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सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों के सेवाभाव से प्रेरित होकर खुश ने लिया डॉक्टर बनने का संकल्प

खुश ने संयम से काम लिया और इस संकल्प के साथ पढ़ाई की कि एक दिन वह डॉक्टर बनकर अपने परिवार का नाम ऊंचाईयों पर ले जाकर उनकी सभी परेशानियों को हल कर देंगे। ऐसे में उनके ऊपर पढ़ाई का तनाव और अधिक बढ़ गया था।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 10:39 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 10:39 AM (IST)
सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों के सेवाभाव से प्रेरित होकर खुश ने लिया डॉक्टर बनने का संकल्प
खुश गर्ग गांधी नगर स्थित राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय के छात्र हैं।

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए जो मुश्किल हालातों से भी लड़ जाए, उसे एक दिन सफलता जरूर मिलती है। यह बात विश्वास नगर में रहने वाले खुश गर्ग ने साबित कर दिखाई है। खुश ने उस समय नीट की परीक्षा दी जब उनका पूरा परिवार आर्थिक तंगी झेल रहा था। ऐसे में उनके ऊपर पढ़ाई का तनाव और अधिक बढ़ गया था। तब उन्होंने संयम से काम लिया और इस संकल्प के साथ पढ़ाई की कि एक दिन वह डॉक्टर बनकर अपने परिवार का नाम ऊंचाईयों पर ले जाकर उनकी सभी परेशानियों को हल कर देंगे।

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खुश गर्ग गांधी नगर स्थित राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय के छात्र हैं। उन्होंने नीट में सामान्य वर्ग श्रेणी में 453 रैंक हासिल की है। सरकारी स्कूल में पढ़ते हुए पहली ही बारी में उन्होंने नीट की परीक्षा पास कर ली। उनके पूरे स्कूल व परिवार को उन पर गर्व है। खुश ने बताया कि उनकी पढ़ाई में उनके शिक्षकों ने भी बहुत साथ दिया। उन्होंने बताया कि अस्पताल में डॉक्टरों का मरीजों के प्रति सेवाभाव देखकर ही उन्होंने डॉक्टर बनने का निश्चय किया। सरकारी अस्पताल में निजी अस्पतालों के मुकाबले कम सुविधाएं होती हैं, बावजूद इसके डॉक्टर पूरी निष्ठा से मरीज को अपनी सेवा देते हैं।

लॉकडाउन में आर्थिक तंगी से जूझा परिवार : खुश के पिता नवीन कुमार गर्ग एक शाहदरा में किराए की किताब दुकान चलाते हैं। उनकी मां गीतू गर्ग एक गृहिणी है और छोटा भाई सरकारी स्कूल में पढ़ता है। खुश ने बताया कि लॉकडाउन में काफी समय तक उनके पिता की दुकान बंद रही थी। जिस कारण परिवार को आर्थिक तंगी से भी गुजरना पड़ा। उसी दौरान उन्होंने नीट की परीक्षा भी दी। खुश ने बताया कि उन्होंने काफी तनाव में परीक्षा दी थी लेकिन उनके हौंसले बुलंद थे। इसलिए उन्होंने अपने परिवार व अपने सपनों के बारे में सोचते हुए पढ़ाई करते करते दिन-रात एक कर दिया। उन्होंने यह निश्चय कर लिया कि अब वह डॉक्टर बनकर अपने पूरे परिवार का नाम ऊंचा करेंगे।

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