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जानिये- कैसे कोरोना संकट में साथ खड़ा रहा दिल्ली का ‘होटलगंज‘

देशभर में लॉकडाउन लागू होने की वजह से बहुत सारे उद्योग एक तरह से कुछ समय के लिए बंद हो गए थे लेकिन दिल्ली का होटल उद्योग उस समय भी चालू रहा जब दिल्ली में कोरोना अपने तेजी से पैर पसार रहा था।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 01:54 PM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 01:54 PM (IST)
जानिये- कैसे कोरोना संकट में साथ खड़ा रहा दिल्ली का ‘होटलगंज‘
जैसे-जैसे अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई वैसे-वैसे दोनों उद्योगों को गति मिल रही है।

नई दिल्ली [निहाल सिंह]। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का पर्यटन उद्योग दूसरे राज्यों के लोगों के साथ ही विदेशों से आने वाले पर्यटकों के जरिए चलता है। विश्व में कोरोना संक्रमण आने के बाद साल की शुरुआत से ही राजधानी का पर्यटन उद्योग हल्का पड़ने लगा था। लॉकडाउन के बाद स्थिति और बिगड़ गई। लेकिन, भारत में कोरोना का संक्रमण कम हुआ तो अब फिर से यह उद्योग पटरी पर लौटने लगा है। हालांकि अभी इसकी रफ्तार उतनी नहीं जितनी कोरोना से पहले थी। ऐसा ही हाल मंनोरंजन का है, क्योंकि पर्यटन और मंनोरंजन दोनों एक दूसरे के बहुत करीब है। लोग घूमने निकलते हैं जो इससे पर्यटन उद्योग को तो बढ़ावा मिलता ही है साथ ही मंनोरंजन क्षेत्र को भी लाभ मिलता है। कोरोना के चलते दोनों की स्थिति भले ही ठीक न रही हो लेकिन जैसे-जैसे अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई वैसे-वैसे दोनों उद्योगों को गति मिल रही है।

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संकट में काम आया होटलगंज

देशभर में लॉकडाउन लागू होने की वजह से बहुत सारे उद्योग एक तरह से कुछ समय के लिए बंद हो गए थे, लेकिन दिल्ली का होटल उद्योग उस समय भी चालू रहा जब दिल्ली में कोरोना अपने तेजी से पैर पसार रहा था। या यूं कहें दिल्ली का होटल उद्योग राजधानी पर संकट के समय पर साथी बना। चाहे विदेशों से आने वाले भारतीय नागरिकों को क्वारंटाइन कराना हो या फिर विदेश जाने वाले यात्रियों को रखना हो दिल्ली का होटल उद्योग सरकार के साथ खड़ा रखा। ऐसे समय में जब कोरोना का नाम सुनते ही लोग डर रहे थे। वहीं कोरोना का इलाज करने वाले डॉक्टरों को मकान मालिक प्रताड़ित कर रहे थे उस समय होटल उद्योग ने कोरोना योद्धाओं को रहने के लिए अपनी सेवाएं दी। डॉक्टरों को ठहरने के लिए और उन्हें अपनी सेवाएं देने के लिए भी होटल उद्योग पीछे नहीं हटा। न

कोरोना योद्धाओं के लिए ओटीटी बना घर बैठे मंनोरंजन का जरिया

लॉकडाउन के दौरान कई लोगों ने घर बैठे अपनी पंसदीदा पुस्तकों को पढ़कर अपना समय बिताया तो कई लोगों के लिए ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफार्म मंनोरंजन के लिए बड़ा साधन बनकर उभरा। सिनेमाघर बंद थे तो बॉलीवुड की फिल्मों को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ही रिलीज किया गया। इससे घर बैठे नई फिल्मों के शौकीनों को राहत मिली। हालांकि सिनेमाघर की पूर्ति तो यह प्लेटफॉर्म नहीं कर सका। परंतु लॉकडाउन की बंदिशों के बीच लोगों के बीच में ओटीटी प्लेटफॉर्म मंनोरंजन के लिए काफी उपयोगी रहा। जहां फिल्म जगत के उद्योग को भी फिर से शुरू करने में सहायता मिली तो वहीं क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्में भी इस प्लेटफॉर्म पर खूब देखी जाने लगी।

