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Kisan Andolan: अब MSP की मांग और कृषि कानून खत्म किए जाने का जश्न मनाने दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच रहे किसान, जानिए कितनी है संख्या

किसान लगभग 11 माह से दिल्ली की सीमाओं पर धरना देकर प्रदर्शन कर रहे थे। अब सरकार ने उनकी मांग मान ली और कृषि कानून रदद कर दिए इसके बाद अब किसानों की नई मांग उठने लगी है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 06:43 PM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 06:43 PM (IST)
Kisan Andolan: अब MSP की मांग और कृषि कानून खत्म किए जाने का जश्न मनाने दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच रहे किसान, जानिए कितनी है संख्या
तमाम राज्यों से किसान दिल्ली पहुंचने के लिए निकल चुके हैं।

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी, संसद में बिल भी पेश कर दिया। अभी तक किसान संगठनों की मांग थी कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को रदद करें। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी के किसान लगभग 11 माह से दिल्ली की सीमाओं पर धरना देकर प्रदर्शन कर रहे थे। अब सरकार ने उनकी मांग मान ली और कृषि कानून रदद कर दिए, इसके बाद अब किसानों की नई मांग उठने लगी है। अब वो एमएसपी पर कानून बनाने की मांग करने लगे हैं।

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भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी खुले मंच से ये घोषणा कर दी है कि कृषि कानून रदद किए जाने से उनका आंदोलन खत्म नहीं होने वाला, बल्कि जब सरकार एमएसपी पर कानून बना देगी उसके बाद किसान घर लौटने के लिए सोच सकते हैं मगर फिलहाल ऐसा कोई सीन नजर नहीं आ रहा है।

कल 26 नवम्बर को आंदोलन का एक साल पूरा होने पर व MSP की लड़ाई मजबूत करने के लिए किसान मजदूर दिल्ली की सीमाओं के लिए निकल रहे है। उधर ट्रैक्टर टू ट्विटर नामक ट्विटर हैंडल से एक वीडियो भी ट्वीट किया गया है, इसमें लिखा गया है कि जीत का जश्न मनाने और वैध एमएसपी के लिए अभियान तेज करने के लिए हजारों किसान पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी के विभिन्न हिस्सों से दिल्ली की सीमा पर पहुंच रहे हैं।

इससे पहले राकेश टिकैत ने किसान संगठनों से भी ये अपील की थी कि 26 नवंबर को किसान आंदोलन को एक साल का समय पूरा हो जाएगा। ऐसे मौके पर सभी धरना प्रदर्शन स्थलों पर किसान भारी संख्या में पहुंचे और अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं। कृषि कानून खत्म किया जाना जीत नहीं है बल्कि एमएसपी पर कानून बनना और किसानों की अन्य लंबे समय से लंबित पड़ी मांगों पर कानून बनाया जाना अधिक ठीक है। इसके लिए आंदोलन को जारी रखना होगा।


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