कुरान की आयतों को हटाने संबंधी विवाद में उतरा जमीयत उलेमा-ए-हिंद
कुरान की आयतों को हटाने संबंधी विवाद में जमीयत उलेमा-ए-हिंद भी उतरा है। साथ ही उसने कहा है कि इस मसले पर कोई निर्णय लेने का संवैधानिक अधिकार सुप्रीम कोर्ट के पास नहीं है। इसलिए इससे संबंधित याचिका वह खारिज कर दें।
बता दें कि उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कुरान की 26 आयत को हिंसा बढ़ाने वाला बताते हुए इसे हटाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। जिसपर उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। हालांकि, इस मांग के चलते वसीम रिजवी को देशभर से विरोध का सामना करना पड़ रहा है। उनके गला काटकर मारने का ईनाम भी रख दिया है। देशभर में जगह-जगह उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन का दौर चल रहा है। उनके गिरफ्तारी के साथ उन्हें फांसी पर लटकाने तक की मांग हो रही है।
पवित्र कुरान मुसलमानों के लिए मार्गदर्शक और श्रद्धा की सर्वश्रेष्ठ प्रथम किताब है और पूरा इस्लाम धर्म इसी पर स्थापित है। इसके बिना इस्लाम धर्म की कोई कल्पना नहीं है। इसलिए हम प्रबुद्ध नागरिक होने के नाते सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना करते हैं कि वह इस अर्जी को पहली सुनवाई में ख़ारिज (निरस्त) कर दें और इस फितने (विवाद) का समाधान करें।
हमें अपनी तरफ से ऐसा कोई मार्ग नहीं चुनना चाहिए जिससे अदालतों के लिए गुंजाइश निकलती हो कि वह इन मामलात में जो उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं हस्तक्षेप कर सकें। जमीयत उलमा ए हिंद सभी धर्मों के प्रमुखों का ध्यान आकर्षित करती है कि इसे सिर्फ पवित्र कुरान मजीद पर हमला न समझा जाए बल्कि इस तरह से तमाम धर्मों के पवित्र किताबों पर हमले का मार्ग प्रशस्त होता है। इसलिए आवश्यक है कि सभी धर्म वाले बिना किसी भेदभाव के, धर्म विरोधी तत्वों के विरुद्ध एकजुट हों और उनके इन कुत्सित इरादों को असफल बनाएं।