Delhi News : दिल्ली को हराभरा करने के लिए केजरीवाल सरकार का महत्वपूर्ण फैसला, वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए 15 दिन में मांगी रिपोर्ट
दिल्ली में ड़कों के किनारे हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए एक केन्द्रीय निगरानी टीम का भी गठन किया गया है। इसमें पीडब्ल्यूडी एनडीपीएल जल बोर्ड बीएसईएस आदि के अधिकारी शामिल होंगे। यह टीम कार्य की निगरानी करेगी ताकि दिल्ली की सड़कों को तेजी से हरा भरा बनाया जा सके।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली सरकार ने सड़कों के किनारे हरियाली बढ़ाने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया है। जिला स्तरीय यह टास्क फोर्स सड़कों के अधिकार क्षेत्र और रखरखाव से जुड़ी सभी एजेंसियों के साथ तालमेल बनाकर उनके किनारे हरियाली में इजाफा करेगी, ताकि वाहनों के चलते होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके।पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दिल्ली की सड़कों को हरा भरा बनाने के लिए सभी संबंधित एजेंसियों के साथ बैठक की। बैठक में वन विभाग, पीडब्ल्यूडी, डीएसआइआइडीसी, दिल्ली के निगम एवं सड़कों के रखरखाव से जुड़ी अन्य एजेंसियों के उच्च अधिकारी मौजूद रहे।
बैठक में धूल प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए सभी एजेंसियों को 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट देने को कहा गया है कि कैसे सड़कों के किनारे की हरियाली बढ़ाई जा सकती है।पर्यावरण मंत्री ने कहा कि सड़कों के अधिकार और रखरखाव से जुड़ी सभी एजेंसियां अपनी सड़कों पर हरित क्षेत्र की उपलब्धता का निरीक्षण करेंगी। साथ ही रोड मै¨पग के जरिए पता लगाया जाएगा कि किस क्षेत्र में कितना और किस तरह का हरित क्षेत्र मौजूद है। इसे बेहतर और खराब दो वर्गों में विभाजित कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही उन जगहों की भी मैपिंग की जानी चाहिए, जहां हरित क्षेत्र ना के बराबर है। इस तरह की रोड मै¨पग के जरिए एक एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा। इसके अनुसार ही आगे पौधरोपण और हरित क्षेत्र बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। पर्यावरण मंत्री ने बताया कि सड़कों के किनारे हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए एक केन्द्रीय निगरानी टीम का भी गठन किया गया है। इसमें पीडब्ल्यूडी, एनडीपीएल, जल बोर्ड, बीएसईएस आदि के अधिकारी शामिल होंगे। यह टीम इस पूरे कार्य की निगरानी करेगी, ताकि दिल्ली की सड़कों को तेजी से हरा भरा बनाया जा सके।
दिल्ली में ऐसी जगहों की तलाश भी की जा रही है, जहां पौधरोपण अभियान चलाया जा सके। हाल ही में पर्यावरण विभाग की एक बैठक में डीडीए ने विकास कार्यों के चलते काटे गए एक पेड़ के बदले में दस पेड़ लगाने की बाध्यता खत्म कर दो पेड़ लगाने का प्रस्ताव किया था। इसके पीछे जमीन की उपलब्धता को कारण बताया गया था। इस पर पर्यावरण विभाग ने वन विभाग को कहा कि डीडीए के पास उपलब्ध जमीनों का पूरा विवरण लिया जाए, ताकि इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा सके।