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25 मिनट तक युवती की शिकायत सुनता रहा SHO, पढ़ें- फिर क्या किया

दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी न आना गंभीर चिंता का विषय है। यह स्थिति दर्शाती है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 03:17 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 03:26 PM (IST)
25 मिनट तक युवती की शिकायत सुनता रहा SHO, पढ़ें- फिर क्या किया
25 मिनट तक युवती की शिकायत सुनता रहा SHO, पढ़ें- फिर क्या किया

नई दिल्ली (जेएनएन)। तमाम प्रयासों और सामाजिक संगठनों के दबाव के बावजूद दिल्ली पुलिस के स्वभाव में बदलाव नहीं हो रहा है। ताजा मामले में दिल्ली पुलिस पर एक युवती ने गंभीर आरोप लगाया है। युवती के मुताबिक, छेड़छाड़ की शिकायत करने के बाद भी पुलिसकर्मियों ने कोई कदम नहीं उठाया।

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समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, युवती के साथ पार्क में अनजान शख्स ने छेड़छाड़ की कोशिश की। यह शिकायत लेकर युवती जब पुलिस वाले के साथ पहुंची तो उसे हैरान करने वाला अनुभव मिला। युवती ने बताया कि उसके साथ पुलिसकर्मी और एसएचओ ने विपरीत व्यवहार किया। उसके मुताबिक, एसएचओ ने 20-25 मिनट तक उसकी बात सुनी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। 

यहां पर बता दें कि महत्वपूर्ण जांच में ढिलाई बरतने से आरोपियों का छूट जाना, दंगे को नियत्रंण में न कर पाना, महिलाओं की सुरक्षा में अक्सर नाकाम रहना और पासपोर्ट, किरायेदारी और विदेशियों का पुलिस वेरिफिकेशन, म्यूजिक प्रोग्राम के लिए एनओसी मामले में लापरवाही बरतना दिल्ली पुलिस की आदत बन गई है। अब युवती से यह मामला हैरान करने वाला है। इससे पहले एएसआइ के बेटे द्वारा युवती की पिटाई का मामला सामने आया था। 

यहां पर बता दें कि दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी न आना गंभीर चिंता का विषय है। यह स्थिति दर्शाती है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म कांड के बाद से राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में कई स्तरों पर बहुत बड़ी-बड़ी बातें हुई हैं। कई योजनाएं भी बनाई गईं, उनपर कुछ अमल भी हुआ, लेकिन नतीजा धरातल पर कहीं नजर नहीं आया। दिल्ली में दुष्कर्म की घटनाओं के आंकड़ों पर गौर करें तो विगत तीन वर्षों से ये संख्या दो हजार के ऊपर बनी हुई है। 

प्रश्न यह उठता है कि आखिर क्या वजह है कि कई स्तरों पर गंभीर चिंता जताए जाने और इस दिशा में प्रयास भी किए जाने के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है? क्या ऐसा है कि जो उपाय किए गए हैं, वे नाकाफी हैं जिसकी वजह से वे प्रभावी नजर नहीं आ रहे हैं या फिर सरकारी उदासीनता इन उपायों पर भारी पड़ रही है।


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