कोयला व डीजल से नहीं अब PNG से चलेंगी फैक्ट्रियां, राजधानी में प्रदूषण पर लगेगी लगाम
दिल्ली में वैध एवं अवैध मिलाकर दो लाख से औद्योगिक इकाइयां चल रही हैं।
नई दिल्ली [ संजीव गुप्ता ]। दिल्ली की निरंतर बिगड़ती आबोहवा के बीच तमाम औद्योगिक इकाइयों को पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) से चलाने की तैयारी की जा रही है। इस बाबत इकाइयों को नोटिस भी भेजे जा रहे हैं और ऐसा करने वाली इकाइयों को एक लाख तक की प्रोत्साहन राशि देने का प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया है।
इस बीच प्रदूषित ईधन का इस्तेमाल कर रहीं औद्योगिक इकाइयों के सैंपल भी भरे जा रहे हैं। राजधानी में वैध एवं अवैध मिलाकर दो लाख से औद्योगिक इकाइयां चल रही हैं। इनमें से ज्यादातर में कोयला, डीजल, फर्नेस ऑयल और पेटकॉक सरीखे सस्ते ईधनों का उपयोग किया जा रहा है।
इनसे उद्यमी तो लाभ ले जाते हैं, मगर हवा में जहर भी घोल देते हैं। इसीलिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) एवं पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण-संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) लगातार दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) पर इस संबंध में सख्ती बरतने कर दबाव बनाते रहे हैं।
इसी दिशा में डीपीसीसी ने पहले चरण में 1530 औद्योगिक इकाइयों को नोटिस भेजा। इनमें से 472 ने पीएनजी का कनेक्शन ले लिया है। दूसरे चरण में अब कुछ और इकाइयों को नोटिस भेजने की तैयारी चल रही है। प्रदूषित ईधन छोड़कर पीएनजी में आने वाली इकाइयों को प्रोत्साहन राशि देने की भी योजना है।
बताया जाता है कि छोटी इकाइयों को 50 हजार रुपये जबकि बड़ी इकाइयों को एक लाख की प्रोत्साहन राशि का प्रस्ताव बना लिया गया है। दूसरी तरफ स्वच्छ ईधन नहीं अपनाने वाली इकाइयों के सैंपल भी लिए जा रहे हैं। सीपीसीबी को मिली सूचना के अनुसार डीपीसीसी ने 52 औद्योगिक इकाइयों के सैंपल भरे हैं, जिनमें से 12 में प्रदूषित ईधन प्रयुक्त हो रहा था। इन सभी के सैंपल जांच के लिए ईपीसीए को भेज दिए गए हैं।
ए सुधाकर (सदस्य सचिव, सीपीसीबी) के मुताबिक, दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने की दो मुख्य वजहें हैं। एक, वाहनों का धुआं और दूसरा, औद्योगिक इकाइयों से हो रहा प्रदूषण। यदि सुधार की दिशा में प्रक्रिया शुरू हुई है तो अच्छी बात है। उम्मीद है कि इसपर ईमानदारी और सख्ती से काम होगा।