अभी तक बंद पड़े हैं मंनोरंजन पार्क

राजधानी में अभी तक मंनोरंजन पार्क बंद पड़े हैं। कोरोना के चलते अभी तक इन पार्कों को खोलने की अनुमति नहीं मिली है। इससे इन संचालकों को आर्थिक नुकसान तो हो रही रहा है। हालांकि आम दिनों में इन पार्कों में इस समय काफी भीड़ रहती थी। चाहे नए साल के आगमान से पूर्व होने वाले उत्सव हो या फिर दोस्तों के साथ मौज मस्ती हो लोग मंनोरंजन पार्कों का रुख करते हैं। दक्षिणी निगम का वेस्ट टू वंडर पार्क जो कि पिछले वर्ष काफी प्रचलित रहा था। दिल्ली एनसीआर से काफी संख्या में लोग इस पार्क में कबाड़ से बनी सात अजूबों की कलाकृतियों को देखने आ रहे थे। लेकिन कोरोना संकट के चलते वेस्ट टू वंडर और दक्षिणी निगम के नंदन वन जैसे मंनोरंजन पार्क बंद पड़े हैं।

सिग्नेचर ब्रिज पर लाइटिंग

दिल्ली का सिग्नेचर ब्रिज पिछले वर्ष शुरू हो गया था। इससे मध्य दिल्ली और उत्तर-पूर्वी दिल्ली का यातायात सुगम हुआ। तो वहीं, इस वर्ष इस ब्रिज को नए रूप में देखने को मिला। रंग बिरंगी लाइटों से यह ब्रिज रात को यहां से गुजरने वाले लोगों को काफी आकर्षक करता है। वहीं, यहां से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 2020 को याद किया जाएगा। यहां 154 मीटर ऊंचाई दिल्ली देखने का सपना भी जल्द पूरा होगा। यहां पर पूरी व्यवस्था इसकी कर दी गई है। लिफ्ट लगा दी गई। जल्द इसे चालू भी किया जाएगा। यमुना से पूरी दिल्ली का नजारा देखा जा सकेगा। इतना ही नहीं यहां पर कैफेटेरिया भी लगभग बनकर तैयार हैं।

बंद रहा चिड़ियाघर

दिल्ली का चिड़ियाघर पर्यटन के लिहाज से बड़ा केंद्र हैं। लॉकडाउन के बाद से ही वह बंद पड़ा है। इससे वन्य जीवों को देखने के लिए शौकीन लोगों निराशा हाथ लगी। हालांकि इस दौरान चिड़ियाघर प्रशासन ने काफी प्रशासनिक सुधार किए हैं। यहां पर पर्यटकों की सुरक्षा के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। अब यहां के कर्मचारी उस स्थिति में लोगों को बचाने के लिए तैयार रहेंगे जब कोई व्यक्ति गलती से वन्य जीवों के बाड़े में चला जाए। इतना ही नहीं चिड़ियाघर खुलने के बाद यहां कि टिकट की व्यवस्था भी आधुनिक होगी। चिड़ियाघर पहुंचने से पहले ही ऑनलाइन इसकी टिकट खरीदी जा सकेगी। इससे लोग को टिकट के लिए लाइन में लगने के झंझट से भी बच सकेंगे।

बनकर तैयार हुआ भारत दर्शन

पार्क दक्षिणी निगम ने एक ओर मंनोरंजन पार्क तैयार कर लिया है। इसका करीब 90 फीसद से ज्यादा कार्य पूरा हो चुका है। 2021 में इसका उद्धाटन भी किया जाएगा। यह पार्क दिल्ली का दूसरा ऐसा पार्क बन जाएगा जहां पर कबाड़ से भारत के प्रमुख स्थलों की कलाकृतियां बनी है। इसमें कुतुबमीनार, ताज महल, चार मीनार, गेटवे ऑफ इंडिया, कोणार्क मंदिर, नालंदा विश्वविद्यालय, मैसूर पैलेस, स्वर्ण मंदिर, मीनाक्षी मंदिर, हंपी, विक्टोरिया मेमोरियल, सांची स्तूप, गोल गुंबद, अजंता-ऐलोरा की गुफाएं, जूनागढ़ का किला आदि शामिल हैं। इससे पहले निगम ने साज अजूबों की कलाकृति वाला वेस्ट टू वंडर पार्क बनाया था।

स्मारक स्थल खुले, पर रौनक का इंतजार

कोरोना संकट के वजह लॉकडाउन में सभी पर्यटन और स्मारक स्थल बंद पड़े थे। छह जुलाई को दिल्ली के विभिन्न स्मारक स्थलों को खोल दिया गया। लोग भी इन स्थलों को देखने के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन अभी भी रौनक का इंतजार है। कोरोना संक्रमण के चलते बहुत कम संख्या में लोग पहुंच रहे हैं।

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