जानिए कैसे 75 सालों में सेहतमंद हुई दिल्ली, देश-विदेश के लोग आते हैं इलाज कराने
1956 में केंद्र ने एम्स की स्थापना की जो 44 विभागों व 3100 से अधिक बेड क्षमता के साथ देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान के रूप में उभरा।इसमें हर साल दो लाख सर्जरी व प्रोसिजर होते हैं। 1994 में एम्स में पहली बार सफल दिल प्रत्यारोपण की सर्जरी हुई।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। एक समय था जब दिल्ली में गिनती के अस्पताल थे। आजादी के 75 साल में दिल्ली में स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहतर बुनियादी ढांचा विकसित हुआ। इसमें सरकारी व निजी क्षेत्र दोनों ने अहम भूमिका निभाई है। इस वजह से अब दिल्ली में विदेश से भी बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। इसलिए दिल्ली मेडिकल पर्यटन स्थल के रूप में भी उभरी है।वर्ष 1956 तक दिल्ली में तृतीय स्तर का सिर्फ एक अस्पताल (सफदरजंग अस्पताल) था। लेडी हार्डिग मेडिकल कालेज के रूप में एक मेडिकल कालेज था।
1956 में केंद्र सरकार ने की थी एम्स की स्थापना
वर्ष 1956 में केंद्र सरकार ने एम्स की स्थापना की, जो 44 विभागों व 3100 से अधिक बेड क्षमता के साथ देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान के रूप में उभरा। इसमें हर साल दो लाख सर्जरी व प्रोसिजर होते हैं। अगस्त 1994 में एम्स में संस्थान के पूर्व निदेशक डा. पी वेणुगोपाल के नेतृत्व में देश में पहली बार सफल दिल प्रत्यारोपण की सर्जरी हुई।
निजी अस्पतालों का है इसमें बड़ा रोल
वर्ष 1982 तक दिल्ली में एलोपैथ के सिर्फ चार मेडिकल कालेज व अस्पतालों में 14,605 बेड थे, जो अब करीब पौने चार गुना वृद्धि के साथ अस्पतालों में कुल 54,321 बेड उपलब्ध हैं। इसमें से 28,429 बेड 88 सरकारी अस्पतालों व 25,892 बेड निजी अस्पतालों में उपलब्ध हैं। इस दौर में ही अपोलो, फोर्टिस, मैक्स, इंडियन स्पाइन इंजरी सेंटर सहित कई बड़े निजी अस्पताल बने। यकृत व पित्त विज्ञान संस्थान (आइएलबीएस) ने भी लिवर की बीमारियों के इलाज में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में कामयाबी हासिल की।
ऐलोपैथी के 10 मेडिकल कॉलेज
दिल्ली में अभी एलोपैथ, आयुर्वेद, होम्योपैथी व यूनानी सहित 19 मेडिकल कालेज हैं, जिसमें एलोपैथी के 10 मेडिकल कालेज शामिल हैं। आइआइटी दिल्ली ने कोरोना जांच के लिए सस्ती किट बनाकर महामारी से लड़ने में मदद की।