Indian Railways: कैफियत एक्सप्रेस के मार्ग में किया गया बदलाव, जान लें नया रूट और समय
16 अगस्त से यह नए मार्ग मानकनगर-ऐशबाग होकर चलेगी। ऐशबाग और बादशाहनगर स्टेशनों पर इसका ठहराव भी होगा। 16 अगस्त से पुरानी दिल्ली से आजमगढ़ के लिए यात्रा आरंभ करने वाली 12226 नंबर की यह ट्रेन ऐशबाग सुबह 03.45 बजे और बादशाहनगर सुबह 04.20 बजे पहुंचेगी।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। पुरानी दिल्ली से आजमगढ़ के बीच चलने वाली कैफियत एक्सप्रेस के मार्ग में बदलाव किया जा रहा है। यह ट्रेन मानकनगर-लखनऊ ऐशबाग के रास्ते चलती है। 16 अगस्त से यह नए मार्ग मानकनगर-ऐशबाग होकर चलेगी। ऐशबाग और बादशाहनगर स्टेशनों पर इसका ठहराव भी होगा। 16 अगस्त से पुरानी दिल्ली से आजमगढ़ के लिए यात्रा आरंभ करने वाली 12226 नंबर की यह ट्रेन ऐशबाग सुबह 03.45 बजे और बादशाहनगर सुबह 04.20 बजे पहुंचेगी।
वापसी में 17 अगस्त से आजमगढ़ से पुरानी दिल्ली के लिए रवाना होने वाली 12225 नंबर की ट्रेन रात को ऐशबाग 11.05 बजे और बादशाहनगर रात 10.23 बजे पहुंचेगी। इन स्टेशनों पर इस ट्रेन का ठहराव क्रमश: 10 और तीन मिनट के लिए होगा।
पहाडगंज स्थित तीर्थयात्री केन्द्र में दो साल से एक भी पर्यटक नहीं ठहराया
भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका की खराब अर्थव्यवस्था के चलते पर्यटकों के लिए भारत में बनाए गए तीर्थयात्री केन्द्रों में सन्नाटा पसरा हुआ है। जहां इन केन्द्रों पर एक बार में दो सौ से तीन सौ यात्री रुकते थे वहीं पिछले दो साल से कोरोना संक्रमण के समय बंद हुए तीर्थयात्री केन्द्र अब तक खुल नहीं पाए हैं। इन केन्द्रों में काम करने वाले कर्मचारियों और केन्द्रों के आस-पास के दुकानदार भी प्रभावित हुए हैं।
श्रीलंका दूतावास से संबद्ध अधिकारियों ने बताया कि कोरोना संक्रमण के समय विदेश यात्राओं पर रोक के चलते इस केन्द्र को बंद किया गया था। इसके बाद इस केन्द्र को पूरी क्षमता से चालू नहीं किया जा सका। बीते वर्ष दो से तीन माह के लिए इस केन्द्र को संचालित किया गया था। इसके बाद से यह केन्द्र बंद है। जबकि इससे पहले इस केन्द्र में साल भर में 20 हजार से अधिक तीर्थयात्री भारत आते और ठहरते थे लेकिन केन्द्र में काम करने वाले अधिकारियों का कहना है कि बिगड़े आर्थिक हालातों की वजह से कोई भी तार्थयात्री समूह लंबे समय से यात्रा पर नहीं आया है।
आस-पास के कारोबारी भी हुए प्रभावित
श्रीलंकाई तीर्थयात्री दिल्ली में अशोक के शिलालेख समेत पूरे भारत में भ्रमण के लिए तीर्थयात्री केन्द्र पहुंचते थे। इन यात्रियों के इस केन्द्र में ठहरने पर आस-पास के होटल और ढ़ाबा कारोबारियों को नियमित ग्राहक मिलते थे। वहीं इस केन्द्र में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी काम करते थे लेकिन केन्द्र बंद होने से केवल सुरक्षाकर्मी ही काम कर रहे हैं। बाकी सफाई कर्मचारी और अन्य काम करने वाले कर्मचारी नहीं आते हैं। ऐसे में स्थानीय लोगों का रोजगार भी इन केन्द्रों के बंद होने से कम हो गया है।