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तीन श्रेणियों में बांटकर नियमित होगी दिल्ली की सभी अनधिकृत कॉलोनियां

दिल्ली की सभी 1797 अनधिकृत कॉलोनियों को तीन श्रेणियों में बांटने की सिफारिश की गई है। पहली श्रेणी में वे कॉलोनियां होंगी जो सरकारी जमीन पर बसी हैं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 18 Jun 2019 12:13 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 12:13 PM (IST)
तीन श्रेणियों में बांटकर नियमित होगी दिल्ली की सभी अनधिकृत कॉलोनियां
तीन श्रेणियों में बांटकर नियमित होगी दिल्ली की सभी अनधिकृत कॉलोनियां

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। लंबी रस्साकशी के बाद दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों के दिन अब बहुरने वाले हैं। इनके विकास का खाका तैयार है। अगले माह इसे केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी भी मिल जाएगी। ऐसी तमाम कॉलोनियों को तीन श्रेणियों में बांटकर नियमित किया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार उपराज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों को ही हरी झंडी देने जा रही है।

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इस रिपोर्ट में दिल्ली की सभी 1,797 अनधिकृत कॉलोनियों को तीन श्रेणियों में बांटने की सिफारिश की गई है। पहली श्रेणी में वे कॉलोनियां होंगी जो सरकारी जमीन पर बसी हैं। दूसरी श्रेणी में वे कॉलोनियां शामिल रहेंगी जो ग्राम सभा की उस जमीन पर बसी हैं, जिस पर सरकार कब्जा नहीं ले सकी। तीसरी श्रेणी में प्राइवेट जमीन पर बसी अनधिकृत कॉलोनियों रहेंगी।

पहली श्रेणी में रहने वालों को नाममात्र के शुल्क पर मालिकाना हक दिया जाएगा। अगर मकान का क्षेत्रफल 200 वर्ग मीटर से कम है तो सर्किल रेट का एक फीसद और अगर इससे ज्यादा है तो दो फीसद की दर से भुगतान करना होगा। दूसरी श्रेणी में मालिकाना हक का शुल्क तय करने पर विचार चल रहा है। हालांकि इस श्रेणी की कॉलोनियों को उपराज्यपाल की मंजूरी से शहरीकृत गांव में शामिल करने का प्रस्ताव किया गया है, जबकि तीसरी श्रेणी के लिए कोई शुल्क नहीं होगा।

सूत्र बताते हैं कि एलजी की रिपोर्ट में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की भी इस संदर्भ में बड़ी भूमिका तय की गई है। सबसे पहले डीडीए दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग की मदद से इन कॉलोनियों की रिमोट सेंसिंग और ड्रोन के जरिये मै¨पग करेगा, ताकि उनका डाटा अपडेट किया जा सके। इसके बाद डीडीए एक सिंगल ¨वडो या पोर्टल शुरू कर शुल्क लेने की व्यवस्था करेगा।

सूत्रों के मुताबिक एलजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि डीडीए ही इन कॉलोनियों के लिए विकास मानक तय कर उन्हें अधिसूचित करेगा। ये मानक सामान्य कॉलोनियों से थोड़ा नरम एवं अलग होंगे। डीडीए इन कॉलोनियों में खाली जगह ढूंढकर वहां पार्क व सामुदायिक भवन जैसी सुविधाएं भी शुरू करेगा।

डीडीए और केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रलय के सूत्रों की मानें तो एलजी की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों पर उच्चस्तरीय बैठकों का दौर जारी है। जल्द इस पर कैबिनेट नोट तैयार हो जाएगा। संभावना है कि जुलाई माह में इन कॉलोनियों को नियमित करने की नीति को स्वीकृति दे दी जाएगी। इसके बाद डीडीए युद्ध स्तर पर इन्हें नियमित करने की नीति पर क्रियान्वयन शुरू कर देगा।

