Move to Jagran APP

जानिए पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध से दिल्ली के कारोबारियों को कितने करोड़ का लगेगा झटका

दिल्ली सरकार ने प्रदूषण का हवाला देते हुए जब पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की तब पटाखा विक्रेता बड़ी आस से दिल्ली पुलिस को आवेदन आनलाइन जमा कर रहे थे। हर वर्ष पटाखों की बिक्री के लिए दिल्ली पुलिस ही लाइसेंस जारी करती है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 03:33 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 03:33 PM (IST)
जानिए पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध से दिल्ली के कारोबारियों को कितने करोड़ का लगेगा झटका
दूसरे राज्यों को जाता है पटाखा, पांच सालों से संकटों से गुजर रहा है रोशनी का यह कारोबार

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। प्रतिबंध के चलते रोशनी के त्यौहार दीपावली पर राष्ट्रीय राजधानी के 1500 करोड़ रुपये से अधिक के पटाखा कारोबार को झटका लगा है। दिल्ली में 150 से अधिक थोक और नियमित पटाखा विक्रेता हैं। वहीं, दीपावली पर अस्थाई तौर पर दो हजार से अधिक पटाखा विक्रेता दिल्ली की हर गली में बिक्री करते हैं। दिल्ली सरकार ने प्रदूषण का हवाला देते हुए जब पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की, तब पटाखा विक्रेता बड़ी आस से दिल्ली पुलिस को आवेदन आनलाइन जमा कर रहे थे। हर वर्ष पटाखों की बिक्री के लिए दिल्ली पुलिस ही लाइसेंस जारी करती है।

loksabha election banner

बृहस्पतिवार आवेदन की अंतिम तिथि है। उसके एक दिन पहले बुधवार को उनके लिए निराशा लाने वाली खबर लाई। वैसे, लगातार पांच वर्षों से दिल्ली का पटाखा कारोबार संकटों में है। वायु प्रदूषण को लेकर वर्ष 2016 से हर वर्ष सुप्रीम कोर्ट का डंडा चलता रहा। आखिरकार वर्ष 2019 में केवल ग्रीन पटाखा की अनिवार्यता के साथ बिक्री की मंजूरी मिली। वर्ष 2020 में ग्रीन पटाखे ही बिके। इस वर्ष भी इसके ही आर्डर दिए गए थे कि अब प्रतिबंध का फैसला सरकार की स्तर पर लिया गया है।

दिल्ली फायर वर्क ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव जैन कहते हैं कि दिल्ली कारोबारी हब है। तमिलनाडु के शिवकाशी समेत अन्य राज्यों से पटाखा यहां आते हैं फिर यहां से बिक्री के लिए पूरे उत्तर भारत में जाते हैं। इस प्रतिबंध के कारण अब यहां के कारोबारी दूसरे राज्यों को भी बिक्री नहीं कर पाएंगे, क्योंकि बगैर लाइसेंस के यहां की दुकानों या गोदामों में पटाखा रखना प्रतिबंधित है। वैसे, तो पटाखों की मांग शादी, अन्य समारोह, नया वर्ष, क्रिसमस और ईद जैसे त्यौहारों पर भी होती है, लेकिन 80 फीसद बिक्री अकेले दीपावली पर होती है।

उनके मुताबिक वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने सामान्य पटाखों की तुलना में ऐसे ग्रीन पटाखों को मंजूरी दी है। जो सामान्य की तुलना में 50 फीसद तक कम हानिकारक गैस पैदा करते हैं। उसी की बिक्री होनी थी। इसी तरह राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा है कि जिस स्थान की वायु गुणवत्ता इंडेक्स 200 से कम हो, वहां पटाखे जलाए जा सकते हैं। इन्हीं फैसलों को सामने रखते हुए जल्द ही पटाखा दुकानदारों का प्रतिनिधिमंडल सरकार के नुमाइंदों से मिलेगा तथा उनसे मंजूरी देने की मांग करेगा।

जामा मस्जिद का पाईवालान पटाखा बिक्री का बड़ा केंद्र है। यहां तकरीबन 200 वर्ष पुरानी थोक दुकानें मौजूद है। यहां मजेस्टिक फायर वर्क के मालिक माहेश्वर दयाल ने कहा कि बिक्री की तैयारियां अंतिम दौर में है। मार्च से ही इसके आर्डर देने शुरू हो जाते हैं। उन्होंने भी तकरीबन 40 लाख रुपये का अार्डर दिया है। वहीं, तकरीबन 12 लाख रुपये तक के पटाखे हरियाणा के पलवल स्थित गोदाम में आ चुके हैं। अब उसकी चिंता सता रही है।

सदर बाजार के पटाखा कारोबारी व फायर वर्क एंड जनरल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र गुप्ता ने कहते हैं कि पटाखा बिक्री पर तो प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन जलाने पर नहीं। एनसीआर के शहरों में पटाखे बिकेंगे। संभव है कि वह दिल्ली में चोरी-छिपे आएंगे और बिकेंगे। इससे कालाबाजारी बढ़ेगी। ऐसे में ग्रीन पटाखों की तुलना में स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह पटाखे जलाए जाएं। सरकार को इसपर भी विचार करना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.