धधक रही थी पेट्रोल से भरी मालवाहक ट्रेन, कर्नल खान के एक फैसले ने बचाई सैकड़ों की जान
सेना से सेवानिवृत कर्नल एआर खान ने बताया कि जलते हुए पेट्रोल को नेशनल हाइवे और औद्योगिक क्षेत्र की तरफ फैलने से रोकना था। मिट्टी और बालू से भी आग नहीं बुझ रही थी।
नोएडा [अर्पित त्रिपाठी]। बात 21 मार्च 1982 की है। जम्मू-तवी रेलवे स्टेशन से करीब 10 किलोमीटर पहले बाड़ी ब्राह्मन में कैंट क्षेत्र में लेफ्टिनेंट कर्नल एआर खान सुबह अपनी बटालियन के साथ परेड के लिए मौजूद थे। इसी दौरान कुछ दूर उन्हें आग के शोले ऊपर उठते दिखे। उन दिनों आतंकवाद अपने पैर पसार रहा था। उन्हें पहले लगा कि कोई हमला हो गया है। उन्होंने बटालियन से तैयार होने को कहा और अपनी जीप से घटनास्थल की ओर निकले। वहां पहुंचे तो देखा कि पेट्रोल ले जाने वाली मालवाहक ट्रेन के तीस डिब्बों में आग लगी हुई है।
सूझबूझ से लिया काम
ट्रेन बाड़ी ब्राह्मन और जम्मू तवी रेलवे स्टेशन के बीच में खड़ी थी। रेलवे लाइन के पास ही औद्योगिक क्षेत्र भी था। ट्रेन के डिब्बों से पेट्रोल भी बह रहा था। आग इतनी विकराल थी कि अग्निशमन की 50 गाड़ियां भी इसे रोक नहीं पातीं। जिस जगह पर घटना हुई थी वहां पहुंचने में भी काफी समय लगता। अपनी योजना और टीम के हौसले के साथ उन्होंने आग को अन्य डिब्बों में फैलने और औद्योगिक और नेशनल हाइवे तक पहुंचने से रोका।
चुनौती भरा था काम
यह काम काफी चुनौती भरा था। सबसे पहले उन डिब्बों को अलग करने की योजना बनाई, जिनमें आग नहीं फैली थी। यदि ये फट जाते तो जानमाल को काफी नुकसान पहुंचता। डिब्बों को अलग करने के बाद उसे धकेल कर दूर ले जाया गया। इसके लिए बटालियन के जवानों और स्थानीय लोगों की मदद ली गई।
बहते हुए पेट्रोल को ऐसे रोका
सेना से सेवानिवृत कर्नल एआर खान ने बताया कि जलते हुए पेट्रोल को नेशनल हाइवे और औद्योगिक क्षेत्र की तरफ फैलने से रोकना था। मिट्टी और बालू से भी आग नहीं बुझ रही थी। निर्णय लिया कि जमीन से मिट्टी निकालकर उससे मेड़ बनाई जाए। एक मेड़ बनाई गई। इसके बाद भी परेशानी कम नहीं हुई पेट्रोल उसे भी पार कर गया। इसके बाद एक से डेढ़ फिट की कई मेड़ बनाई गईं, जिससे पेट्रोल आगे बढ़ने से रुक गया।
सेना की आपदा सेल से मिला विशिष्ट मेडल
एआर खान उस वक्त लेफ्टिनेंट कर्नल थे। उन्हें इस उत्कृष्ट कार्य के लिए विशिष्ट सेवा मेडल दिया गया। उन्होंने कई जीवन, क्षेत्र और सरकारी संपत्ति बचाने में अहम योगदान दिया। वह अब नोएडा के सेक्टर 28 में रहते हैं।
युद्ध में भी लिया था हिस्सा, शहीद अब्दुल हमीद थे टीम में
एआर खान वर्ष 1965 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में भी मोर्चा संभाला था। पैटन टैंकों को ध्वस्त करने वाले परमवीर हवलदार शहीद अब्दुल हमीद उनकी टीम में ही थे। कर्नल खान कहते हैं कि पाकिस्तान के इरादों को ध्वस्त करने में जो भागीदारी अब्दुल हमीद ने निभाई उसे देश कभी नहीं भुला सकता है।