Kisan Andolan: आंदोलन स्थल पर कोरोना वायरस को लेकर किसान कह देते हैं हैरान करने वाली बातें, आप भी जानें
टीकरी बार्डर पर चल रहे आंदोलन के बीच एक दिन सात किसानों द्वारा वैक्सीन लगवाने के बाद हालात फिर पहले जैसे बन गए हैं। दो दिन से रोजाना टीम यहां पर वैक्सीन लेकर किसानों का इंतजार कर रही है मगर कोई नहीं आ रहा है।
जागरण संवाददाता, दिल्ली/ बहादुरगढ़ । टीकरी बार्डर पर चल रहे आंदोलन के बीच एक दिन सात किसानों द्वारा वैक्सीन लगवाने के बाद हालात फिर पहले जैसे बन गए हैं। दो दिन से रोजाना टीम यहां पर वैक्सीन लेकर किसानों का इंतजार कर रही है, मगर कोई नहीं आ रहा है। ऐसे में आंदोलनकारियों द्वारा वैक्सीनेशन में सहयोग दिए जाने की उम्मीद भी धूमिल हो रही है।
किसान नेता नहीं कर रहे सहयोग
दरअसल, दिक्कत यह है कि इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे संगठनों के नेता यह वैक्सीन लगवाने के लिए न तो आगे आ रहे हैं और बातें भी सहयोगात्मक नहीं कर रहे हैं। कोई नेता मंच पर कोरोना कुछ न होने की बात कह देता है। कोई कह देता है कि वैक्सीन जबरदस्ती नहीं लगने देंगे। जिसको लगवानी होगी, वे लगवा लेंगे। शायद इसीलिए आंदोलन स्थल पर डटे किसान भी वैक्सीन के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। उनमें से भी ज्यादातर यही बात दोहरा देते हैं कि कोरोना तो कुछ है ही नहीं।
पिंड विच लगवाएंगे वैक्सीन
कुछ इसमें सहयोग देने से बचने के लिए कह देते हैं वे तो अपने पिंड (गांव) विच वैक्सीन लगवाएंगे। मगर दिक्कत यह है कि ऐसे आंदोलनकारी कहीं पर भी वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं। 24 अप्रैल को तो यहां पर सात किसानों ने वैक्सीन लगवाई। इसमें ज्यादातर पंजाब के थे। मगर उसके बाद एक भी किसान यह वैक्सीन लगवाने के लिए तैयार नहीं हुआ। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसके लिए खूब कोशिश की जा चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आंदोलनकारियों की रोजाना हो रही सभा। पंजाब से आना-जाना यह सब बड़ा रिस्क है। ये कोरोना कैरियर बन सकते हैं। बेहतर है कि सभी कोरोना से बचाव करें और संक्रमण को फैलने से रोकें।
दूसरी ओर एक बड़ी समस्या और भी है। यहां पर न शौचालय, न पानी, न सफाई, न कूलर मौजूद हैं। ऐसे में गर्मी का मौसम कर्मचारियों के लिए दुश्वारियों भरा है। आंदोलन स्थल पर लगाए गए मेडिकल कैंपों के जरिये किसानों को तो आवश्यक दवाइयां उपलब्ध हो रही है, मगर इन कैंपों में जरूरी सुविधाओं के अभाव में यहां पर ड्यूटी देने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के बीमार होने का डर बना हुआ है। मेडिकल कैंप एक तंबू में है। इसमें न सफाई हो रही, न आसपास में शौचालय है। न पानी की मुकम्मल व्यवस्था है और न ही कूलर है।
तंबू में लगा है मेडिकल कैंप
सेक्टर-नौ मोड़ के पास लगे कैंप में ऐसे ही हालात नजर आए। इसी कैंप में वैक्सीनेशन भी होना है। एक दिन तो यहां पर सात आंदोलनकारियों द्वारा वैक्सीन लगवा ली गई, मगर उसके बाद कोई आगे नहीं आ रहा। वैक्सीनेशन का विषय तो अलग है, यहां पर दिनभर में आंदोलनकारियों के लिए चिकित्सा सुविधा के तौर पर लगे इस कैंप में सर्दी के मौसम में तो कर्मचारियों को दिक्कत नहीं आई, लेकिन अब गर्मी का मौसम यहां पर ड्यूटी देने वाले कर्मचारियों के लिए दुश्वारियों भरा है। यहां पर एक साथ कई परेशानी हैं। कैंप में कदम रखते ही किसी को भी यहां की समस्या का अहसास अपने आप हो जाता है।
तंबू में सफाई की कमी साफ दिखती है। एक कोने में रखे स्टैंडिं फैन की हवा लू की तरह शरीर में चुभती है। पानी की कोई व्यवस्था नजर नहीं आती। यदि किसी कर्मचारी को शौचालय की जरूरत पड़े तो वह भी आसपास में नहीं। दिन-प्रतिदिन तेज होती धूप के कारण तंबू भी तपता है। उसकी हीट से कुछ देर के लिए मेडिकल कैंप में बैठना मुश्किल होता है, लेकिन स्वास्थ्यकर्मी इसी माहौल में यहां पर दिनभर बैठते हैं। हालात ऐसे हैं कि अपने तंबुओं में एसी और कूलर की हवा पाने वाले किसान जब दवा लेने के लिए मेडिकल कैंप में पहुंचते हैं तो उन्हें भी यहां पर गर्मी का अहसास होता है।