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इस महिला अफसर ने 5 साल में एक दिन भी नहीं ली छुट्टी, अभिताभ बच्चन भी हुए कायल

एपीसोड के दौरान राकेश ने अमिताभ बच्चन द्वारा पूछे जाने पर बताया कि कलाम के साथ काम करना उनके जीवन का ऐसा हिस्सा है जिससे वे सदा प्रेरणा ग्रहण करती रहती हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 12 Sep 2019 05:57 AM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 04:06 PM (IST)
इस महिला अफसर ने 5 साल में एक दिन भी नहीं ली छुट्टी, अभिताभ बच्चन भी हुए कायल
इस महिला अफसर ने 5 साल में एक दिन भी नहीं ली छुट्टी, अभिताभ बच्चन भी हुए कायल

नई दिल्ली, जेएनएन। kaun banega crorepati season 11: कौन बनेगा करोड़पति सीजन 11 के एपीसोड में हॉट सीट पर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के सामने द्वारका निवासी राकेश शर्मा बैठी हैं। एपीसोड समाप्त होने तक वह पांच सवालों का सही जवाब देकर 10000 रुपये जीत चुकी हैं। एपीसोड के दौरान राकेश ने अमिताभ बच्चन द्वारा पूछे जाने पर अपने जीवन से जुड़ी कई बातें बताई। उन्होंने कहा कि वे पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम कर चुकी हैं। कलाम के साथ काम करना उनके जीवन का ऐसा हिस्सा है जिससे वे सदा प्रेरणा ग्रहण करती रहती हैं। उनकी सादगी से प्रेरित राकेश मानती हैं कि खुद की जरूरत के साथ थोड़ा समझौता करके भी यदि आप दूसरों की मदद कर देंगे तो इससे उनकी जिदंगी बदल जाएगी।

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राष्ट्रपति कार्यालय में वर्ष 2002 से 2007 तक राकेश विशेष कार्य अधिकारी के पद पर वे तैनात रहीं। अपने कार्यकाल को याद करते हुए वे बताती हैं कि कि राकेश नाम सुनकर कई बार उनके सहकर्मी इस बात का मजाक बनाते थे कि उनका चयन राष्ट्रपति कार्यालय के लिए इसलिए हो गया, क्योंकि राष्ट्रपति ने उनके नाम को सुनकर अंदाजा लगाया होगा कि राकेश किसी पुरुष का नाम है।

5 साल में एक भी छुट्टी नहीं ली
उन्होंने अमिताभ बच्चन को बताया कि वे राष्ट्रपति कार्यालय में अक्सर दो बजे रात तक कार्य करती थीं। कई बार रात साढ़े दस बजे घर आने के बाद भी उन्हें बुला लिया जाता था, जिसके बाद वे कार्यालय जातीं और वहां काम निपटाकर देर रात घर पहुंचती थीं। पांच वर्षों के दौरान उन्होंने एक भी छुट्टी नहीं ली। यहां तक कि शनिवार व रविवार को भी अक्सर वे कार्यालय में होती थीं।

पूर्व राष्ट्रपति से जुड़े एक संस्मरण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें अपनी किताब ट्री आफ लाइफ का अनुवाद करने को कहा। इस किताब में 49 कविताएं थीं। राकेश ने इस दायित्व के देने पर एपीजे अब्दुल कलाम से कहा कि वह कविता का अनुवाद नहीं कर सकतीं, इसपर कलाम ने कहा कि तुम्हें यह कार्य करना ही होगा, तुम कर सकती हो। इसके बाद एक वर्ष की मेहनत के बाद सभी 49 कविताओं का अनुवाद करने में वे सफल रहीं। उन्होंने कहा कि कलाम साहब के साथ कार्य करने में हर समय सकारात्मक माहौल रहा और कभी भी काम का बोझ महसूस नहीं हुआ।

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