तीन कॉलोनियों को राहत नहीं

एलजी ने अपनी रिपोर्ट में तीन बड़ी कॉलोनियों सैनिक फार्म, महेंद्रू एन्क्लेव और अनंतराम डेयरी को नियमित करने की कोई सिफारिश नहीं की है। दरअसल, ये वे कॉलोनियां हैं, जो वन विभाग, यमुना खादर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की जमीन पर बसी हुई हैं।

दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों के मुद्दे पर उपराज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल की अध्यक्षता में बनी समिति ने एक सप्ताह पहले ही रिपोर्ट केंद्रीय आवास और शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने और यहां के निवासियों को मालिकाना या स्थानांतरण अधिकार प्रदान करने के लिए प्रक्रिया की सिफारिश की गई है।

दरअसल, लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पूर्व केंद्र सरकार ने उपराज्यपाल से 90 दिनों के भीतर इस बाबत अपनी विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा था। रिपोर्ट मिलने के बाद पुरी ने ट्वीट कर कहा था कि, मुङो यह घोषणा करने में खुशी हो रही है कि उपराज्यपाल अनिल बैजल ने यह रिपोर्ट मुङो निर्धारित समय सीमा में सौंप दी है। अब हम इस रिपोर्ट पर स्वीकृति की दिशा में अपनी प्रक्रिया शुरू करेंगे।

बता दें कि दिल्ली में लगभग 18 सौ अनधिकृत कॉलोनियां हैं जिनमें तकरीबन 40 लाख की आबादी रहती है। एक बड़ा वोट बैंक होने के कारण ये कॉलोनियां लोकसभा चुनाव में भी बड़ा मुद्दा रही थीं और हर चुनाव में ही मुद्दा बनती रही हैं। इसीलिए उपराज्यपाल की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिए हैं कि यहां के लोगों को जमीन का मालिकाना भला कैसे दिया जाए।

सातवें दशक से चली आ रही मांग
राजधानी में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का सिलसिला सातवें दशक में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के जमाने से ही शुरू हो गया था। अलग-अलग समय में करीब 550 अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की घोषणा की गई, लेकिन आज भी इन कॉलोनियों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। बाद में बसी और नियमित की जा चुकीं कॉलोनियों का हाल भी कमोबेश ऐसा ही है।

वर्ष 2008 में कांग्रेस की प्रदेश सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 12 सौ से अधिक अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का अस्थायी प्रमाण पत्र बांटकर जीत अपने नाम कर ली थी। कांग्रेस की सरकार ने वर्ष 2012 में भी 895 अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की अधिसूचना जारी कर दी। लेकिन, तकनीकी खामियों की वजह से इन कालोनियों को नियमित करने का काम कागजों में ही हो पाया है। इनमें संपत्तियों की खरीद-बिक्री आज तक शुरू नहीं कराई जा सकी।

आंकड़ों पर गौर करें तो राजधानी में लगभग 18 सौ अनधिकृत कॉलोनियां हैं। विडंबना यह कि आज भी इन कालोनियों को नियमित करने की रस्साकशी जारी है। केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी के मुताबिक कुछ समय पूर्व केंद्र सरकार इन कालोनियों को नियमित करने के लिए मंत्रलय में सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई थी, लेकिन इस बारे में जब दिल्ली सरकार से राय मांगी गई तो कहा गया कि उन्हें ऐसी कॉलोनियों की मैपिंग करने में कम से कम दो साल का समय लग जाएगा।

केंद्र को उपराज्यपाल अनिल बैजल की अध्यक्षता में ही एक कमेटी गठित कर 90 दिनों में इस बाबत एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया। दूसरी ओर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार हमेशा केंद्र सरकार पर ही आरोप लगाती रही है कि केंद्र सरकार इन्हें नियमित नहीं करना चाहती। इस मुद्दे को उठाकर राजनीतिक पार्टियां अपनी राजनीतिक रोटी सेंकती रही हैं।
 

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