गांवों की दशा बदलने में जुटा IIT दिल्ली, हर तरफ दिखेगा पॉजिटिव बदलाव, पढ़ें रोचक स्टोरी
आइआइटी-दिल्ली पांच गांवों को संवारने में जुटा है। इन गांवों में विभिन्न योजनाओं के जरिये मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। इसके अलावा भी यहां कई सकारात्मक बदलाव दिखेंगे।
नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। उन्नत भारत योजना के तहत गांवों में विकास की नई इबारत लिखी जा रही है। पगडंडियों से होते हुए विकास की बयार गांव में दाखिल हो चुकी है। जो अपने साथ पक्के स्कूल, आजीविका के साधन, लाइब्रेरी, सड़क जैसी सुविधाएं लेकर आयी है। इसी शृंखला में देश के पांच गांवों को संवारने में जुटा है आइआइटी-दिल्ली। इन गांवों में विभिन्न योजनाओं के जरिये न सिर्फ मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं, बल्कि बच्चों और युवाओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी विकसित किया जा रहा है।
राही कार्यक्रम रहा है सफल
प्रो. वीके विजय ने बताया कि आइआइटी ने उन्नत भारत योजना के तहत गांवों को पांच क्लस्टर में बांटा है, जहां विकास कार्य किए जा रहे हैं। ये हैं, हरिद्वार का गैंडीखाता, गुरुग्राम का पहाड़ी गांव व खुर्रमनगर, आगरा में आमलखेड़ा व मथुरा क्लस्टर। मथुरा व आगरा क्लस्टर में प्राथमिक शिक्षा पर ज्यादा जोर है। मथुरा में राही कार्यक्रम काफी सफल रहा। यह एक सरकारी स्कूल में बतौर प्रयोग शुरू हुआ था, जो अब 24 सरकारी स्कूलों में सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है।
खेल-खेल में विज्ञान सीखेंगे छात्र
राही के तहत स्कूल के बच्चों को आसपास के क्षेत्रों में हो रहे विकास कार्य, सरकारी प्रयोगशालाएं, वैज्ञानिक तरीके से चल रही गोशालाएं, ऐतिहासिक स्थान दिखाए जाते हैं। यह एक दिन का कार्यक्रम होता है। इसके अलावा, यहां सरकारी स्कूलों में अध्ययन संवाद केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें खेल-खेल में बच्चों को विज्ञान सिखाने पर जोर रहता है। साथी प्रोग्राम भी यहां चलाया गया, जिसके तहत सरकारी स्कूलों में छोटे निर्माण कार्य गांव वालों की सहायता से करवाए गए। जैसे कुर्सी-बेंच आदि लगवाना। वहीं, आगरा के आमलखेड़ा में यूके के एक विश्वविद्यालय के साथ मिलकर सौर ऊर्जा से संचालित होने वाला कोल्ड स्टोरेज भी बनाया रहा है। इसका कार्य कोरोना की वजह से पांच महीने पिछड़ गया है।
मशरूम और लेमनग्रास की खेती
हरिद्वार का गैंडीखाता इलाका गंगापार के अति पिछड़े इलाकों में शामिल है। यहां लोगों की आजीविका के स्थायी साधनों को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। इसी के तहत यहां मशरूम और लेमनग्रास की खेती करवाई गई। किसानों के साथ मिलकर यहां की पारंपरिक खेती में बदलाव किए गए और वर्तमान परिस्थितियों के साथ तालमेल बैठाया गया।
स्कूल-सड़क बनवाए गए
प्रो. वीके विजय बताते हैं कि गुरुग्राम के खुर्रमनगर में विभिन्न मंत्रालयों के साथ मिलकर विकास कार्य किए गए, जिसमें सड़क बनवाना, स्कूल खुलवाना शामिल है। इसके अलावा, एक बड़ा प्रोजेक्ट वेटलैंड की जमीनों को वापस कृषि योग्य भूमि में बदलने का भी है। यह प्रोजेक्ट अभी चल ही रहा है। गांव वालों की मांग पर पहाड़ी गांव में आइआइटी एल्युमिनाइ की ओर से 20 लाख रुपये लागत से बनने वाले एक पुस्तकालय की आधारशिला भी रखी गई है।
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