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दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 से पहले केजरीवाल को लगा सबसे बड़ा झटका

राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो आम आदमी पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव हारने से अधिक कांग्रेस का मजबूत होना अधिक नुकसानदायक है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 23 May 2019 01:22 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 07:28 AM (IST)
दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 से पहले केजरीवाल को लगा सबसे बड़ा झटका
दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 से पहले केजरीवाल को लगा सबसे बड़ा झटका

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। लोकसभा चुनाव के लिए हो रही मतगणना के रुझानों ने आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) को परेशान कर दिया है। AAP के नेता जहां भाजपा से सीधे लड़ाई की बात कर रहे थे, वहीं पार्टी कई सीटों पर तीसरे नंबर पर पहुंच गई है। अभी तक की स्थिति यह है कि AAP के अधिकतर प्रत्याशी तीसरे नंबर पर चले गए हैं। रुझानों की बात करें तो दक्षिणी दिल्ली से आप प्रत्याशी राघव चढ्ढा ही ऐसे प्रत्याशी हैं जो दूसरे नंबर पर चल रहे हैं, अन्यथा अन्य सभी प्रत्याशी तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं। यहां तक कि उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से जिन दिलीप पांडेय को सबसे मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा था। कांग्रेस की शीला दीक्षित ने ही उन्हें पीछे धकेल दिया है।

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बहरहाल, यह हालात दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के लिए अच्छे संकेत नही हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो आप के लिए लोकसभा चुनाव हारने से अधिक कांग्रेस का मजबूत होना अधिक नुकसानदायक है। यह सर्वविदित है कि  कांग्रेस का वोट अपनी ओर खींच कर ही आम आदमी पार्टी 2015 में 70 में से 67 सीटें जीत पर दिल्ली की सत्ता में आई थी। उसके बाद दिल्ली में 2017 में हुए नगर निगम चुनाव में आप दूसरे नंबर की पार्टी जरूर बनी मगर सत्ता में नही आ सकी। इसके साथ ही दिल्ली में दो विधानसभा उप चुनाव हुए हैं इनमें आप एक चुनाव जीती है और एक हारी है। मगर इस लोकसभा चुनाव में जो परिणाम सामने आ रहे हैं। इसके बारे में आप को अनुमान भी नही था कि है इनकी हालत इतनी खराब हो जाएगी।

बता दें कि आम आदमी पार्टी दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ और गोवा में सभी सीटों पर चुनाव लड़ी है। हरियाणा को छोड़ दें तो इन सभी पांच राज्यों में आप ने सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी लड़ाए हैं। हरियाणा में जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर उनसे 10 में से तीन सीटों पर अपने प्रत्याशी लड़ाए हैं। मगर आप का अधिकतर ध्यान दिल्ली पर रहा है।

इसका मुख्य कारण दिल्ली में पूर्ण बहुमत वाली इस पार्टी की सरकार होना है। 2015 में इस पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीती थीं। आप साफ तौर पर मान रही थी कि जनता में आज भी उसके समर्थन में वही माहौल बरकरार है। आप ने जिस तरह से दिल्ली में घर घर जाकर अपने समर्थन में माहौल बनाया है। दिल्ली की आप सरकार के कार्यों काे जन जन तक पहुंचाया है। आठ माह तक लगातार अपने अपने इलाकों में जाकर चुनाव प्रचार किया है। इससे उन्हें पूरा विश्वास था कि जनता उन्हें जिताएगी।

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