Janmashtami 2020: दिल्ली में जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू, मंदिर में प्रवेश से पहले होगी थर्मल स्क्रीनिंग
मंदिर में आने वाले हर श्रद्धालु की प्रवेश से पहले गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी। मंदिर के अंदर जगह जगह सैनिटाइजर रखा जाएगा।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली के सभी प्रमुख मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू हो गई हैं। 12 अगस्त को जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाएगी। कोरोना संक्रमण के बीच श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचने की उम्मीद में मंदिर समितियों ने मंदिर के अंदर बैरिकेडिंग करने का निर्णय लिया है, ताकि लोग शारीरिक दूरी के हिसाब से भगवान के दर्शन कर सकें, वहीं बिरला मंदिर में इस साल भगवान की झांकियां नहीं सजाई जाएंगी। बिरला मंदिर समिति के प्रबंधन विनोद मिश्रा ने बताया कि राम जन्म भूमि पूजन को मंदिर में एक उत्सव की तरह मनाया गया था। अब इसके बाद जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। सरकार के दिशा निर्देश के हिसाब से ही मंदिर में पूजन किया जाएगा।
वहीं, मंदिर में हर साल भगवान की झांकियां सजाई जाती थीं, लेकिन इस साल मंदिर में कोरोना संक्रमण को देखते हुए झांकियां नहीं लगाई जाएंगी। श्रद्धालु केवल भगवान के दर्शन करेंगे और मंदिर में प्रसाद नहीं चढ़ाया जाएगा। झंडेवालान मंदिर के प्रबंधक रविंद्र गोयल ने बताया कि इस साल मंदिर के अंदर भी भक्तों की भीड़ को देखते हुए बैरिकेडिंग की जाएगी, जिससे भक्तों के बीच शारीरिक दूरी बनी रहे। वहीं, मंदिर में भगवान के भव्य दर्शन का इंतजाम किया जा रहा है।
मंदिर में आने वाले हर श्रद्धालु की प्रवेश से पहले गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी। मंदिर के अंदर जगह जगह सैनिटाइजर रखा जाएगा। इसके अलावा कनॉट प्लेस स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर के महंत सुरेश शर्मा का कहना है कि भूमि पूजन की तरह ही मंदिर को जन्माष्टमी पर सजाया जाएगा, ताकि हर भक्त अपने आराध्य के आस्था के साथ दर्शन कर सकें।
कम हैं मूर्तिकार, घटा आकार पर श्रद्धा बरकरार
दिल्ली समेत पूरे देश में 22 अगस्त को गणोश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाएगा। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते इस बार कम मूर्तिकार ही गणोश की मूर्तियों को आकार दे रहे हैं। तैयार मूर्तियों का आकार तीन फीट से अधिक नहीं होगा। प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की जगह चिकनी मिट्टी से मूर्तियां तैयार की जा रही हैं, जिनके खूब आर्डर मिल रहे हैं। पंचकुइयां रोड पर मूर्तियां बनाने वाले कुछ मूर्तिकारों ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनके अधिकतर साथी अपने-अपने गांव चले गए हैं। वे दिल्ली-एनसीआर में कोरोना की मौजूदा स्थिति को देखते हुए वापसी के मूड में नहीं हैं। इस कारण कम मूर्तिकार ही दिखाई दे रहे हैं।
गणोश चतुर्थी के उत्सव में अब केवल दो सप्ताह का समय बचा है। ऐसे में हर साल एक महीने पहले ही इस उत्सव की तैयारियां दिखने लगती थी। दिल्ली के यमुना पुल, पंचकुइयां मार्ग, महाराणा प्रताप मार्ग, अक्षरधाम मंदिर के पास, यमुना विहार, करनाल रोड, गाजीपुर, कश्मीरी गेट बस अड्डा समेत कई इलाकों में सड़क किनारे मूर्तियां तैयार होने लग जाती थीं, लेकिन इस वर्ष ऐसा नहीं है।