जानिये- ग्रेड सेपरेटर के बारे में, जिसके जरिये सही समय पर ट्रेनों को चलाएगा भारतीय रेलवे
Indian Railway Grade Separator दो अलग-अलग रूट के ट्रैक एक दूसरे को क्रास करते हैं वहां पर आवागमन में बाधा उत्पन्न होती है। इससे बचने के लिए ग्रेड सेपरेटर बनाया जाता है। इसके तहत व्यवस्था की जाती है कि दो ट्रैक एक दूसरे को क्रास नहीं करें।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। राजधानी दिल्ली आने जाने वाली ट्रेनों को समय से चलाने के लिए वर्ष 1999-2000 में उत्तर रेलवे ने दयाबस्ती में ग्रेड सेपरेटर बनाने की परियोजना को मंजूरी दी थी। काम भी शुरू हुआ, लेकिन रेलवे जमीन पर बसी हुई अवैध झुग्गियों की वजह से काम अधूरा पड़ा हुआ है। हालात को देखते हुए फिलहाल इसकी उम्मीद भी नहीं है। इससे जहां अंबाला और रोहतक रूट पर ट्रेनों को समय पर चलाने की योजना जमीन पर नहीं उतर सकी हैं वहीं, निर्माण कार्य बीच में लटकने से दुर्घटना की भी आशंका बनी रहती है। पंजाबी बाग के नजदीक हुए हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई। रेल मंत्रालय ने लगभग 21 वर्ष पहले दया बस्ती के पास दोहरी लाइन ग्रेड सेपरेटर बनाने की स्वीकृति दी थी। करीब 3.075 किलोमीटर लंबी इस परियोजना पर लगभग 54.15 करोड़ रुपये खर्च होने थे। इस परियोजना के तहत एक फ्लाईओवर, एक रोड अंडर ब्रिज और दो नालों पर पुल बनाए जाने हैं। जहां पर परियोजना के लिए निर्धारित स्थान पर दो हजार से ज्यादा अवैध झुग्गियां हैं। इस वजह से काम अधूरा पड़ा हुआ है। परियोजना की लागत भी लगभग दो सौ करोड़ रुपये पहुंच गई है।
क्या है ग्रेड सेपरेटर
दो अलग-अलग रूट के ट्रैक एक दूसरे को क्रास करते हैं, वहां पर आवागमन में बाधा उत्पन्न होती है। इस परेशानी से बचने के लिए ग्रेड सेपरेटर बनाया जाता है। इसके तहत व्यवस्था की जाती है कि दो ट्रैक एक दूसरे को क्रास नहीं करें। इसके लिए रेल ओवर ब्रिज, फ्लाईओवर आदि बनाकर रेलवे लाइन बिछाई जाती है। दया बस्ती के पास भी ट्रैक क्रास करने की समस्या है। एक लाइन निजामुद्दीन से लाजपत नगर, पटेल नगर होते हुए अंबाला की तरफ निकलती हैं। इस रूट पर अधिकांश मालगाड़ियों का परिचालन होता है। दूसरी लाइन नई दिल्ली व पुरानी दिल्ली से किशनगंज, दयाबस्ती शकूरबस्ती होते हुए रोहतक व बठिंडा की ओर निकलती है। दया बस्ती के पास दोनों ट्रैक एक दूसरे को क्रॉस करती हैं। इससे रेल परिचालन बाधित होती है। मालगाड़ियां व ट्रेनें काफी विलंब हो जाती हैं। ग्रेड सेपरेटर बनने से अंबाला रूट पर चलने वाली मालगाड़ियां व ट्रेनें फ्लाईओवर के रास्ते सीधे निकल जाएंगी। रोहतक व बठिंडा वाली ट्रेनें वर्तमान लाइन से चलती रहेंगी। इससे ट्रैक क्रॉस करने की समस्या दूर हो जाएगी।
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार का कहना है कि अतिक्रमण की वजह से ग्रेड सेपरेटर का काम बाधित हो रहा है। अतिक्रमण हटाने के लिए वर्षों पहले दिल्ली सरकार को पैसा भी जमा कराया गया था, लेकिन समस्या दूर नहीं हुई। जहां पर हादसा हुआ है वहां पिछले वर्ष नवंबर में गार्डर डाला गया था। उसके आगे अतिक्रमण की वजह से काम नहीं हो सका है।