JNUSU Polls 2018: एबीवीपी के लिए राह हुई मुश्किल, इस बार भी गठबंधन करेंगे वामदल
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के शिक्षकों के अनुसार, इस बार 6 से 9 सितंबर के बीच सभी पदों के लिए बहस और इसके बाद मतदान कराने की उम्मीद है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। पिछले साल 7 सितंबर के दिन अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव एवं संयुक्त सचिव के पदों के लिए बहस हुई थी और 8 सितंबर को मतदान हुआ था। जेएनयू के शिक्षकों के अनुसार, इस बार 6 से 9 सितंबर के बीच सभी पदों के लिए बहस और इसके बाद मतदान कराने की उम्मीद है। 10 से 12 सितंबर के बीच छात्रसंघ चुनाव के परिणाम घोषित हो सकते हैं।
इस साल भी वामदलों के छात्र संगठन गठबंधन कर चुनाव में उतरेंगे। जेएनयू में आइसा (ऑल इंडिया स्टूडेंट यूनियन) के सदस्य बालाजी ने बताया कि इस बार भी छात्रसंघ चुनाव में एसएफआइ, डीएसएफ जैसे छात्र संगठन आइसा के साथ गठबंधन करेंगे। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि जेएनयू में पिछले दो साल से बेहद तानाशाही रवैया अपनाया जा रहा है। छात्रों की बातों को अनसुना किया जा रहा है।
यहां पर बता दें कि 2017 में छात्र संगठन चुनाव में दक्षिण और वाम विचारों का सियासी प्रतीक बन चुके जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ लेफ्ट यूनिटी ने जीत हासिल की थी। छात्रसंघ के सेंट्रल पैनल की सभी चार सीटों पर लेफ्ट यूनिटी को अच्छे अंतर से जीत हासिल हुई थी। लेफ्ट संगठनों में आॅल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट फेडरेशन आॅफ इंडिया (एसएफआई) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) ने मिलकर चुनाव लड़ा था।
छात्रसंघ चुनाव परिणाम में आइसा की गीता कुमारी को अध्यक्ष पद पद पर जीत हासिल हुई थी। गीता कुमारी ने 1506 वोट हासिल करके अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की उम्मीदवार को हराया था। लेफ्ट की ही सिमोन जोया खान (आइसा) को उपाध्यक्ष, दुग्गीराला श्रीकृष्ण (एसएफआई) को महासचिव और शुभांशु सिंह (डीएसएफ) को संयुक्त सचिव पद पर जीत हासिल हुई थी।
लेफ्ट ने चारों सीटें अच्छे अंतर से जीत लीं थी, लेकिन जेएनयू में हमेशा बहुत कमजोर स्थिति में रहने वाले एबीवीपी ने सभी चार सीटों पर दूसरा स्थान हासिल किया था।
विवादों में रहा है जेएनयू
9 फरवरी, 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम में जेएनयू के कुछ छात्रों पर देशविरोधी नारे लगाने के आरोप लगे थे, जिसके बाद जेएनयू पूरे देश में चर्चा में था और इस तरह की तमाम अफवाहें फैलाई गईं कि जेएनयू के छात्र देश तोड़ने वाली गतिविधियों में शामिल रहते हैं. इसके बाद भी आइसा और एसएफआई ने मिलकर चुनाव लड़ा था और सेंट्रल पैनल की सभी चार सीटें जीत ली थीं. अध्यक्ष पद पर मोहित कुमार पांडेय की जगह आइसा की ही गीता कुमारी ने ली है.
अंबेडकरवादी छात्र संगठन बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (बापसा) को सभी सीटों पर तीसरा स्थान मिला है. डी राजा की बेटी अपराजिता राजा अध्यक्ष पद के लिए एआईएसएफ की उम्मीदवार थीं जिन्हें 416 वोटों के साथ पांचवा स्थान हासिल हुआ है. निर्दलीय उम्मीदवार फारूक आलम को 419 वोट हासिल हुए.
कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई को नोटा से भी कम वोट मिले हैं. साइंस स्कूल के ज्यादातर छात्रों ने नोटा को वोटा दिया. नोटा पर कुल 1512 वोट मिले हैं, जबकि एनएसयूआई को सभी सीटों पर कुल मिलाकर 728 वोट मिले.