बिहार से आकर जिस कॉलेज से पढ़े उसी के बने प्रिंसिपल; जानें- भीम सेन के बारे में, जिनके सीनियर थे अमिताभ बच्चन
डॉ. भीम सेन सिंह किरोड़ीमल कॉलेज को लेकर बताते हैं- दिल्ली विवि में किरोड़ीमल कॉलेज की एक खास पहचान है। उन दिनों थियेटर म्यूजिक व डिबेट में पूरे देश का नंबर एक कॉलेज होता था। थियेटर सोसायटी में तो अमिताभ बच्चन और शक्ति कपूर भी थे।
नई दिल्ली [रितु राणा]। दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले किरोड़ीमल कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य 72 वर्षीय डॉ. भीम सेन सिंह किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। मूल रूप से बिहार के रहने वाले भीम सेन दिल्ली आए तो यही के भी हो गए। उनकी दिल्ली से कई खूबसूरत यादें जुड़ी हुई हैं। वह कहते हैं 'पटना से बीए करने के बाद आगे की पढ़ाई व अपनी एक अलग पहचान बनाने के लिए मैं दिल्ली आया था। उन दिनों दिल्ली आना मानो आज जैसे अमेरिका जाने का सपना साकार होने जैसा होता था। दिल्ली विवि में तब काफी संख्या में बिहार, ओड़िशा व उत्तराखंड के बच्चे पढ़ते थे। जब किरोड़ीमल कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था तब सोचा नहीं था कि इसी कॉलेज में प्रधानाचार्य बनकर आऊंगा। 16 वर्ष इस कॉलेज में सेवा दी। इस कॉलेज को बहुत करीब से जानता हूं।'
कॉलेज में अमिताभ बच्चन थे सीनियर
दिल्ली विश्वविद्यालय के नामी किरोड़ीमल कॉलेज के पढ़ाई करने वाले डॉ. भीम सेन सिंह कहते हैं- ' बॉलीवुड एक्टर मिलेनियम स्टार अमिताभ बच्चन मुझसे तीन वर्ष सीनियर थे। जब मैं आया तब वे इस कॉलेज से पास आउट हुए थे। वह कई बार कॉलेज आए, उन्हें कॉलेज ने सम्मानित भी किया। मुलाकात भी हुई।'
थियेटर सोसायटी में थे अमिताभ बच्चन और शक्ति कपूर
डॉ. भीम सेन सिंह किरोड़ीमल कॉलेज को लेकर बताते हैं- 'दिल्ली विवि में किरोड़ीमल कॉलेज की एक खास पहचान है। उन दिनों थियेटर, म्यूजिक व डिबेट में पूरे देश का नंबर एक कॉलेज होता था। दिल्ली विवि में भी इसका कोई प्रतियोगी कॉलेज नहीं था। यहां की थियेटर सोसायटी में तो अमिताभ बच्चन और शक्ति कपूर भी थे। आज भी किरोड़ीमल कॉलेड अपनी यही पहचान बनाए हुए है।'
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कमला नगर था बेहतरीन ठिकाना
वह दिल्ली का जिक्र करते हुए कहते है- 'वैसे तो कॉलेज के इर्द-गिर्द ही मेरी दुनिया घूमती थी। मां ने अपने कंगन बेचकर यहां पढ़ने भेजा था। लेकिन कॉलेज कैंटीन व हास्टल के अलावा मैं दोस्तों के साथ कमला नगर खूब जाया करता था। तब कमला नगर में दिनभर चंद्रावल गांव के लोगों की गाय, भैंसे घूमती रहती थीं। खाने के लिए मलका गंज के पास लक्ष्मी स्वीट हाउस जाता था। माल रोड के पास एक काफी हाउस है वहां कभी-कभी दोस्तों के साथ काफी पीने जाया करता था।'
जेएनयू में मिली अलग ही दुनिया
1973 में एमफिल व पीएचडी करने जेएनयू पहुंचा तो लगा यहां एक अलग ही दुनिया है। देश के सभी अकादमिक संस्थान एक तरफ और जेएनयू अकेला एक तरफ। यहां पढ़ने-पढ़ाने वालों के हमेशा खुले विचार रहे। ऐसा माडर्न कल्चर रहा, जो पूरे देश में कहीं नहीं मिलेगा। छोटे से शहर में हम लोग कुएं के मेंढक की तरह थे, लेकिन जेएनयू गए तो हमारे भी पंख निकलने लगे। जेएनयू की सबसे खास बात उसकी सुंदरता व प्राकृतिक वातारण है जो आज भी छात्रों को अपनी तरफ आकर्षति करता है। तब वसंत कुंज समृद्धता से नहीं बसा हुआ था। सब जगह पहाड़ियां थीं। हम वहीं घूमते थे। वसंत विहार में प्रिया सिनेमाघर था वहां दोस्तों के साथ खूब फिल्में देखी।
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पत्नी को दिल्ली लाना था तो बनवा दिया हॉस्टल
हमने जेएनयू में ग्रुप ऑफ फ्री थिंकर बनाया। जो एक एंटी कम्यूनिस्ट आंदोलन था। आज भी यह ग्रुप सक्रिय है। उन दिनों के किस्से याद करके आज भी हंसी आ जाती है। हमने तब वीसी से लड़कर अपनी पत्नी के लिए हॉस्टल भी बनवा दिया था। 1975 में पढ़ाई के दौरान ही शादी हो गई थी। जब भी पत्नी का फोन आता तो पढ़ाई में मन ही नहीं लगता था। क्या करें। फिर एक दिन पांच-सात लड़के मिलकर वीसी के पास गए और उनसे कहा कि जब इतनी सारी सुविधाएं दे ही रहे हैं तो शादीशुदा छात्रों के लिए भी एक हास्टल बना दीजिए। हमने कहा हम पढ़ाई करें या पत्नी के पास हमेशा गांव जाते रहें। उसके बाद जेएनयू में शादीशुदा छात्रों के लिए भी हास्टल बन गया।
परिचय
किरोड़ीमल कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य 72 वर्षीय डा. भीम सेन सिंह 1971 में बिहार से दिल्ली एमए की पढ़ाई करने आए। दिल्ली विवि के किरोड़ीमल कॉलेज से एमए की पढ़ाई की। जेएनयू से एमफिल व पीएचडी की। किरोड़ीमल कालेज में ही 16 वर्ष तक प्रधानाचार्य के पद पर रहकर सेवानिवृत्त हुए। वर्तमान में नोएडा सेक्टर 110 स्थित महर्षि यूनिवर्सटिी ऑफ इंफारमेशन टेक्नोलाजी के बोर्ड ऑफ गवर्नेस के एडवाइजर हैं।