Delhi: कुछ भी करना पत्नी से बेवफाई न करना, एडिशनल डीसीपी से ज्यादा उनकी wife के चर्चे
अब पत्नी से झगड़ा हो गया तो वह अलग रहने लगीं फिर क्या था पत्नी ने भी पोल खोलने का अभियान छेड़ दिया।
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। पुलिस विभाग में इन दिनों एडिशनल डीसीपी संजय सहरावत से ज्यादा चर्चे उनकी पत्नी के हैं। दरअसल, संजय का जन्म 1968 में दिल्ली के सिंघु बॉर्डर में हुआ था। परीक्षा की तैयारी करने में उनकी उम्र करीब तीन साल ज्यादा हो गई थी। इस पर उन्होंने 1971 में जन्में इंदरपुरी निवासी संजय कुमार के दस्तावेज के साथ अपनी फोटो लगाकर परीक्षा पास कर ली और दानिप्स कैडर मिलने पर एसीपी बन गए। पदोन्नति पाकर एडिशनल डीसीपी भी बन गए।
वहीं अब पत्नी से झगड़ा हो गया तो वह अलग रहने लगीं, फिर क्या था पत्नी ने भी पोल खोलने का अभियान छेड़ दिया। उन्होंने पहले सीवीसी में शिकायत की लेकिन कार्रवाई नहीं हुई तो सीबीआइ में केस दर्ज करा दिया। इससे अब अफसर की नौकरी पर तो खतरा है ही, साथ ही विभाग में भी उनके साथी कहते हैं, भाई कुछ भी कर लेना लेकिन पत्नी से बेवफाई मत करना।
रात में घर कैसे जाएं जनाब
उत्तरी जिला के थानाध्यक्ष और चौकी प्रभारी इन दिनों परेशान हैं। दरअसल, हर दूसरे दिन रात में घर निकल जाने वाले इन अफसरों पर डीसीपी एंटो अल्फोंस ने नकेल जो कस दी है। इस जिले के कई थानेदार व चौकी प्रभारी ऐसे थे, जो कभी मोबाइल बंद करके तो कभी एसीपी से अनुमति लेकर घर निकल जाते थे। डीसीपी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने आदेश जारी कर दिया कि कोई भी थाना प्रभारी या चौकी प्रभारी उनकी अनुमति के बिना घर नहीं जाएगा।
ऐसे में अब घर जाने की आदत बना चुके पुलिसकर्मियों के लिए समस्या खड़ी हो गई है। दूसरी तरफ हर दूसरे दिन घर जाने वाले अफसरों की पत्नियां अलग से दस तरह के सवाल उनसे कर रही हैं। ऐसे में समकक्ष अधिकारी एक-दूसरे की खिंचाई करते हुए बस मुस्कुरा कर यही कह रहे हैं कि अब घर कैसे जाएं जनाब, कुछ जुगाड़ देखो।
बेटा इनसानों के बीच तुम फरिश्ते निकले
महामारी के बीच राजधानी के कमला मार्केट में जीनत महल स्कूल के सामने शनिवार को सैंकड़ों लोग खरीदारी कर रहे थे। इसी बीच एक बुजुर्ग अचानक जमीन पर गिर गए तो लोग शारीरिक दूरी बनाने में जुट गए। इस बीच कुछ लोग वीडियो भी बना रहे थे, लेकिन बुजुर्ग की आंखें उस शख्स को तलाश रही थीं, जो उन्हें कंधा देकर अस्पताल तक पहुंचाए। बुजुर्ग की हालत पर तरस तो वहां खड़े कुछ लोग खा रहे थे, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया।
इसी बीच भीड़ देख वहां ड्यूटी पर तैनात हवलदार अनिल भी पहुंचे। वृद्ध को गिरा हुआ देख उन्होंने तुरंत गोद में उठा लिया और अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद कुछ ही देर में उन्हें छुट्टी दे दी। खुद को स्वस्थ देख बुजुर्ग ने अनिल के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, बेटा इंसानों के इस शहर में तुम ही एक फरिश्ते निकले।
साहब, हमसे नहीं देखा जाता ये भ्रष्टाचार
साहब मेरा थाना बदल दीजिए मुझसे यहां का भ्रष्टाचार देखा नहीं जा रहा है। सिपाही स्मैक की तस्करी करवा रहे हैं तो जिम्मेदार उन्हें बचा रहे हैं। ऐसे थाने में मुझसे काम नहीं हो सकेगा। यह मजमून है उस पत्र का जो उत्तर-पश्चिम जिले के शालीमारबाग थाने में तैनात सिपाही रणवीर सिंह ने डीसीपी को लिखा है। दरअसल, उन्हें जब पता चला कि उनके क्षेत्र में कुछ महिलाएं स्मैक बेच रही हैं तो उन्होंने अफसरों से कार्रवाई की अनुमति मांगी लेकिन नहीं मिली। इस पर उन्होंने एक गुप्त पत्र डीसीपी को लिख दिया।
इसके वायरल होते ही मुख्यालय ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए तो सिपाही को बीट से हटा दिया गया और फटकार भी लगाई गई। इस पर उन्होंने दूसरा पत्र लिखकर डीसीपी को ये भी बता दिया कि कहां से कितनी रकम आ रही है । साथ ही अपनी पोस्टिंग दूसरे थाने में करने की गुहार लगाई है।
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