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किडनी रैकेट में आए दिल्ली-नोएडा के नामी अस्पतालों के नाम, मचा हड़कंप

पुलिस का कहना है कि रैकेट में पद्मश्री सम्मानित एक डॉक्टर और कोलकाता, लखनऊ, दिल्ली व नोएडा के बड़े अस्पतालों के को-आर्डिनेटर सुनीता, मिथुन व सोनिका भी शामिल हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 09:25 AM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 09:25 AM (IST)
किडनी रैकेट में आए दिल्ली-नोएडा के नामी अस्पतालों के नाम, मचा हड़कंप
किडनी रैकेट में आए दिल्ली-नोएडा के नामी अस्पतालों के नाम, मचा हड़कंप

नई दिल्ली/कानपुर, जेएनएन। लाखों रुपये का लालच देकर गरीबों की किडनी-लिवर बेचने वाले गिरोह का कानपुर पुलिस ने पर्दाफाश कर छह आरोपितों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों के पास से फर्जी दस्तावेज, एटीएम, आधार कार्ड, फोटो, शैक्षिक प्रमाणपत्र, थानों, बैंकों और प्रशासनिक अधिकारियों की मुहरें बरामद की गई हैं।

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पुलिस का कहना है कि रैकेट में पद्मश्री सम्मानित एक डॉक्टर और कोलकाता, लखनऊ, दिल्ली व नोएडा के बड़े अस्पतालों के को-आर्डिनेटर सुनीता, मिथुन व सोनिका भी शामिल हैं। इसमें एक कोआर्डिनेटर पीएसआरआइ और दूसरा फोर्टिस अस्पताल में तैनात है। आरोपितों ने एक विधायक के भाई की किडनी ट्रांसप्लांट कराई थी। पुलिस सभी पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। सभी आरोपितों को जेल भेज दिया गया है।

पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपितों में कोलकाता (पश्चिम बंगाल) के राजाराट कमर शिपतला निवासी टी राजकुमार राव उर्फ राजू, लखीमपुर खीरी उप्र के मैगलगंज शिवपुरी निवासी गौरव मिश्र, बदरपुर जैतपुर कालोनी नई दिल्ली निवासी शैलेश सक्सेना, काकोरी दशहरी मोड़ प्रेमनगर लखनऊ निवासी सबूर अहमद, पनकी गंगागंज भाग दो निवासी विक्की सिंह और विक्टोरिया स्ट्रीट लखनऊ निवासी शमशाद अली शामिल हैं। वहीं चार अन्य युवकों को गवाह बनाया गया है, जिनकी किडनी निकलवाई गई लेकिन रकम नहीं दी गई थी।

एसपी साउथ रवीना त्यागी ने बताया कि गिरफ्तार सभी छह आरोपित इन अस्पतालों में मौजूद कोआर्डिनेटरों के जरिये गरीबों को जाल में फंसाते हैं। इस गिरोह का लीडर कोलकाता का टी राजकुमार राव है जो लखीमपुर खीरी के गौरव मिश्रा की मदद से पूरी चेन बना रहा था। चूंकि राजकुमार खुद भी कई साल पहले अपनी एक किडनी दे चुका था, यही बताकर वह गरीबों को मोटी रकम कमाने का लालच देता था। इसके बाद किडनी व लिवर डोनेट करने वालों को मरीजों के परिवारीजन और अस्पतालों के कोआर्डिनेटरों से मिलवाते थे। मरीजों और किडनी डोनर के फर्जी दस्तावेज नई दिल्ली निवासी शैलेश सक्सेना बना रहा था।

30 लाख में किडनी बेचते, गरीबों को देते तीन लाख मरीज के परिवारीजन से प्रति किडनी 25-30 लाख रुपये और लिवर के हिस्सों के बदले 70-80 लाख रुपये लेने वाले ये शातिर अंग देने वाले गरीबों को तीन से पांच लाख रुपये पकड़ाकर टरका देते थे।

पनकी का विक्की फंसा रहा था शिकार

कानपुर स्थित पनकी गंगागंज निवासी विक्की गरीबों को गिरोह के सदस्य टी राजकुमार और गौरव से मिलवाता था। इसी तरह लखनऊ में गिरोह का संचालन काकोरी का सबूर अहमद व चौक का शमशाद कर रहे थे।

अपोलो कांड में जेल जा चुका राजकुमार

एसपी साउथ ने बताया कि गिरफ्तार सरगना टी राजकुमार राव 2016 में अपोलो हास्पिटल में किडनी गिरोह के पर्दाफाश में जेल जा चुका है। जेल से छूटने के बाद उसने फिर पुराना काम शुरू कर दिया। वहीं सबूर 2015 में जालंधर में किडनी बेचने के मामले में जेल भेजा गया था।

ऐसे खुला मामला

बांदा की एक महिला को किडनी बेचने के लिए गाजियाबाद के एक अस्पताल में भेजा गया। फर्जी प्रपत्र बनाने पर वह चली आई। उस पर दबाव बनाया जाने लगा तो उसने पुलिस से शिकायत की।

डॉ. दीपक शुक्ला (मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पीएसआरआइ) का कहना है कि संस्थान की छवि साफ रही है और किडनी प्रत्यारोपण कार्यक्रम में कोई अनैतिक चीजें नहीं होतीं। किडनी रैकेट में अस्पताल का नाम आने की उन्हें जानकारी नहीं है। यदि ऐसी कोई बात सामने आई है तो देखा जाएगा कि यह अफवाह कैसे उड़ाई जा रही है। 

 फोर्टिस अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि मीडिया में फोर्टिस पर लग रहे सभी आरोप झूठे हैं। हम सरकार द्वारा बनाए गए सभी अंग प्रत्यारोपण नियमों और विनियमों का कड़ाई से पालन करते हैं। प्रोटोकॉल के अनुसार, सभी आवश्यक कागज प्रलेखन प्राप्त करने के अलावा, परीक्षण दाता और प्राप्तकर्ता के बीच संबंध स्थापित करने के लिए एचएलए (मानव ल्यूकोसाइट एंटीजन) किया जाता है और केवल पोस्ट मिलान, प्रत्यारोपण किया जाता है।


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