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Delhi: जेएनयू कराएगा क्षेत्रीय भाषाओं में गैर तकनीकी पाठ्यक्रम की पढ़ाई

जेएनयू कुलपति की मानें तो सर्वाधिक नोबल पुरस्कार प्राप्त टॉप 10 देशों में पीएचडी तक की पढ़ाई मातृभाषा में कराई जाती है। प्रतिभाएं निखर कर सामने आएंगी। जेएनयू इस दिशा में गंभीरता से प्रयास कर रहा है। यही नहीं जेएनयू चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम भी शुरू करेगा।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 03:16 PM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 03:16 PM (IST)
Delhi: जेएनयू कराएगा क्षेत्रीय भाषाओं में गैर तकनीकी पाठ्यक्रम की पढ़ाई
जेएनयू में नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए गठित कमेटी में हुई चर्चा

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) जल्द गैर तकनीकी पाठ्यक्रमों की पढ़ाई क्षेत्रीय भाषा में कराएगा। जेएनयू कुलपति ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा है कि क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई की बाबत चर्चा हुई है। अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। हालांकि जेएनयू क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई से पहले हिंदी में पढ़ाई शुरू करना सुनिश्चित कर रहा है। जेएनयू में नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए एक कमेटी भी गठित की गई है। कमेटी की हाल ही में हुई बैठक में नई शिक्षा नीति लागू करने का रोडमैप तैयार किया गया।

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कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि जेएनयू ही नहीं बाकि अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में दूर दराज के गांवों के बच्चे दाखिला लेते हैं। यदि छात्र अपनी क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई करेंगे तो अवसर बढ़ेंगे ही।

टॉप 10 देशों में पीएचडी तक की पढ़ाई मातृभाषा में कराई जाती है 

जेएनयू कुलपति की मानें तो सर्वाधिक नोबल पुरस्कार प्राप्त टॉप 10 देशों में पीएचडी तक की पढ़ाई मातृभाषा में कराई जाती है। प्रतिभाएं निखर कर सामने आएंगी। जेएनयू इस दिशा में गंभीरता से प्रयास कर रहा है। यही नहीं जेएनयू चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम भी शुरू करेगा। स्नातकोत्तर के वो पाठ्यक्रम जिनमें प्रयोगशाला की जरुरत नहीं होती, उनकी पढ़ाई भी ऑनलाइन कराने पर मंथन चल रहा है।

छात्रों को मिलेगा लाभ

बकौल जेएनयू कुलपति राजनीति विज्ञान, आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय संबंध सरीखे पाठ्यक्रमों की पढ़ाई ऑनलाइन संचालित की जा सकती है। कुलपति की मानें तो विभिन्न पाठ्यक्रमों की ऑनलाइन पढ़ाई होगी, करीब पांच लाख से अधिक छात्रों को वो ही पाठ्यक्रम पढ़ाए जाएंगे जो परिसर में पढ़ाए जाते हैं। यानी छात्रों को घर बैठे अपनी क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का अवसर मिलेगा। जेएनयू के इस पहल से उन छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी जिनकी अंग्रेजी कमजोर होती है। मातृ भाषा में छात्रों को ज्यादा समझ में आएगा। 

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