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जानिए कैसे दिल्‍ली में थमी कोरोना की रफ्तार, सरकार ने भगाया डर अब दिख रहा लोगों का विश्वास

Delhi Corona दिल्‍ली में कोरोना की रफ्तार थम चुकी है। गृहमंत्री अमित शाह की निगरानी के बाद पिछले एक महीने में यहां की तस्वीर तेजी से बदली है। अब संक्रमण पर लगाम लग चुका है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 19 Jul 2020 07:28 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jul 2020 07:06 AM (IST)
जानिए कैसे दिल्‍ली में थमी कोरोना की रफ्तार, सरकार ने भगाया डर अब दिख रहा लोगों का विश्वास
जानिए कैसे दिल्‍ली में थमी कोरोना की रफ्तार, सरकार ने भगाया डर अब दिख रहा लोगों का विश्वास

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश के कुछ हिस्सों में जब कोरोना तेजी से अपना पंख फैलाने लगा है तो दिल्ली-एनसीआर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की निगरानी में बना तंत्र एक उदाहरण पेश कर रहा है। यह सवाल भी खड़े कर रहा है कि क्या हर प्रभावित राज्य में दिल्ली की तरह ही केंद्र सरकार को सक्रिय हस्तक्षेप करना चाहिए। पिछले एक महीने में जिस तरह दिल्ली में कोरोना नियंत्रित हुआ है उसे देखते हुए शायद राज्य भी केंद्र के हस्तक्षेप से सहमत हो जाएं।

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एक महीने पहले तीन से चार हजार संक्रमण के मामले आ रहे थे सामने

एक महीने पहले तक रोजाना साढ़े तीन-चार हजार संक्रमण की सीमा पर पहुंची दिल्ली में अब यह आधे से भी कम है। यह माना जाने लगा है कि राजधानी दिल्ली सबसे पहले कोरोना पर प्रभावी लगाम लगाने वाले कुछ राज्यों में शुमार हो सकती है।

पिछले एक सप्‍ताह के चार्ट बता रहे कोरोना संक्रमण में  कमी है

पिछले एक सप्ताह में दिल्ली के कोरोना चार्ट पर नजर डाली जाए तो सक्रिय संक्रमितों की संख्या 20 हजार के आसपास ही स्थिर है। मौत की संख्या में तेजी से कमी आई है और ठीक होने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि दिल्ली के लोगों में यह भरोसा पैदा होने लगा है कि स्थिति काबू में है। अस्पतालों की मनमानी पर नियंत्रण है और स्थिति खराब हुई तो अस्पताल में बेड मिल सकते हैं। यह एक सवा महीने पहले की स्थिति से बिल्कुल जुदा है जब यह आशंका फैला दी गई थी कि जुलाई के अंत तक पांच लाख से ज्यादा संक्रमित होंगे।

दोनों सरकार की सहभागिता से संभली स्‍थिति

जाहिर है कि पूरी स्थिति संभालने में केंद्र और राज्य दोनों की सहभागिता होती है, लेकिन स्थिति में परिवर्तन तब दिखा जब 14 जून को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कुशल प्रशासक की तरह पहली बार केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार और एमसीडी को साथ लेकर एक रणनीति बनाई। 14 जून को ही नीति आयोग के वीके पाल की अध्यक्षता में एक कमेटी का भी गठन किया। स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ साथ रेल मंत्रालय, सेना, पैरा मिलिट्री, समाजसेवी संस्थाएं सबको जोड़ा और यह सुनिश्चित किया कि बेड की व्यवस्था भी हो और सही इलाज भी मिले।

बदल गई थी 14 जून के बाद स्‍थिति

14 जून तक जहां दिल्ली में कोरोना के लिए 9937 बेड थे वहीं आइटीबीपी, रेल और सेना की मदद से एक महीने के अंदर 30 हजार अन्य बेड का इंतजाम किया गया। बात सिर्फ यहीं नहीं छोड़ी गई, बल्कि केंद्रीय गृहमंत्रालय ने यह आदेश भी दिया कि दिल्ली में हर कोविड बेड को सीसीटीवी का निगरानी में लाया जाए। इससे मरीजों की देखभाल में तो बदलाव आया ही, बेड की उपलब्धता को लेकर भी संशय खत्म हो गया। यह बहुत बड़ा कदम था जिसने दिल्ली वासियों को राहत दी।

ये तीन कारण भी बने संक्रमण में कमी के कारण 

इसी क्रम में निजी अस्पतालों की ओर से वसूले जा रहे फीस पर लगाम लगाकर उसका रेट तय किया। पिछले एक महीने में दिल्ली में जिस तरह कोरोना टेस्ट, कांट्रेक्ट ट्रेसिंग और कंटेनमेंट जोन की बेहतर व्यवस्था अपनाई गई, उसे दूसरे राज्यों मे भी अपनाया जाना जरूरी है। केंद्र की निगरानी से पहले दिल्ली में रोजाना लगभग 2800 टेस्ट किए जा रहे थे। अब वह रोजोना बढ़कर लगभग 20 हजार हो गया है।

होम आइसोलेशन की रणनीति में बदलाव

होम आइसोलेशन की रणनीति में बदलाव, दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर पूरे एनसीआर के लिए कामन नीति बनाने, आवश्यक सामग्री की सप्लाई सुनिश्चित करने के साथ मृतकों का सम्मानपूर्वक दाह संस्कार किए जाने के लिए समुचित व्यवस्था और निगरानी ने फिलहाल दिल्लीवासियों मे विश्वास का संचार किया है। कोरोना पर लगाम के लिए पूरे देश में इसी विश्वास की जरूरत है।

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