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Kisan Andolan: आंदोलन खत्म करने का फैसला टला, संयुक्त किसान मोर्चा कल ले सकता है अंतिम निर्णय

Kisan Andolan संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में आंदोलन समाप्त करने पर विचार हो रहा है। किसान मोर्चा बुधवार को आंदोलन समाप्त करने की घोषणा कर सकता है। केंद्र सरकार की ओर से संयुक्त किसान मोर्चा के पास पत्र भेजा गया है।

By Jp YadavEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 07:56 AM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 05:34 PM (IST)
Kisan Andolan: आंदोलन खत्म करने का फैसला टला, संयुक्त किसान मोर्चा कल ले सकता है अंतिम निर्णय
बुधवार को हो सकता है किसान आंदोलन खत्म करने का एलान

नई दिल्ली/सोनीपत/गाजियाबाद [संजय निधि]। आंदोलन समाप्त करने पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में फिलहाल कोई निर्णय नहीं हो पाया। मोर्चा की बैठक बुधवार को दो बजे फिर से बुलाई गई है। इसमें आंदोलन समाप्त करने पर निर्णय हो सकता है। कृषि कानून वापस लेने के कारण अधिकतर किसान संगठन आंदोलन वापस लेने के पक्ष में हैं। केंद्र सरकार भी एमएसपी पर कमेटी गठित करने के साथ ही आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमे वापस लेने पर अपनी सहमति दी है।

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सरकार की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि आंदोलन समाप्त करने के बाद मुकदमे भी वापस ले लिए जाएंगे। आंदोलन के दौरान जान गंवाने वालों के स्वजनों को मुआवजे देने को लेकर भी सरकार ने प्रस्ताव भेजा है। इस पर भी मोर्चा के नेता विमर्श कर रहे हैं। बुधवार को होने वाली बैठक में इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से संयुक्त किसान मोर्चा के पास पत्र भेजा गया है। पत्र में हरियाणा और उत्तर प्रदेश में दर्ज मुकदमे वापस लेने सहित अन्य मांगों पर भी सहमति जताई गई है। विद्युत संशोधन विधेयक-2020 पर भारत सरकार ने सभी हितधारक राज्यों से बात करने और समाधान निकालने का आश्वासन दिया है।

वहीं, जानकारी मिल रही है कि संयुक्त किसान मोर्चा के पास गृह मंत्रालय से संदेश आया है। इसमें धारा 302 व 307 के तहत दर्ज मुकदमों को छोड़कर अन्य मुकदमे वापस लेने की बात कही गई है। एमएसपी पर कमेटी बनाने और कमेटी में मोर्चा के नेताओं को भी शामिल करने की भी बात है। फिलहाल मोर्चा की बैठक जारी है। मांगों पर सहमति बनने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा अब आंदाेलन वापस लेने पर भी विचार कर रहा है। एक-डेढ़ घंटे में कोई ठोस निर्णय होने की संभावना है।

(नोट--गृह मंत्रालय द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा को भेजे गए ड्राफ्ट की कॉपी।)

गौरतलब है कि किसान संगठन के नेताओं की बैठक से पहले ही अचानक 5 सदस्यीय कमेटी मोर्चा कार्यालय से निकल कर कहीं और रवाना हो गई थी। बाद में पता चला कि केंद्र सरकार के नुमाइंदों के साथ एमएसपी समेत कई मुद्दों पर बैठक चली थी। इस बैठक में गुरनाम चढूनी और शिवकुमार कक्का समेत कई नेता मौजूद थे। यह भी जानकारी सामने आई कि इस बैठक को बेहद गोपनीय रखा गया। अगर सारी बातों पर सहमति बन जाती है तो इसका सार्वजनिक रूप से ऐलान किया जाएगा, वरना नहीं।

गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने के बावजूद यूपी, हरियाणा और पंजाबा के किसान दिल्ली के बार्डर पर जमा हैं और धरना प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। किसान प्रदर्शनकारियों के रुख से लगता नहीं है कि दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर जारी आंदोलन खत्म होगा। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार से बातचीत के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से गठित पांच सदस्यीय कमेटी को सरकार की ओर से वार्ता का कोई न्योता नहीं मिला। इस संबंध में अंतिम निर्णय मंगलवार को होने वाली मोर्चा की बैठक में लिया जाएगा। माना जा रहा है कि किसान आंदोलन अभी जारी रहेगा।

दरअसल, दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा मंगलवार को अहम निर्णय लेगा। दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर पर दोपहर 12 बजे होने वाली बैठक में आंदोलन के भविष्य पर निर्णय हो सकता है। कृषि कानूनों की वापसी के बाद मोर्चा ने एमएसपी गारंटी का कानून बनाने सहित छह मांगों पर विचार के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। साथ ही इन मांगों पर सरकार के साथ वार्ता के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनाई थी, लेकिन बातचीत के लिए सरकार की ओर से कोई न्योता नहीं आया। कमेटी के सदस्यों ने इस शर्मनाक बताते हुए प्रदर्शन को तेज करने और दिल्ली कूच की बात कही थी। संयुक्त मोर्चा की दोपहर होने वाली बैठक में सरकार पर वार्ता के लिए दबाव बनाने को लेकर आंदोलन को तेज करने पर निर्णय लिया जा सकता है।

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गौरतलब है कि सरकार से वार्ता के लिए गठित कमेटी के सदस्य युद्धवीर सिंह ने स्पष्ट किया कहा था कि सरकार यह फैलाने का प्रयास कर रही है कि किसानों की मांग पूरी हो गई, लेकिन वे स्पष्ट करना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी में जो छह मांगों शामिल हैं, उनमें से कोई मांग ऐसी नहीं है जो मांगपत्र से बाहर हो। कृषि कानून वापसी के अलावा बचे हुए विषयों को ही सरकार के सामने रखा गया है। सरकार यदि मांगों का निराकरण नहीं करती है तो मोर्चा के पहले से तय कार्यक्रमों को जारी रहेंगे। उन्होंने साफ कि उनका मिशन यूपी कार्यक्रम जारी है और दिल्ली कूच पर भी निर्णय लिया जा सकता है।


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