K L Saigal: दिल्ली में दिल न लगा तो चल गए मुंबई, फिर '...जब दिल ही टूट गया
K L Saigal दिवंगत प्राण ने किताब केएल सैगल - द डेफिनिटिव बायोग्राफी में लिखा है कि सहगल परिवार में अपनी मां के अलावा किसी से कुछ नहीं बताते कि वो कहां है क्या कर रहे हैं।
नई दिल्ली (संजीव कुमार मिश्र)। K L Saigal: हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार कुंदन लाल सहगल। जन्म जम्मू में हुआ, बाद में परिवार जालंधर रहने लगा। यहीं रहते हुए अचानक एक दिन केएल सहगल बिना किसी से कुछ बताए घर छोड़ दिए। दिवंगत प्राण नेविल ने अपनी किताब केएल सैगल - द डेफिनिटिव बायोग्राफी में लिखा है कि सहगल परिवार में अपनी मां के अलावा किसी से कुछ नहीं बताते कि वो कहां है, क्या कर रहे हैं। कई कहानियां विभिन्न शहरों में उनके प्रवास और नौकरी से जुड़ी है। जिसमें मुरादाबाद, कानपुर, बरेली, लाहौर, शिमला और दिल्ली शहर शामिल है। सहगल के चचेरे भाई मदन पुरी के हवाले से किताब में लिखा है कि वो नौकरी की तलाश में सन 1927 में दिल्ली आए। यहां वो जालंधर निवासी अपने दो दोस्तों मोहम्मद सलाम और मोहम्मद रज्जाक के साथ रहे। दोनों दोस्त टेलीग्राफ ऑफिस में काम करते थे।
जल्द ही सहगल को दिल्ली बिजली विभाग में नौकरी मिल गई। इनके भाई रामलाल जो उस समय शाहदरा रेलवे स्टेशन पर नौकरी करते थे ने बहुत जल्द सहगल को दिल्ली रेलवे स्टेशन पर टाइम कीपर की नौकरी दिलवा दी, लेकिन यहां सहगल का दिल नहीं लगा।
करीब एक साल काम किए और अचानक एक दिन बिना किसी को कुछ बताए नौकरी छोड़ दिए। कहा जाता है कि यहां से वो शिमला गए। लेकिन समय का पहिया एक बार फिर घुमा। सहगल एक बार फिर दिल्ली आए। इस बार उन्होंने रैमिंगटन टाइपराइटर कंपनी में सेल्समैन की नौकरी की। यह नौकरी उन्हें इसलिए भी पसंद थी कि इसका स्वभाव घुमंतू था। नौकरी करते हुए उन्होंने टाइप राइटिंग सीखी ताकि ग्राहकों को प्रभावित कर सके। जब पहुंचे ज्योतिषी के पाससहगल के बारे में एक बड़ा दिलचस्प किस्सा है। वो जिस भी शहर में जाते, वहां ज्योतिषियों को अपनी कुंडली जरूर दिखाते।
कहते हैं, एक बार चांदनी चौक के प्रसिद्ध ज्योतिषी विश्वनाथ राजगढि़या के पास पहुंचे। उनके साथ उनका एक दोस्त भी था जो टाइपराइटर कंपनी में ही काम करता था। ज्योतिषी ने सहगल को बताया कि वो कंपनी के सबसे बड़े पोस्ट से रिटायर होंगे। लेकिन यह भी जानना दीगर है कि सहगल ने तो बालीवुड की राह पकड़ ली थी। अलबत्ता उनके साथ गया दोस्त जरूर कंपनी के बड़े पद से रिटायर हुआ।
जब नाटक देख भावुक हुईं सहगल की भतीजी
निर्देशक एवं अभिनेता एम सईद आलम कहते हैं कि पाकिस्तान और ओमान समेत भारत के विभिन्न शहरों में केएल सहगल की जिंदगी पर आधारित हम 90 शो कर चुके है। दरअसल, बाम्बे में नेहरू सेंटर ने सन 2003 में एम सईद को सहगल पर आधारित नाटक लिखने का जिम्मा सौंपा। जिसपर इसी साल दिसंबर में नाटक हुआ। टॉम ऑल्टर ने इसमें सूत्रधार की भूमिका निभाई। नाटक नौशाद भी देख रहे थे। ऑल्टर की निगाह पड़ी तो नौशाद को स्टेज पर बुलाया। नौशाद ने बहुत सी कहानियां भी सुनाई। जिसमें यह भी शामिल था कि कैसे सदाबहार गाना जब दिल ही टूट गया को केएल सहगल ने बिना शराब पीए गाया। लेकिन नाटक का मंचन सईद को बहुत पसंद नहीं आया। कहते हैं, सहगल का रोल जो अभिनेता निभा रहा था वो गा नहीं रहा था।
बैकग्राउंड से सहगल का गीत बज रहा था। चूंकि मैंने स्कि्रप्ट लिखी थी, इसलिए कॉपीराइट का अधिकार मेरे पास था। लिहाजा, दिल्ली आने पर मैंने दोबारा नाटक मंचित करने का सोचा। और दिसंबर 2004 में श्रीराम सेंटर में पहली बार नाटक का मंचन हुआ। केएल सहगल की भूमिका को अभिनेता उदय चंद्रा ने जीवंत कर दिया था। वो लाइव गाने गाए। हमने नाटक का अंत कुछ इस तरह किया था कि सहगल अपने आखिरी समय में नौशाद का कंपोज किया गाना सुने थे। यह सीन मंचित हुआ तो हॉल में 60-62 साल की महिला ने हाथ उठाया।
उन्होंने अपना परिचय दुर्गेश के रूप में बताया और कहा कि अभी नाटक का जो आखिरी सीन आपने दिखाया है, उसमें सहगल की भतीजी मैं ही हूं। वो मंच पर आयी और बताया कि आखिरी दिनों में उनकी तबियत खराब रहती थी। इसलिए परिवार के सदस्यों की कुछ-कुछ घंटे उनके देखभाल की डयूटी लगती थी। मेरी डयूटी रात के 10 से तड़के सुबह चार बजे तक थी। रात में मैं धार्मिक ग्रंथ पढ़ रही थी, उन्होंने कहा कि जब दिल ही टूट गया का रिकार्ड चला दो। और यह गाना सुनते हुए उन्होंने आंखें मूंद ली। बकौल सईद, केएल सहगल ने मिर्जा गालिब को घर-घर तक पहुंचाया।