कोरोना की चेन तोड़ने में मददगार साबित होगी सार्थक की बनाई टच लेस डोर बेल, जानिए खासियत
शालीमार बाग स्थित माडर्न पब्लिक स्कूल के कक्षा 11वीं के छात्र सार्थक जैन ने कोरोना वायरस की चेन तोड़ने के उद्देश्य से टचलेस डोरबेल डिजाइन की है।
नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। पूरा देश आज कोरोना वायरस बीमारी से जंग लड़ रहा है। इसी कड़ी में शालीमार बाग स्थित माडर्न पब्लिक स्कूल के कक्षा 11वीं के छात्र सार्थक जैन ने कोरोना वायरस की चेन तोड़ने के उद्देश्य से टचलेस डोरबेल डिजाइन की है। टचलेस डोरबेल घर के प्रमुख दरवाजे के बाहर लगी वो घंटी जिसे आप बिना छुए ही बजा सकते हैं।
ऐसे करता है काम
सार्थक बताते है कि इस डोरबेल में अल्ट्रासोनिक सेंसर है। सेंसर 30 से 50 सेंटीमीटर की दूरी के भीतर किसी व्यक्ति या वस्तु की मौजूदगी को डिटेक्ट कर सकता है और घंटी को छूए बिना बजर से 'बीप' ध्वनि सुनाई पड़ती है। सार्थक बताते है कि कोरोना महामारी के चलते उन्होंने अपने आसपास के घरों या बालकनियों में लोगों को दिनभर मास्क पहने हुए देखा है। इसको देखते हुए वह उन सभी संभावित तरीकों पर चिंतन करने के लिए मजबूर हो गए, जिनसे उनके घर में वायरस आ सकता है। उन्होंने बताया कि एक रोज वह यह सोचकर चिंतित हो गए कि उनके घर में दरवाजे की घंटी के जरिए भी वायरस आ सकता है।
इसीलिए उन्होंने एक स्वचलित दरवाजे की घंटी डिजाइन करने का फैसला किया ताकि वह इस वायरस की चेन तोड़ने में किसी तरह से लोगो की मदद कर सकें। इस घंटी में सेंसर लगा है, जब कोई व्यक्ति घंटी के पास जाकर उसके चारों ओर हाथ घुमाता है तो तो अपने ही स्पर्श की आवश्यकता के बिना घंटी बज जाती है। सार्थक बताते है कि इसे बनाने में उन्हें दो दिन का समय लगा और इसको बनाने के लिए उन्होंने अपने दोस्तों से कुछ सामग्री उधार भी ली और बाकि की व्यवस्था खुद की। वहीं, मॉडर्न पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या अल्का कपूर ने सार्थक की इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें गर्व है कि उनके विद्यालय के छात्र लगातार नई चुनौतियों का सामना करने के लिए ऐसे ही प्रयास करते रहते हैं।
सेंसर घंटी कैसे काम करती है-
घंटी से 30-50 सेंटीमीटर की दूरी पर किसी भी व्यक्ति या वस्तु के खड़े होने पर दरवाजे की घंटी के अंदर लगा सेंसर सक्रिय हो जाता है। जिसके बाद यह बीप की आवाज करता है। जिससे घर के अंदर रहने वाले व्यक्ति को पता चल जाता है कि दरवाजे पर कोई है।