Millionaire Gurbaksh Rai: जानिये- कौन हैं करोड़पति अप्रवासी भारतीय गुरुबख्श, जो लंदन में हैं कौड़ी-कौड़ी को मोहताज
Millionaire Gurbaksh Rai अधिवक्ता के माध्यम से याचिका दायर कर 1.50 करोड़ रुपये उनके लंदन की एसबीआइ शाखा में ट्रांसफर करने की मांग की गई है ताकि उनका इलाज कराया जा सके। दरअसल गुरबख्श के इलाज में काफी पैसा खर्च हो चुका है अब इलाज के लिए पैसा नहीं है।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दिल्ली के संसद मार्ग स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआइ) की अप्रवासी भारतीयों की शाखा में एक अप्रवासी भारतीय के करोड़ों रुपये जमा हैं, लेकिन वह लंदन में इलाज के लिए कौड़ी-कौड़ी को मोहताज हैं। लंबे समय से बीमार चल रहे 89 वर्षीय गुरबख्श राय कानूनी पेच के कारण अपने खाते से कुछ रकम लंदन स्थित खाते में डालने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं। गुरबख्श ने पहले बेटी अलका मरवाहा के माध्यम से पटियाला हाउस कोर्ट के सीनियर सिविल जज के पास निकासी की अनुमति की मांग को लेकर आवेदन दाखिल किया। हालांकि, क्षेत्राधिकार का हवाला देकर अदालत ने उन्हें राहत देने से इन्कार कर दिया। अब उन्होंने बेटी अलका के माध्यम से पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर कर रुपये निकासी की अनुमति देने की गुहार लगाई है। बृहस्पतिवार को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सुनैना शर्मा की अदालत ने मामले में सुनवाई करते हुए एसबीआइ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 31 मई को होगी।
अधिवक्ता तरुण राणा के माध्यम से याचिका दायर कर 1.50 करोड़ रुपये उनके लंदन की एसबीआइ शाखा में ट्रांसफर करने की मांग की गई है, ताकि उनका इलाज कराया जा सके। उन्होंने कहा कि गुरबख्श के इलाज में काफी पैसा खर्च हो चुका है और अब उनके पास विदेश में इलाज के लिए पैसा नहीं है। मूलरूप से पंजाब के रहने वाले गुरबख्श की चार बेटियां हैं और सभी लंदन में रहती हैं। याचिका के अनुसार गुरबख्श ने कई सालों में 1.50 करोड़ रुपये एसबीआइ की अप्रवासी भारतीय शाखा में जमा किए। वर्ष 2019 में उनकी तबीयत खराब हुई तो उन्हें ब्रिटेन के किंग्सटन हास्पिटल में भर्ती कराया गया और उनकी स्मृति का मूल्यांकन किया गया।
ब्रिटेन के पब्लिक गार्जियन कार्यालय ने मार्च 2019 में अलका को पत्र जारी किया कि वे यह जांच करेंगे कि अब गुरबख्श अपने फैसले लेने में सक्षम हैं या नहीं। मानसिक क्षमता अधिनियम-2005 के तहत लंदन की कोर्ट आफ प्रोटेक्शन के आदेश पर गुरबख्श की जांच की गई। अदालत ने जांच के बाद पाया कि गुरबख्श मानसिक तौर पर फैसला लेने के लिए अक्षम हैं और उनके स्थान पर उनकी बेटी अलका मारवाह व इवा लाई को संपत्ति व आर्थिक मामलों का फैसला लेने का अधिकार दिया जाता है।
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अदालत से मिले अधिकार के तहत अलका ने संसद मार्ग स्थित एसबीआइ अप्रवासी भारतीय शाखा से 1.50 करोड़ रुपये उनके पिता के लंदन स्थित एसबीआइ शाखा में ट्रांसफर करने का अनुरोध किया। इसपर एसबीआइ की शाखा ने अलका से कहा कि विदेशी न्यायालय के आदेश के मामले में भारतीय न्यायालय से आदेश प्राप्त किया जाना चाहिए।
वहीं, अधिवक्ता तरुण राणा का कहना है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम-1872 के नियम-82 के तहत इंग्लैंड और आयरलैंड की अदालतों द्वारा जारी किए गए आदेश भारत में वैसे ही मान्य होंगे, जैसे भारत की अदालत द्वारा दिए गए हों। ऐसे में बैंक द्वारा आदेश का अनुपालन नहीं करना अनुचित है।