Move to Jagran APP

Kisan Andolan: किसानों के आंदोलन के विरोध में हैं मेट्रो मैन ई श्रीधरन, जानिए क्या कहा

Kisan Andolan मेट्रो मैन ई.श्रीधरन भी किसानों के धरना प्रदर्शन के विरोध में हैं। उनका कहना है कि जो लोग धरना देकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं वो किसान नहीं बल्कि बिचौलिए हैं। ये आंदोलन सिर्फ मोदी सरकार के विरोध में है उनको बदनाम करने के लिए है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 05 May 2021 02:05 PM (IST)Updated: Wed, 05 May 2021 02:10 PM (IST)
Kisan Andolan: किसानों के आंदोलन के विरोध में हैं मेट्रो मैन ई श्रीधरन, जानिए क्या कहा
पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसान चार माह से दिल्ली की तीन सीमाओं पर बैठे हुए हैं।

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। Kisan Andolan: केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून के विरोध में यूपी गेट पर 28 नवंबर से किसानों का धरना प्रदर्शन जारी है। मेट्रो मैन ई.श्रीधरन भी किसानों के इस धरना प्रदर्शन के विरोध में हैं। उनका कहना है कि दरअसल जो लोग धरना देकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं वो किसान नहीं बल्कि बिचौलिए हैं। इस विरोध को खारिज करते हुए वो कहते हैं कि ये आंदोलन सिर्फ मोदी सरकार के विरोध में है और उनको बदनाम करने के लिए है बाकी इसका कोई उद्देश्य नहीं है। उनका कहना है कि जिस तरह से दिल्ली की सीमा पर ये लोग बैठे हुए हैं उससे उनका खुद का भी नुकसान हुआ है। मगर फिर भी कुछ लोग इनको बिठाए हुए हैं। पंजाब, हरियाणा और यूपी के सैकड़ों किसान चार माह से अधिक समय से दिल्ली की तीन सीमाओं पर बैठे हुए हैं।

loksabha election banner

केरल विधानसभा चुनाव में मामूली अंतर से हार के बाद बोले मेट्रोमैन

केरल में मामूली अंतर से विधानसभा चुनाव हारने के बाद जब उनसे किसानों के आंदोलन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये पीएम मोदी विरोधी आंदोलन है, आंदोलन करने वाले वास्तव में किसान नहीं बल्कि बिचौलिए हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि जो लोग धरने पर बैठे हुए हैं उनमें से कितने लोगों ने उस कानून को पढ़ा है क्या उनमें से किसी को इसके बारे में जानकारी है।

बंगाल चुनाव में भाजपा की हार के बाद तेवर हुए तल्ख

बंगाल चुनाव में भाजपा की हार के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने यह साफ कर दिया है कि सरकार या तो कानून वापस ले ले या फिर किसान अपना संघर्ष और तेज करेंगे। राकेश टिकैत ने अपने एक और ट्वीट में भाजपा की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब सत्ता अहंकारी, निरंकुश और पूंजीपतियों की वफादार हो जाए तो जनता के पास वोट की चोट की ताकत होती है। इससे वह सत्ता को सबक सिखा सकती है।राकेश टिकैत नए कृषि कानूनों को वापस करने की मांग पर दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर कई महीनों से जमे हुए हैं। वह इसे किसानों के लिए काला कानून बता चुके हैं।

धरना खत्म करने को तैयार नहीं किसान नेता

उधर कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन जारी है। किसान किसी भी कीमत पर अपना धरना खत्म करने के लिए तैयार नहीं है। 26 जनवरी को हुए कांड के बाद से धरना स्थल पर भले ही पहले वाली भीड़ नहीं दिख रही है मगर फिर भी कुछ किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए तैयार नहीं है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत तो पहले से ही अड़े हुए हैं, इस बीच यदि धरना खत्म होने की कोई बात होती है तो वो कह देते हैं कि किसी भी कीमत पर धरना खत्म नहीं होगा। वो तमाम राज्यों पर जाकर वहां के किसानों से धरने को मजबूत करने की अपील कर चुके हैं।

कोरोना और गर्मी को ध्यान में रखते हुए करेंगे तैयारी

संयुक्त किसान मोर्चा गाजीपुर बार्डर के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने तय किया है कि धरने में कोरोना और गर्मी को देखते हुए खाने-पीने की व्यवस्था की जाएगी, ताकि किसी को कोई समस्या न हो। वहीं, उन्होंने कहा कि ठंड के दिनों के लिए उस हिसाब से तैयारी की गई थी, अब गर्मी को ध्यान में रखते हुए तैयारी की जा रही है।

आंदोलन स्थल पर मिलने लगे कोरोना संक्रमित

किसान आंदोलन के बीच टीकरी बॉर्डर पर आई पश्चिम बंगाल की युवती की कोरोना से मौत होने के बाद भी यहां पर हालात नहीं बदल रहे हैं। रोजाना सभा चल रही है। मास्क और दूरी से पूरी तरह परहेज किया जा रहा है। काेई टेस्टिंग के लिए भी तैयार नहीं हुआ है। इन हालातों में आंदोलन के बीच कोरोना संक्रमण फैलने की संभावना बनी हुई है। इस बीच शनिवार को मृतक युवती मोमिता बसु की अस्थियां लेकर उसके पिता उत्पल बसु आंदोलन के बीच टीकरी बॉर्डर के मंच पर पहुंचे। यहां आंदोलनकारियों ने मोमिता को श्रद्धांजलि दी। अहम बात यह है कि मृतका मोमिता के पिता ने कोरोना की दूसरी लहर के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि सरकार की बदइंतजामी के कारण ही ऐसा हो रहा है। आंदोलन की शुरुआत से लेकर दूसरी लहर आने तक आंदोलनकारी एक ही बात कहते रहे हैं कि कोरोना कुछ नहीं है। यह एक षड्यंत्र है।

कई आंदोलनकारियों के बीच रही थी युवती

पश्चिम बंगाल की जिस युवती की कोरोना से मौत हुई है, वह कई दिनों से आंदोलन में आई हुई थी। अलग-अलग तंबुओं में आंदोलनकारियों के बीच रही। करीब 10 दिन पहले उसकी तबीयत बिगड़ी थी। पहले साधारण दवाई ली। बाद में जब दिक्कत आई तो उसे सिविल अस्पताल और पीजीआइ ले जाया गया। बाद में शहर के निजी अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया। कोविड प्रोटोकॉल से उसका अंतिम संस्कार किया गया।

दिल्ली के गैंग 786 ने कारोबारी को इस नए अंदाज में भेजा धमकी भरा कार्ड, बोले 20 दिन में समेट लो कारोबार नहीं तो...

कोरोना से मां और बहन की हो गई मौत, उसके बाद भी दूसरों के जीवन से इस तरह से कर रहा था खिलवाड़, पढ़ें पूरी कहानी

श्मशान घाट पर लोगों की भीड़ को देखकर एक किसान ने दान कर दी अपनी करोड़ों की जमीन, पढ़ें पूरी स्टोरी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.