घरों की दीवारों पर बने 'क्रॉस' के निशान, क्या यूपी में 6 परिवारों ने बदला अपना धर्म
पूर्वी उत्तर प्रदेश के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी धर्म परिवर्तन का मुद्दा गरमा गया है। इस बीच कुछ परिवारों के धर्म परिवर्तन की भी बात सामने आई है।
नई दिल्ली/हापुड़ (जेएनएन)। पूर्वी उत्तर प्रदेश के बाद अब दिल्ली से सटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी धर्म परिवर्तन का मुद्दा गरमा गया है। दिल्ली से बेहद करीब गाजियाबाद से सटे हापुड़ जिले में घरों के बाहर क्रॉस का निशान लगाने पर विवाद बढ़ता जा रहा है। इतना ही नहीं, यहां के गांव सरावा की दलित बस्ती में रहने वाले छह परिवारों द्वारा ईसाई धर्म अपनाए जाने की भी चर्चा गरम है। इन लोगों के घरों के बाहर क्रॉस बनाए जाने पर विवाद शुरू हो गया है और इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश में राजनीति भी गरमा सकती है।
मोहल्ले में रहने वाले अन्य ग्रामीण उनके इस कृत्य का विरोध कर रहे हैं। मोहल्लावासियों ने इनका सामाजिक बहिष्कार करने की घोषणा की है। इससे गांव में तनाव की स्थिति बनी हुई है। रविवार को मामले की जांच करने के लिए गांव में पुलिस पहुंची। ग्राम सरावा निवासी ग्रामीणों का कहना है कि दलित बस्ती में छह परिवार पिछले कुछ महीनों से सप्ताह में एक दिन प्रार्थना सभा का आयोजन करते हैं। इस में बाहर से कुछ लोग आते हैं, जो उपदेश देते हैं।
इन परिवारों ने अपने मकानों के बाहर क्रॉस का निशान भी बना लिया है। इन परिवारों ने धर्म परिवर्तन कर इसाई धर्म अपना लिया है। कई माह से यह सिलसिला चल रहा है। उन्होंने कहा कि इन लोगों को अपने श्मशान आदि भी अलग करने होंगे।
उन्होंने इन परिवारों का बहिष्कार कर सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग करने पर रोक लगा दी है। उनका आरोप है कि पुलिस ने शिकायत किए जाने के बावजूद मामले को दबाने का प्रयास किया। पुलिस का कहना है कि धर्म परिवर्तन का कोई मामला नहीं है। वहीं छह परिवारों के सदस्यों का कहना है कि वह मानसिक और आध्यात्मिक शांति के लिए सत्संग करते हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में इलाज के नाम पर धर्म परिवर्तन
यहां पर बता दें कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में बीमारी के इलाज के नाम पर बड़ी संख्या में गरीबों, खासकर दलित वर्ग के लोगों का धर्म परिवर्तन कराने का खेल चल रहा था। इस पूरे मामले का पुलिस ने शनिवार को भंडाफोड़ किया था। दरअसल, गुलरिहा थाना क्षेत्र के करमोदा गांव स्थित एक घर में करीब 200 महिलाएं एवं पुरुष इकट्ठा थे। एक व्यक्ति की सूचना पर पुलिस और एलआईयू टीम ने मौके पर छापेमारी की, जहां से पांच लोग गिरफ्तार किए गए।
जौनपुर में ईसाई प्रार्थना सभा स्थल पर बवाल
उप्र के जौनपुर स्थित भूलनडीह गांव के ईसाई उपासना स्थल पर प्रार्थना सभा के नाम पर चल रहा धर्मातरण का सिलसिला 11 साल बाद रविवार को टूट गया। धर्म परिवर्तन से आहत क्षत्रिय महासभा समेत अन्य हिंदू संगठनों ने हल्ला बोलते हुए सभा स्थल पर कब्जा कर लिया। इससे प्रार्थना की तैयारी में जुटे अनुयायियों में हड़कंप मच गया। पहले तो अनुयायी दो-दो हाथ करने को बढ़े लेकिन, माहौल गर्म देख सभी वहां से भाग खड़े हुए। थोड़ी ही देर बाद सभा स्थल भगवा झंडे से पट गया। तनाव को देखते हुए वहां कई थानों की पुलिस तैनात कर दी गई। फायर ब्रिगेड को भी मौके पर भेज दिया गया। प्रार्थना के लिए वहां पहुंचने वाले अनुयायियों और पुलिस में धक्का-मुक्की भी हुई और कुछ ने ईंट पत्थर भी चलाए।
सुबह होते ही दूर-दराज से आने वाले अनुयायी चंदवक थाना क्षेत्र स्थित प्रार्थना सभा स्थल की ओर पहुंचने लगे। उधर, क्षत्रिय महासभा व हंिदूू संगठन के लोग भी विरोध के लिए तैयार थे। सभा स्थल के गेट पर पहुंचने से पहले ही पुलिसकर्मियों ने अनुयायियों को रोकना शुरू कर दिया। इसके बाद सभी गेट के बाहर और आसपास के क्षेत्रों में जुटने लगे। भीड़ जमा हुई तो वहां पहुंची कुछ महिलाएं जबरन भीतर घुसने लगीं। कुछ तो वहीं सड़क पर लेट गईं। दो युवतियों ने वहीं प्रार्थना कराने का प्रयास किया तो पुलिस ने डपट कर भगा दिया। इस दौरान क्षत्रिय महासभा ने वहां नारेबाजी और प्रदर्शन शुरू कर दिया। मांग उठाई कि उपजिलाधिकारी केराकत आकर इस प्रार्थना स्थल को सीज करें लेकिन, कोतवाल शशिभूषण राय ने आश्वासन दिया कि अब यहां प्रार्थना नहीं होगी। इसके बाद महासभा के लोग वापस चले गए।
भूलनडीह तब से अब तक
भलनडीह गांव में सक्रिय ईसाई मिशनरी ने 11 वर्षों से जौनपुर, आजमगढ़, गाजीपुर के जिलों के 250 गांव में अपना नेटवर्क फैला रखा है। दस हजार से अधिक अनुयायी हर रविवार व मंगलवार को प्रार्थना के लिए गांव में जुटते हैं। अंधविश्वास और जादुई पानी के जरिये करिश्मे का विस्तार अपने ही परिवार से शुरू करने वाला दुर्गा यादव इसका संचालक है।
इस प्रकरण में कोर्ट के आदेश पर दुर्गा यादव समेत 271 लोगों पर मामला दर्ज कराया गया जा चुका है। विवेचक बदलने और मुकदमे में आरोपियों को बचाने के लिए पुलिस पर लीपापोती का आरोप भी लगा। दैनिक जागरण जनप्रतिनिधियों के बयान के साथ खबर को प्रमुखता से उठाता रहा। पुलिस ने इस मामले में रत्नेश, जियालाल, राजेंद्र और मनोज को गिरफ्तार कर लिया था। मुख्य पादरी दुर्गा यादव अभी फरार है और उसकी तलाश में दबिश पड़ रही है।