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पढ़िए- टीम-11 के युवाओं की कहानी, लोगों की मदद के लिए बेच दिए अपने लैपटॉप और गिटार

टीम में शामिल सदस्यों की बात करें तो दिल्ली-एनसीआर से अमन बंका आदित्य दूबे दो कांधारी बहनें-अशीर और असीस कांधारी भबरीन कांधारी शामिल हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 09:23 AM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 10:03 AM (IST)
पढ़िए- टीम-11 के युवाओं की कहानी, लोगों की मदद के लिए बेच दिए अपने लैपटॉप और गिटार
पढ़िए- टीम-11 के युवाओं की कहानी, लोगों की मदद के लिए बेच दिए अपने लैपटॉप और गिटार

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। लॉकडाउन लागू हुआ तो सड़क पर नंगे पांव चलते प्रवासी मजदूरों की पीड़ा ने दिल्ली-एनसीआर के युवाओं को झकझोर कर रख दिया। खाने की जद्दोजहद में लगे गरीबों की दुखभरी कहानियों ने सात युवाओं को मदद के लिए प्रेरित किया। नतीजतन, किसी ने अपना लैपटॉप बेचा तो किसी ने वाद्य यंत्र। कई ने पॉकेट मनी से भूखों को खाना खिलाना व प्रवासी मजदूरों के लिए चप्पल खरीदनी शुरू की। इस तरह शुरू हुआ मदद का सिलसिला लॉकडाउन खत्म होने के बाद कोरोना संक्रमितों के लिए एंबुलेंस व बेड के इंतजाम से लेकर प्लाज्मा की व्यवस्था तक पहुंच चुका है। अब इसमें दिल्ली-एनसीआर के ही नहीं बल्कि मुंबई, चंडीगढ़, बेंगलुरु के युवा भी शामिल हो गए हैं।

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यूं शुरू हुआ सफर

लॉ छात्र अमन बंका कहते हैं कि जब लॉकडाउन लागू हुआ तो सोशल मीडिया पर मदद के लिए कई ने पोस्ट लिखा। मैंने आदित्य दुबे के साथ मिलकर मदद भी की। इसके बाद इनके सोशल मीडिया अकाउंट पर मदद संबंधी पोस्ट बढ़ गए। पैसे की जरूरत महसूस हुई तो मैंने अपना लैपटॉप और आदित्य ने गिटार बेच दिया। डिफेंस कॉलोनी निवासी कांधारी बहनों व उनकी मां का भी हमें सहयोग मिला। कांधारी बहनों ने अपनी पॉकेट मनी दी। जब थोड़े पैसे इक्टठे हो गए तो सड़कों पर नंगे पांव अपने घर की तरफ जाते समूहों में 15 हजार चप्पलें बांटी। उनके लिए खाने के पैकेट का इंतजाम किया। हमने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया। अमन कहते हैं कि शुरुआती दिनों में महज कुछ फोन आते थे, लेकिन हफ्ते भर बाद ही यह फोन कॉल्स हजार का आंकड़ा पार कर गई। मार्च से मई के आखिरी हफ्ते तक आने वाले फोन कॉल्स राशन किट या फिर आर्थिक मदद संबंधी होते थे।

प्लाज्मा का इंतजाम

अमन की मानें तो लॉकडाउन के बाद हेल्पलाइन नंबर पर प्रतिदिन 200 के करीब कॉल आती हैं। लोग कोरोना संक्रमितों के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था, अस्पताल में बेड के इंतजाम या प्लाज्मा की मदद मांगते हैं। अमन कहते हैं कि दरअसल, जब किसी की तबियत खराब होती है तो अक्सर उसे पता नहीं होता कि किससे मदद मांगी जाए। लोग चिंतित हो जाते हैं। हम मदद मांगने वालों को संबंधी प्रशासन तक पहुंचाते हैं और मॉनिटरिंग भी करते हैं। हम स्थानीय प्रशासन से लेकर नेताओं तक की मदद लेते हैं। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, विधायक दिलीप पांडे और भाजपा नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा भी मदद का जरिया बने हैं।

इस तरह पहुंचाई मदद

  • दिल्ली के विभिन्न इलाकों में राशन किट पहुंचाया।
  • नगर निगम अस्पतालों में पीपीई किट, दस्ताने, मास्क पहुंचाया।-दिल्ली पुलिसकर्मियों को मास्क वितरित किया गया।
  • बिहार के समस्तीपुर में दस हजार मास्क भिजवाया गया।
  • नेपाल के एक गांव में भी कई लोग को राशन किट भेजा गया।
  • एंबुलेंस व प्लाज्मा की व्यवस्था अभी भी लोगों के लिए की जा रही है।

टीम में शामिल सदस्यों की बात करें तो दिल्ली-एनसीआर से अमन बंका, आदित्य दूबे, दो कांधारी बहनें-अशीर और असीस कांधारी, भबरीन कांधारी, नम्रता सूद, रितिका दुबे (गुरुग्राम), आलीग आमिर, प्रो. सीमा शामिल हैं तो वहीं अनुज बंका (बेंगलुरु), पूजा मेहता (मुंबई) शामिल है।


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