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देश को मिली पहली चालक रहित मेट्रो, जानिये- पीएम मोदी के संबोधन के 6 अहम बिंदु

पीएम ने कहा कि 2014 में सिर्फ 5 शहरों में मेट्रो रेल थी। आज 18 शहरों में मेट्रो रेल की सेवा है। वर्ष 2025 तक हम इसे 25 से ज्यादा शहरों तक विस्तार देने वाले हैं। साल 2014 में देश में सिर्फ 248 किलोमीटर मेट्रो लाइन्स आपरेशनल थीं।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 28 Dec 2020 11:57 AM (IST)Updated: Mon, 28 Dec 2020 11:57 AM (IST)
देश को मिली पहली चालक रहित मेट्रो, जानिये- पीएम मोदी के संबोधन के 6 अहम बिंदु
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाइल फोटो ।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को तय कार्यक्रम के अनुसार, चालक रहित मेट्रो का उद्घाटन करने के साथ नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड की भी शुरुआत की। इस मौके पर पीएम मोदी ने अपने संबोधन में भविष्य की कई योजनाओं और तकनीकी का भी जिक्र किया। आइये पीएम मोदी के संबोधन को 6 प्वाइंट में जानते हैं कि आखिर उन्होंने किन बिंदुओं पर खास जोर दिया।

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मेक इन इंडिया के विस्तार पर जोर

पीएम मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ने मेट्रो पॉलिसी बनाई और उसे चौतरफा रणनीति के साथ लागू भी किया। हमने जोर दिया स्थानीय मांग के हिसाब से काम करने पर, हमने जोर दिया स्थानीय मानकों को बढ़ावा देने पर, हमने जोर दिया मेक इन इंडिया विस्तार पर और हमने जोर दिया आधुनिक टेक्नोलॉजी के उपयोग पर। उन्होंने कहा कि ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं ये करोड़ों भारतीयों के जीवन में आ रही Ease of Living के प्रमाण हैं। ये सिर्फ ईंट पत्थर, कंक्रीट और लोहे से बने इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं बल्कि देश के नागरिकों, देश के मिडिल क्लास की आकांक्षा पूरा होने के साक्ष्य हैं।

2025 तक 25 शहरों में दौड़ेगी मेट्रो

उन्होंने यह भी कहा कि 2014 में सिर्फ 5 शहरों में मेट्रो रेल थी। आज 18 शहरों में मेट्रो रेल की सेवा है। वर्ष 2025 तक हम इसे 25 से ज्यादा शहरों तक विस्तार देने वाले हैं। साल 2014 में देश में सिर्फ 248 किलोमीटर मेट्रो लाइन्स आपरेशनल थीं। आज ये करीब तीन गुनी यानी सात सौ किलोमीटर से ज्यादा है। वर्ष 2025 तक हम इसका विस्तार 1700 किलोमीटर तक करने का प्रयास कर रहे हैं।

बहुपयोगी होगी नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड

पीएम मोदी ने यह भी कहा कि आधुनिकीकरण के लिए एक ही तरह के मानक और सुविधाएं उपलब्ध कराना बहुत जरूरी है। राष्ट्रीय स्तर पर कॉमन मोबिलिटी कार्ड इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। आप जहां कहीं से भी यात्रा करें, आप जिस भी सार्वजनिक परिवहन से यात्रा करें, ये एक कार्ड आपको integrated access देगा।

दुनिया के कई देशों की बराबरी में खड़ा हुआ भारत

पीएम मोदी ने इस मौके पर यह भी कहा कि हम ऐसे ब्रेकिंग सिस्टम का भी प्रयोग कर रहे हैं, जिनमें ब्रेक लगाने पर 50 फीसद ऊर्जा वापस ग्रिड में चली जाती है। वर्तमान में मेट्रो रेल में 130 मेगावाट सोलर पावर का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे बढ़ाकर 600 मेगावाट तक ले जाया जाएगा। अभी मुझे बिना ड्राइवर के चलनी वाले मेट्रो रेल का उद्घाटन करने का अवसर मिला है। आज इस उपलब्धि के साथ ही हमारा देश दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जहां इस तरह की सुविधा हैं। आज चार बड़ी कंपनियां देश में ही मेट्रो कोच का निर्माण कर रही हैं। दर्जनों कंपनिया मेट्रो कंपोनेंट्स के निर्माण में जुटी हैं। इससे Make in India के साथ ही, आत्मनिर्भर भारत के अभियान को मदद मिल रही है।

मेक इन इंडिया जरूरी

मेट्रो सर्विसेस के विस्तार के लिए, मेक इन इंडिया महत्वपूर्ण है। मेक इन इंडिया से लागत कम होती है, विदेशी मुद्रा बचती है, और देश में ही लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है। रोलिंग स्टॉक के मानकीकरण से हर कोच की लागत अब 12 करोड़ से घटकर 8 करोड़ पहुंच गयी है। RRTS- दिल्ली मेरठ RRTS का शानदार मॉडल दिल्ली और मेरठ की दूरी को घटाकर एक घंटे से भी कम कर देगा। मेट्रोलाइट- उन शहरों में जहां यात्री संख्या कम है वहां मेट्रोलाइट वर्जन पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 40 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है।

अलग शहरों में अलग मेट्रो की तैयारी

मेट्रो नियो - जिन शहरों में सवारियां और भी कम है वहां पर मेट्रो नियो पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 25 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है। इसी तरह है वॉटर मेट्रो- ये भी आउट ऑफ द बॉक्स सोच का उदाहरण है। हमने ध्यान दिया कि मेट्रो का विस्तार, ट्रांसपोर्ट के आधुनिक तौर-तरीकों का इस्तेमाल शहर के लोगों की जरूरतों और वहां की प्रोफेशनल लाइफस्टाइल के हिसाब से ही होना चाहिए। यही वजह है कि अलग अलग शहरों में अलग अलग तरह की मेट्रो रेल पर काम हो रहा है।

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