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International Women's Day 2021: “राष्ट्र निर्माण में मातृशक्ति की भूमिका” विषय पर कविता पाठ

International Womens Day 2021 दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉन-कॉलेजिएट वीमेंस एजुकेशन बोर्ड ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर “राष्ट्र निर्माण में मातृशक्ति की भूमिका” इस विषय को लेकर एक ऑनलाइन स्वरचित कविता पाठ कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम का आरम्भ सरस्वती वन्दना के साथ हुआ।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 06:05 PM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 06:05 PM (IST)
International Women's Day 2021: “राष्ट्र निर्माण में मातृशक्ति की भूमिका” विषय पर कविता पाठ
तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ऑनलाइन स्वरचित कविता पाठ कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

नई दिल्ली, जेएनएन। International Women's Day 2021: दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉन-कॉलेजिएट वीमेंस एजुकेशन बोर्ड ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर “राष्ट्र निर्माण में मातृशक्ति की भूमिका” इस विषय को लेकर एक ऑनलाइन स्वरचित कविता पाठ कार्यक्रम का आयोजन किया।

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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एम. जगदीश कुमार कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती मालविका जोशी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थी। कार्यक्रम का संचालन एनसीवेब के उप-निदेशक डॉ. उमाशंकर व सोनिया कौशिक ने किया। सोनिया कौशिक ने अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में एनसीवेब के विभिन्न केन्द्रों के प्रभारी, अध्यापक और छात्राएं भी उपस्थिती थीं। 

एनसीवेब के चेयरमैन प्रो. राजीव गुप्ता एवं एनसीवेब की निदेशक डॉ. गीता भट्ट भी कार्यक्रम में उपस्थित रही। एनसीवेब की निदेशक डॉ. गीता भट्ट ने एनसीवेब की पृष्ठभूमि और इसमें निहित उद्देश्य से सबको अवगत करवाया। एनसीवेब के चेयरमैन प्रो. राजीव गुप्ता ने मुख्यतिथि और विशिष्ट अतिथि का स्वागत किया।

कार्यक्रम का आरम्भ सरस्वती वन्दना के साथ हुआ। कार्यक्रम में ‘स्वरचित कविता-पाठ प्रतियोगिता’ का आयोजन किया गया, जिसमें छात्राओं ने स्त्री जीवन की समस्याओं व समाज में विद्यमान असमानता को लेकर अपनी मार्मिक अभिव्यक्ति प्रस्तुत की। सोनी जैन व प्रियंका कुमारी को प्रथम, ख़ुशी चौहान को द्वितीय व नेहा अंसारी को तृतीय पुरस्कार दिया गया। 

साहित्यकार मालविका जोशी ने इस अवसर पर एक स्त्री के घर व बाहर के जीवन के सामंजस्य को लेकर अपनी बात कही तथा स्त्री के लिए उसके स्वतन्त्र रूप से जीने को बहुत ज़रूरी बताया। इसके अतिरिक्त कविता व अपने जीवन के अनुभवों के माध्यम से उन्होंने स्त्री जीवन की ज़मीनी सच्चाइयों को सामने रखा। 

मुख्य अतिथि प्रो. एम. जगदीश कुमार ने अपने वक्तव्य में समाज में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाली स्त्रियों के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत किए। साथ ही अपने शैक्षणिक अनुभवों के माध्यम से उन्होंने छात्राओं को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने न केवल योग्यता को पहचानने पर बल दिया, बल्कि उसके अनुरूप परिश्रम करने को भी महत्त्वपूर्ण बताया। कार्यक्रम के अंत में प्रीति व वन्दना ने सुंदर गीत प्रस्तुत किया। 


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