क्या उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हार से हताश हैं अखिलेश यादव? दे रहे लगातार विवादित बयान
Akhilesh Yadav Latest News विनोद बंसल (प्रवक्ता-विहिप) का कहना है कि मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते जिनकी राजनीति रसातल पर चली गई वे अब भी हिंदू द्रोह से बाज नहीं आ रहे। स्मरण रहे कि ये जनता है सब जानती है और सबको अच्छी तरह पहचानती भी है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में हार से लगता है कि समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव हताश और निराश हैं। यह उनके चेहरे के साथ उनके बयानों से भी झलकने लगा है। खासतौर कई ऐसे कई मुद्दे हैं, जिसको लेकर अखिलेश यादव के बयानों ने लोगों को हैरान किया है तो विरोधियों को हमला करने का मौका दे दिया है।
ताजा मामला ज्ञानवापी मस्जिद का है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ज्ञानवापी के बहाने भाजपा पर अंग्रेजों की तरह बांटों और राज करो फार्म्युले पर चलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भारतीय जतना पार्टी कुछ भी करवा सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यहां तक कह दिया कि भाजपा ने अयोध्या में रात के अंधेरे में मूर्तियां रखवा दी थीं।
वहीं, विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार का कहना है कि ज्ञानवापी में शिवलिंग पाए जाने पर विवादित बयान देने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ये वही पेशेवर हिंदू विरोधी लोग हैं, जो ऐसी बात बार-बार करके हिंदू समाज को अपमानित करते रहते हैं। ऐसे लोगों को जनता दो बार चुनावों में हराकर दंड दे चुकी है।
इनके अलावा, विनोद बंसल (प्रवक्ता-विहिप) का कहना है कि काशी में ज्योर्तिलिंग मिलते ही कुछ लोगों के पैरों तले मानो जमीन ही खिसक गई है। एक ओर त्योहारों को प्रतिबंधित कर शोभायात्राओं व निर्दोष हिंदुओं पर हमले करने वालों को बढ़ावा देने वाले कांग्रेसी मुख्यमंत्री हिंदुओं की आस्था को 'तमाशा'' बताते हैं।
वहीं, निहत्थे राम भक्तों पर गोलियां बरसाने वाली सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव को तो जैसे अचानक महाज्ञान मिल गया हो। उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद तो पुरानी नजर आ आ रही है, लेकिन काशी, भगवान भोले नाथ व उनका पवित्र ज्योतिर्लिंग या नंदी बाबा नहीं.? वे तो हमारे भगवान को ही पत्थर बताकर उन्हीं पर पत्थर फेंकने लगे।
उधर, हिंदू समाज को काशी के साथ मथुरा विवाद का हल भी निकलने की उम्मीद जगने लगी है। मथुरा कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर याचिका स्वीकार कर ली है। अब इस मामले की सुनवाई सिविल कोर्ट में होगी। कोर्ट के इस फैसले का विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने स्वागत किया है।
विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि पहले निचली अदालत ने पूजा स्थल कानून-1991 का हवाला देकर इससे संबंधित याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन जिला जज ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि यह मुकदमा आगे भी चलेगा। यह हमारे साथ पूरे हिंदू समाज के लिए हर्ष की बात है। हम इसका स्वागत करते हैं, क्योंकि काशी-मथुरा हिंदू भावनाओं का प्रश्न है। पूरा देश इसकी परिणति का इंतजार करेगा। हिंदू संगठनों के नेताओं का कहना है कि हिंदू समाज का मन है कि वह काशी-मथुरा में पूजा करे।
पढ़िये- अखिलेश यादव के विवादित बयान
ज्ञानवापी मामला:
अयोध्या से बेहतर कोई नहीं जानता होगा, एक समय ऐसा था कि रात के अंधेरे में मूर्तियां रख दी गईं। बीजेपी कुछ भी कर सकती है। बीजेपी कुछ भी करा सकती है।'' वह अयोध्या में एक कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। अखिलेश यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अंग्रेजों की तरह 'बांटों और राज करो' फार्म्युले पर चल रही है। ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा उठाया जा रहा है। यह स्मोक स्क्रीन है। यह मुद्दा भाजपा जानबूझकर उठा रही है। जिस तरह अंग्रेजों ने डिवाइड एंड रूल किया था उसी तरह से भाजपा भी डिवाइड एंड रूल कर रही है। इससे पहले बस्ती में उन्होंने कहा कि जहां तक धार्मिक स्थानों का सवाल है, भाजपा को 1991 ऐक्ट की परवाह नहीं है। भाजपा जानती है कि बुनियादी सवालों पर चर्चा होगी तो उसका सफाया हो जाएगा।
गोरखनाथ मंदिर मामला:
अखिलेश यादव ने अप्रैल महीने में गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर में हमला करने वाले मुर्तजा अब्बासी का बचाव किया था। अखिलेश ने कहा था कि भाजपा मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है। इसके साथ ही यह भी कहा था कि युवक दिमागी समस्या से ग्रसित है। अखिलेश यादव ने मीडिया से बातचीत के दौरान गोरखनाथ मंदिर पर किए गए हमले को लेकर कहा कि इस मामले में अभी जो जानकारी मिली और उसके (मुर्तजा के) पिता ने जो कहा है उसके हिसाब से उसे दिमागी समस्याएं हैं। उसके साथ बाइपोलर इश्यूज (मनोविकार) थे। मुझे लगता है कि यह पहलू भी देखना पड़ेगा। भाजपा तो वह पार्टी है, जो बात को बढ़ा चढ़ाकर दिखाती है।