भाजपा को पिछले लोकसभा चुनाव में 46.39 फीसद मत मिले थे, जबकि कांग्रेस को 15.2 फीसद और AAP को 33.1 फीसद मत हासिल हुए थे। यदि AAP व कांग्रेस के बीच गठबंधन होता है और दोनों पिछला प्रदर्शन दोहराने में कामयाब होती है तो निश्चित रूप से भाजपा की विजयी रथ की राह मुश्किल हो जाएगी।

इस स्थिति से पार पाने के लिए भाजपा को अपना जनाधार बढ़ाना होगा। इस सियासी हकीकत को ध्यान में रखते हुए पार्टी नेतृत्व ने कम से कम 51 फीसद मत हासिल करने का लक्ष्य कार्यकर्ताओं के सामने रखा है। इसी के अनुरूप तैयारी की जा रही है।

भाजपा नेताओं को लगता है कि वर्तमान सियासी हालात में मिशन 51 को पूरा करना मुमकिन है। उनका कहना है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के साथ ही केजरीवाल के प्रति एक वर्ग का रुझान था। अब स्थिति बदल गई है। जनकल्याणकारी योजनाओं व उपलब्धियों और देशहित में किए गए काम से मोदी की लोकप्रियता बनी हुई है। दूसरी ओर, केजरीवाल सरकार प्रत्येक मोर्चे पर विफल रही है, जिससे उसका बड़ा वोट बैंक अब उससे दूर चला गया है।

वहीं गुलाम कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा विस्फोट के बाद पाकिस्तान में घुसकर एयर स्ट्राइक करने से मोदी सशक्त नेता के रूप में उभरकर सामने आए हैं। उनके प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है जिसका लाभ भाजपा को होगा, इसलिए कार्यकर्ता मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए परिश्रम कर रहे हैं।

बता दें कि मंगवलार को राहुल गांधी के साथ बैठक में यह फैसला हुआ कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस दिल्ली में विपक्षी गठबंधन के रथ पर सवार नहीं होगी। कांग्रेस ने आप से चुनावी तालमेल नहीं करने का एलान कर दिल्ली की सत्तारूढ़ पार्टी की गठबंधन की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। इन पार्टियों में पुरानी गहरी कटुता की वजह से चुनावी तालमेल सिरे नहीं चढ़ पाया।

भाजपा की घेराबंदी के लिए विपक्षी एकता की वकालत कर रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के इस रुख पर उसे आड़े हाथ लिया है। केजरीवाल ने कांग्रेस पर भाजपा से अंदरुनी साठगांठ का आरोप लगाया। आप और कांग्रेस में सियासी दोस्ती की गुंजाइश नहीं होने का फायदा दिल्ली में भाजपा को मिलेगा।

भाजपा को यह चुनावी फायदा लेने से रोकने की कोशिश के तहत ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को शीला दीक्षित समेत दिल्ली के दस वरिष्ठ पार्टी नेताओं के साथ दो घंटे चर्चा की। इसमें इन नेताओं को तालमेल के लिए राजी करने का प्रयास किया, मगर इन नेताओं में आप से गठबंधन के खिलाफ लगभग आम राय दिखी। हाईकमान के साथ बैठक खत्म होने के बाद शीला दीक्षित ने कहा कि आप से तालमेल नहीं करने के रुख से राहुल गांधी भी सहमत हो गए हैं।

कांग्रेस दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। सूत्रों के अनुसार राहुल ने सभी नेताओं का रुख जानने के बाद कहा कि दिल्ली की पार्टी इकाई जब सहमत नहीं है तो जबरन गठबंधन का फैसला नहीं लिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार सूबे के नेताओं ने राहुल से कहा कि दिल्ली ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को बदनाम कर सियासी नुकसान पहुंचाने में केजरीवाल की बड़ी भूमिका रही है।

ऐसे में तालमेल होता भी है तो दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं व नेताओं के बीच कड़वाहट को भुलाकर साथ काम करना आसान नहीं होगा। वैसे, दिल्ली कांग्रेस शुरू से आप के साथ तालमेल की हिमायती नहीं थी, मगर राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी वोटों का बंटवारा रोकने के लिए शरद पवार और चंद्रबाबू नायडु जैसे नेताओं ने राहुल पर इसके लिए दबाव डाला। इसीलिए राहुल ने प्रभारी पीसी चाको के साथ शीला दीक्षित, दोनों कार्यकारी अध्यक्षों राजेश लिलोठिया और हारून युसूफ के अलावा पांच पूर्व प्रदेश अध्यक्षों अजय माकन, योगानंद शास्त्री, सुभाष चोपड़ा, जेपी अग्रवाल और लवली को तालमेल की गुंजाइश तलाशने पर निर्णायक चर्चा के लिए बुलाया था।

राहुल के आगे गिड़गिड़ा रहे केजरीवाल : मनोज तिवारी
भाजपा का कहना है कि कांग्रेस व आप में गठबंधन होने या न होने का उसके ऊपर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि प्रधानमंत्री का देशवासियों के साथ गठबंधन है। भाजपा फिर से सातों सीटों पर जीत हासिल करेगी। दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि विधानसभा चुनाव में झूठे वादे करके 67 सीटें हासिल करने वाले केजरीवाल की हकीकत लोग जान चुके हैं। संभावित हार को देखकर वह गठबंधन के लिए राहुल गांधी व शीला दीक्षित के आगे गिड़गिड़ा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने अपने बच्चों की कसम खाई थी कि कांग्रेस से किसी भी हालात में गठबंधन नहीं होगा । आज इसके विपरीत वह कांग्रेस के आगे कटोरा लेकर खड़े हैं। उन्होंने कहा कि आप कांग्रेस की बी टीम है। उन्होंने कहा कि अन्ना के आंदोलन से जन्म लेनी वाली पार्टी ने लोगों को भ्रमित करने के लिए अपना नाम आम आदमी पार्टी रखा। अब वह आम आदमी का दुश्मन बन गई है।

नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि पिछले छह महीने में दोनों पार्टियां गठबंधन के लिए छह बार कोशिश कर चुकी हैं। दोनों ही गैर-जिम्मेदार पार्टी हैं। भाजपा कार्यकर्ता 51 फीसद वोट हासिल करने के लिए मेहनत कर रहे हैं। दक्षिणी दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी ने कहा कि आप व कांग्रेस के गठबधंन से देश के लोकतंत्र को खतरा है। केजरीवाल ने साबित कर दिया की स्वार्थ पूर्ति व सत्ता के लिए वो किसी भी हद तक गिर सकते हैं।


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