इस सीट पर दिलचस्प जंग, जीते तो बल्ले-बल्ले, हारे तो खतरे में पड़ सकता है अध्यक्ष पद !
शीला दीक्षित के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने इस सीट पर रोड शो कर धमक जमा दी है। उधर अपने प्रदेश अध्यक्ष की प्रतिष्ठा बचाने के लिए भाजपा ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।
नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव में ऐसा संयोग कम ही होता है कि दो प्रमुख पार्टियों के दिग्गज एक ही मैदान में आमने-सामने उतर आएं, लेकिन राजधानी की उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट पर इस वर्ष यह संयोग बना है। भाजपा ने जहां अपने मौजूदा सांसद और प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को यहां से उतारा है तो कांग्रेस ने भी काफी मंथन के बाद अपनी पार्टी की प्रदेश प्रमुख शीला दीक्षित को उनसे दो-दो हाथ करने के लिए इसी सीट पर भेज दिया है। इस तरह से दिल्ली की दो प्रमुख पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष आमने-सामने आ गए हैं।
जाहिर है कि लगातार 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित और निगम चुनाव में जीत का सेहरा सिर बांधे मनोज तिवारी के लिए यह मुकाबला सिर्फ सांसद बनने का नहीं है, बल्कि प्रदेश अध्यक्ष पद की प्रतिष्ठा बचाने का भी है। इस चुनाव के एक साल के भीतर दिल्ली में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में दोनों पार्टियां चाहेंगी कि जीते हुए प्रदेश प्रमुख के साथ ही विधानसभा चुनाव में उतरें।
ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि दोनों में जो भी हारेगा, उसे प्रदेश अध्यक्ष पद की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी। हारे गए प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में कोई भी पार्टी विधानसभा चुनाव में उतरने का जोखिम मोल नहीं लेगी। यही वजह है कि दोनों तरफ से धुआंधार प्रचार चल रहा है।
81 वर्षीय शीला दीक्षित के लिए भले ही पदयात्रा मुश्किल हो, लेकिन उनके मैदान में उतरने से कार्यकर्ताओं में जोश का संचार हुआ है। शीला दीक्षित की सभाएं सीमित हो रही हैं। इसकी क्षतिपूर्ति उनके बेटे और बहू करने में लगे हुए हैं। बेटे संदीप दीक्षित दो बार सांसद रह चुके हैं। उन्हें चुनाव का अच्छा अनुभव है। इसका लाभ उन्हें मिल रहा है।
वहीं शीला दीक्षित के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने इस सीट पर रोड शो कर धमक जमा दी है। उधर, अपने प्रदेश अध्यक्ष की प्रतिष्ठा बचाने के लिए भाजपा ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। मनोज तिवारी के लिए जहां राजनाथ सिंह जनसभा कर चुके हैं।
वहीं केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह भी यहां कई बैठकें कर चुके हैं। मनोज तिवारी के लिए कई भोजपुरी कलाकार के साथ हरियाणवी कलाकार सपना चौधरी की भी सभाएं हो चुकी हैं। शीला दीक्षित जहां अपने कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों की दुहाई दे रही हैं।
वहीं मनोज तिवारी की तरफ से सिग्नेचर ब्रिज, मेट्रो और केंद्रीय विद्यालय लाने का श्रेय लिया जा रहा है। चुनाव में इन दोनों में किसका पलड़ा भारी रहेगा यह तो 23 मई को ही पता चल पाएगा, लेकिन राजधानी का सबसे पिछड़ा इलाका दो दिग्गजों के मुकाबले का गवाह जरूर बन गया है।
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