आनलाइन जुआ खिलाने वाली वेबसाइट के मामले में केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के सामने रखा अपना पक्ष, जानिए क्या कहा
आनलाइन जुआ खिलाने वाली विभिन्न वेबसाइट पर कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार ने बुधवार को हलफनामा दाखिल कर दिल्ली हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखा। उसमें कहा कि इस तरह की वेबसाइटों पर कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। आनलाइन जुआ खिलाने वाली विभिन्न वेबसाइट पर कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार ने बुधवार को हलफनामा दाखिल कर दिल्ली हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखा। उसमें कहा कि इस तरह की वेबसाइटों पर कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है। इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआइटीवाइ) ऐसी वेबसाइटों को ब्लाक करने का निर्देश देने के लिए अधिकृत नहीं है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि आनलाइन जुआ खतरनाक है।
युवाओं को दांव पर लगाकर इन वेबसाइटों को कमाई करने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता। याचिकाकर्ता अविनाश मेहरोत्रा ने याचिका में कहा कि जुआ की गतिविधियां कानून में स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित हैं। विभिन्न राज्यों में तो नये कानून भी बनाए गए हैं, लेकिन उनमें कुछ कमियों के कारण आनलाइन प्लेटफार्म पर यह गतिविधियां चल रही हैं। इसमें आनलाइन जुआ खिलाने वाली वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने के लिए एमईआइटीवाइ, वित्त मंत्रालय और दिल्ली सरकार को निर्देश जारी करने की मांग की गई थी। याचिका पर पिछली सुनवाई में जवाब मांगा गया था। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष केंद्र सरकार ने हलफनामा किया। उसमें कहा कि जुआ या सट्टेबाजी से संबंधित मुद्दों पर कार्रवाई करने के लिए एमईआइटीवाइ को कोई आदेश नहीं है।
यह स्पष्ट रूप से राज्य विधानमंडल की विधायी क्षमता के अंतर्गत आता है। केंद्र सरकारी की तरफ से कहा गया कि याचिकाकर्ता ने सिक्किम, नागालैंड, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु को पक्षकार नहीं बनाया है। जिन्होंने ऐसे कानून बनाए हैं, जो विशेष रूप से आनलाइन गेमिंग को नियंत्रित करते हैं। इस मामले में इन राज्यों के विचारों को सुनना अहम है। पीठ ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 11 अक्टूबर तय की है।