Kisan Andolan: किसानों का प्रदर्शन विकास की राह में बना रोड़ा, आंकड़ों में देखिए अब तक कितना हो चुका नुकसान
नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे प्रदर्शन के परिप्रेक्ष्य में यह बात काफी अहम हो जाती है। प्रदर्शनकारी अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलन के अधिकार की बात तो कर रहे हैं लेकिन इससे लोगों को हो रही परेशानी को लेकर अपने कर्तव्य से मुंह मोड़े हुए हैं।
नई दिल्ली, जागरण टीम। जब हम अधिकारों की बात करते हैं तो हमारे लिए अपने कर्तव्य का पालन करना भी जरूरी हो जाता है। यह इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि कर्तव्य के पालन से ही किसी भी समस्या का समाधान हो सकता है। नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे प्रदर्शन के परिप्रेक्ष्य में यह बात काफी अहम हो जाती है। प्रदर्शनकारी अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलन के अधिकार की बात तो कर रहे हैं, लेकिन इससे लोगों को हो रही परेशानी को लेकर अपने कर्तव्य से मुंह मोड़े हुए हैं। अधिकारों के नाम पर इस तरह मनमानी की इजाजत नहीं दी जा सकती है। वह भी तब जबकि यह प्रदर्शन विकास की राह में रोड़ा बन गया है।
किस तरह हो रहा नुकसान, आइए यह जानते हैं आंकड़ों की जुबानी :
कब क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
- 4 अक्टूबर 2021 : जब मामला विचाराधीन है तो विरोध प्रदर्शन क्यों? कानूनों पर रोक लगी हुई है और कानून लागू नहीं हैं तो फिर विरोध प्रदर्शन किसलिए? क्या आप सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
- 1 अक्टूबर, 2021 : जंतर मंतर पर सत्याग्रह की इजाजत मांगने पर कोर्ट ने कहा पूरे शहर का गला घोंट रखा है अब अंदर आना चाहते हैं। आपको प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन लोगों को भी सड़कों पर स्वतंत्रता से आने-जाने का अधिकार है।
- 30 सितंबर 2021 : समस्या का हल न्यायिक मंच, आंदोलन या संसद में बहस से हो सकता है। लेकिन, राजमार्गो को कैसे बाधित किया जा सकता है और यह हमेशा के लिए नहीं हो सकता।
- 23 अगस्त, 2021 : दिल्ली, उप्र व हरियाणा की सरकारें मिलकर सीमा पर सड़क बंद होने की समस्या का हल निकालें। आंदोलन के कारण सड़क पर आवागमन नहीं बाधित हो सकता।
यूपी गेट से दिल्ली जाना मुश्किल
- 1.10 लाख बाहरी और 90 हजार गाजियाबाद के वाहन दिल्ली जाते हैं यूपी गेट से रोजाना।
- 2 लाख वाहन चालक प्रदर्शन की वजह से नहीं जा पा रहे हैं दिल्ली।
- खोड़ा, ईडीएम माल, कौशांबी, ज्ञानी बार्डर, भोपुरा सीमा से उन्हें दिल्ली जाना पड़ रहा है।
- 3 लाख लीटर अतिरिक्त ईंधन की रोजाना हो रही है बर्बादी।
सकते में है व्यापारी वर्ग
- फैक्टियों में कच्चा माल समुचित मात्र व तय समय के भीतर नहीं पहुंच पाने के कारण उत्पादन पर पड़ रहा है असर।
- दिल्ली के नारायणा, मायापुरी सहित अन्य औद्योगिक क्षेत्रों के कारोबार पर हुआ है गहरा आघात।
सिंघु बार्डर पर हाल-बेहाल
- सिंघु सीमा (कुंडली सीमा) बंद होने से चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, जम्मू से आवाजाही करने वाले लोग हो रहे प्रभावित। -कुंडली और राई औद्योगिक क्षेत्रों की फैक्टियां बुरी तरह प्रभावित।
- सब्जी की पैदावार करने वाले किसानों को भी उठाना पड़ रहा है भारी नुकसान।
26-11-2020 से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शनकारियों ने कर रखा है कब्जा
50,000 करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है नुकसान दिल्ली की सीमाओं के आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों को अब तक।
90 दुकानें हो चुकी हैं बंद सिंघु बार्डर पर
400 लोगों की जा चुकी है नौकरी
कहा कितने हैं उद्योग
राई--1600
कुंडली--1800
बड़ी--1200
नाथूपुर--400
इन ग्रामीणों की बढ़ी समस्या
सिंघु, सिंघोला, हिरनकी, तिगीपुर, अलीपुर, दरियापुर, बवाना, औचंदी, मुंगेशपुर, नरेला, बांकनेर, जौंती, निजामपुर, सफियाबाद के अलावा कई अन्य गांव के लाखों लोग बंधक बनकर रह गए हैं।
ये भी पढ़ें- भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष ने की दिल्ली के 190 गांवों की खराब हुई फसलों का मुआवजा देने की मांग
ये भी पढ़ें- कवि कुमार विश्वास, एक प्रशंसिका और मोमोज टाइप वाला पति, पढ़िए क्या है एक-दूसरे से नाता