Move to Jagran APP

Kisan Andolan: बरसात से बचने के लिए किसानों ने अपनाया नया तरीका, अब वॉटर प्रूफ टेंट में बैठकर देंगे धरना

बीते दिनों से हो रही बारिश से बचने के लिए किसान अब धरना स्थल पर भी मजबूत टेंट लगाने लगे हैं। ये टेंट वाटरप्रूफ हैं। बारिश आने पर अब धरना स्थल पर बैठे किसानों को कोई परेशानी नहीं होगी। उन्हें धरना स्थल से उठकर नहीं भागना पड़ेगा।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 12:42 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jan 2021 12:42 PM (IST)
Kisan Andolan: बरसात से बचने के लिए किसानों ने अपनाया नया तरीका, अब वॉटर प्रूफ टेंट में बैठकर देंगे धरना
सिंघु बार्डर पर किसानों के धरना स्थल को बारिश से बचाने के लिए लगाया गया विशेष वाटरप्रूफ टेंट।

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। बीते दिनों से हो रही बारिश से बचने के लिए किसान अब धरना स्थल पर भी मजबूत टेंट लगाने लगे हैं। ये टेंट वाटरप्रूफ हैं। बारिश आने पर अब धरना स्थल पर बैठे किसानों को कोई परेशानी नहीं होगी। उन्हें धरना स्थल से उठकर नहीं भागना पड़ेगा।

loksabha election banner

दरअसल, साल 2021 के शुरू होने के बाद से ही रोज बारिश हो रही है। इस वजह से किसानों का धरना-प्रदर्शन काफी प्रभावित हो रहा है। किसानों के समर्थन में आने वाले लोगों की संख्या भी घटने लगी है। इसे देखते हुए बुधवार को धरना स्थल पर भी टेंट लगाए गए। हालांकि टेंट लगाने का काम देर शाम तक पूरा नहीं हुआ था। 

यूपी गेट पर चल रहे धरना स्थल पर भी अब इसी तरह से टेंट लगाए जा रहे हैं जिससे यहां भी धरना दे रहे किसान बरसात से बच सके। बरसात की वजह से इन धरना स्थलों पर रखे गए खाने पीने के सामान, लकड़ियां आदि भीग गए। भीगने से कुछ किसानों की तबियत भी खराब हो गई। उसके बाद ये तय किया गया कि अब इन जगहों पर वाटर प्रूफ टेंट लगाए जाएंगे जिससे धरने पर बैठे किसान किसी भी तरह से बरसात में भीगे नहीं। 

राष्ट्रीय राजमार्ग-एक पर बैठे किसानों का राशन भी बारिश की वजह से खराब हो रहा है। इसको देखते हुए किसान अपने राशन को बचाने के लिए टेंट के ऊपर से एक ओर प्लास्टिक का तिरपाल लगा रहे हैं, ताकि भविष्य में अगर बारिश आए तो उनको परेशानी न हो। उधर, जो किसान ट्रैक्टर-ट्रालियां लेकर आए हैं, उन्हें रात में सोने की कोई परेशानी नहीं है। जो लोग किसानों के समर्थन में आए हैं, उन्हें टेंट में ही सोना पड़ रहा है। बारिश में उनके बिस्तर भी भीग गए हैं। उन्हें दूसरी जगह तलाशनी पड़ रही है। 

कृषि कानूनों के विरोध में 41 दिन से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। वे कृषि कानूनों को ही रद करवाना चाहते हैं। इसलिए कोई समाधान नहीं निकल रहा है। चार जनवरी को सरकार से वार्ता विफल होने के बाद से सिंघु बार्डर पर किसानों की संख्या में भी थोड़ी कमी आई है। 

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.