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Kisan Andolan: कोरोना के 'सुपर स्प्रेडर' बन सकते हैं दिल्ली-हरियाणा और यूपी बॉर्डर पर जुटे किसान

Kisan Andolan जहां एक ओर कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार एक बार फिर बढ़ रही है और आंदोलन स्थल पर इसको लेकर पूरी तरह से लापरवाही बरती जा रही है। कोरोना से बचाव के लिए सरकार व प्रशासन की बात सुनने तक तैयार नहीं हैं किसान आंदोलनकारी।

By Jp YadavEdited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 09:53 AM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 11:23 AM (IST)
आंदोलन स्थल पर डटे प्रदर्शनकारी कोरोना के प्रति उदासीनता बरत रहे हैं।

नई दिल्ली/सोनीपत/गाजियाबाद [सोनू राणा/संजय निधि/अवनीश मिश्र]। तीनों केंद्रीय कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली-एनसीआर के चारों बॉर्डर (टीकरी, सिंघु, शाहजहांपुर और गाजीपुर) पर चल रहा किसानों का प्रदर्शन सोमवार को 130वें दिन में प्रवेश कर गया है। इस बीच चारों बॉर्डर पर किसान जमा और अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। इस बीच कृषि कानूनों के विरोध में चारों बॉर्डर पर चल रहा आंदोलन कोरोना संक्रमण को बढ़ावा दे सकता है। जहां एक ओर कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार एक बार फिर बढ़ रही है और आंदोलन स्थल पर इसको लेकर पूरी तरह से लापरवाही बरती जा रही है। कोरोना से बचाव के लिए सरकार व प्रशासन टीकाकरण पर जोर दे रहा है, लेकिन आंदोलन स्थल पर डटे प्रदर्शनकारी इसके प्रति उदासीनता बरत रहे हैं।

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कोरोना का टीका भी नहीं लगवा रहे प्रदर्शनकारी

सोनीपत जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अनुरोध के बावजूद कुंडली बॉर्डर के आंदोलन स्थल को छोड़कर कहीं भी आंदोलनकारी कोरोना का टीका नहीं लगवा रहे हैं, जबकि आंदोलन स्थल पर बुजुर्ग व 45 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों की संख्या ज्यादा है। कुंडली, सिंघु, टीकरी और यूपी गेट पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी रोड जाम करके बैठे हैं।

भीड़ में बढ़ा कोरोना का खतरा

देश व प्रदेश में भी कोरोना संक्रमण की रफ्तार एक बार फिर से बढ़ गई है और ऐसे में एक जगह इतनी भीड़ एकत्रित होने से कोरोना संक्रमण का खतरा भी बढ़ रहा है। कोरोना से बचाव के लिए प्रशासन की ओर से आंदोलनकारियों को टीका लगवाने का अनुरोध किया जा रहा है और आंदोलन स्थल पर इसके लिए कैंप भी लगाए गए हैं, लेकिन आंदोलनकारी इसके प्रति उदासीनता बरत रहे हैं। कुंडली बॉर्डर पर पिछले 15 दिनों में यहां लगे कैंप में मात्र 490 आंदोलनकारियों ने टीकाकरण कराया है।

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प्रशासन की अपील टीका लगवाने लोग आगे आएं

बढ़खालासा सीएचसी की एसएमओ डॉ. अवनीता कौशिक के अनुसार आंदोलन स्थल पर दो कैंप लगे हैं, जिसमें रोजाना करीब 30 से 35 आंदोलनकारियों को टीका लगाया जा रहा है। हालांकि आंदोलन स्थल पर फिलहाल 4 से 5 हजार लोगों की भीड़ है और इसके अनुसार बहुत ही कम लोग टीकाकरण को आगे आ रहे हैं।

टीकरी बॉर्डर की स्थिति ज्यादा गंभीर

आंदोलनकारियों की सबसे अधिक भीड़ टीकरी बॉर्डर पर है। अनुमान के मुताबिक यहां 10 से 12 हजार की संख्या में आंदोलनकारी बैठे हैं, लेकिन टीकाकरण के लिए कोई भी आगे नहीं आ रहे हैं। बॉर्डर पर बैठे आंदोलनकारियों में लगभग सभी की उम्र 45 वर्ष से अधिक और इनमें से 75 फीसदी से अधिक संख्या 60 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग की ही है। बावजूद इसके यहां अब तक एक भी आंदोलनकारी ने टीका नहीं लगवाया है, जबकि स्वास्थ्य विभाग की ओर से यहां पर 18 मार्च से ही दो कैंप लगाए गए हैं।

रोजाना 20 फीसद आंदोलनकारी मिल रहे बुखार से पीड़ित

कुंडली के आंदोलन स्थल पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगाए गए कैंप में रोजाना करीब 100 मरीज आ रहे हैं। इनमें 20 से 25 मरीज बुखार से पीड़ित और इतने ही मरीज सर्दी-जुखाम के मिलते हैं, लेकिन अनुरोध के बाद भी ये कोरोना जांच नहीं करवा रहे हैं। यही नहीं, टीकरी, सिंघु या यूपी गेट पर भी बैठे आंदोलनकारी कोरोना की जांच नहीं करवाते हैं।

यूपी बॉर्डर पर कोरोना की जांच कराने को तैयार नहीं प्रदर्शनकारी

वहीं, गाजियाबाद के सीएमओ डॉ. एनके गुप्ता ने बताया कि कोरोना जांच के लिए चिकित्सकों की टीम रोज एंटीजन किट एवं आरटी-पीसीआर सैंपल लेने के लिए वीटीएम वायल लेकर पहुंचती हैं, लेकिन प्रदर्शनकारी जांच नहीं करा रहे हैं। कोरोना की जांच स्वेच्छा से की जाती है। यही हाल, टीकरी बॉर्डर का है, जबकि यहां अपना टेंट लगा कर रहे भाकियू (उगराहां) के प्रधान जोगेंद्र सिंह उगराहां पिछले दिनों कोरोना संक्रमित हो चुके हैं।


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