आधार बायोमेट्रिक से अज्ञात शवों की पहचान संभव नहीं, पांच फरवरी को होगी अगली सुनवाई
यूआइडीएआइ ने हाई कोर्ट में स्पष्ट कहा कि डाटाबेस में स्टोर रिकॉर्ड से अज्ञात शव का फिंगर प्रिंट का मिलान करना कतई संभव नहीं है।
नई दिल्ली, जेएनएन। अज्ञात शवों की पहचान के लिए आधार का इस्तेमाल करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) ने मुख्य पीठ को जानकारी दी कि डाटाबेस में स्टोर 120 करोड़ लोगों के आधार बायोमेट्रिक को अज्ञात शवों से मिलान कराना तकनीकी रूप से संभव नहीं है।
पांच फरवरी को होगी अगली सुनवाई
मुख्य न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ के समक्ष यूआइडीएआइ ने एक रिपोर्ट दाखिल की। इस पर मुख्य पीठ ने यूआइडीएआइ से कहा कि वह एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करें कि आखिर किस वजह से आधार से अज्ञात शवों की पहचान संभव नहीं है। मुख्य पीठ ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) से भी जवाब मांगा। अब अगली सुनवाई पांच फरवरी को होगी।
मिलान करना संभव नहीं
यूआइडीएआइ की तरफ से वकील जोहेब हुसैन ने कहा कि मिलान कराने के लिए सभी अंगुलियों व आंख की पुतली के प्रिंट की जरूरत होगी। अगर सिर्फ एक अंगूठे का प्रिंट स्कैन किया जाता है तो कई लोगों का यह प्रिंट एक ही तरह होने की संभावना होगी। देश में 120 करोड़ लोगों के पास आधार हैं। ऐसे में यह मिलान संभव नहीं है। यूआइडीएआइ ने हाई कोर्ट में स्पष्ट कहा कि डाटाबेस में स्टोर रिकॉर्ड से अज्ञात शव का फिंगर प्रिंट का मिलान करना कतई संभव नहीं है।