IIT Delhi ने विकसित की तकनीक, अब एक घंटे में संभव होगी डेंगू- एचआइवी की जांच
IIT Delhi के विज्ञानियों ने एक ऐसा डिवाइस बनाने का दावा किया है जो महज एक घंटे के अंदर डेंगू की पुष्टि कर सकेगा। इसका आकार बहुत छोटा होगा एवं आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान लेकर जा सकेंगे। इसे चलाना भी बहुत आसान होगा।
नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-दिल्ली(IIT Delhi) के विज्ञानियों ने एक ऐसा डिवाइस बनाने का दावा किया है जो महज एक घंटे के अंदर डेंगू की पुष्टि कर सकेगा। इसका आकार बहुत छोटा होगा एवं आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान लेकर जा सकेंगे। इसे चलाना भी बहुत आसान होगा। स्वास्थ्यकर्मी आसानी से काॅलोनियों में इसकी मदद से टेस्ट कर डेंगू की रोकथाम कर सकते हैं।
तीन चरणों से गुजरेगी प्रक्रिया
भौतिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर जेपी सिंह ने बताया कि यह सरफेस इंहैस्ड रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी (एसईआरएस) पर आधारित है। जिस पर सिल्वर नैनोराड बायोसेंसर लगे होते हैं। बकौल जेपी सिंह यह यूरीन और प्रेग्नेंसी किट की तरह ही काम करता है। केवल दो माइक्रोलीटर ब्लड सीरम सेंसर चिप पर डालते हैं एवं 785 नैनोमीटर लेजर बीम लाइट इस पर प्रक्षेपित करते हैं। जिससे डिवाइस सीरम में मौजूद प्रोटीन को पढ़ना शुरू कर देता है। दरअसल, डेंगू वायरस के अंदर अलग अलग प्रोटीन होते हैं। गोल्ड बायोमार्कर (एनएस-1) इनमें से एक प्रोटीन है, जिसे डिवाइस बड़ी आसानी से पढ़ लेता है। एवं इसकी मात्रा अधिक या कम है ये बता देता है।
इस तरह बताएगा रिजल्ट
यहां यह ध्यान देने योग्य बात है कि डिवाइस टेस्ट संबंधी डेटा को एक साफ्टवेयर की मदद से जाना जाता है। प्रो जेपी सिंह कहते हैं कि इस साफ्टवेयर को प्रिंसिपल कंपोनेंट एनलाइजर (पीसीए) कहते हैं। जो डिवाइस से प्राप्त आंकड़ों को पढ़कर तीन श्रेणियों में टेस्ट रिजल्ट बताएगा। पहला पाॅजिटिव, दूसरा निगेटिव एवं तीसरा हेल्दी। प्रो जेपी सिंह ने बताया कि फिलहाल प्रोटो टाइप डिवाइस तैयार किया गया है। आइआइटी विज्ञानी इसे और अधिक उन्नत बना रहे हैं। ताकि हरे एवं लाल रंग के प्रकाश के जरिए ही डेंगू की टेस्ट रिपोर्ट बताई जा सके। लाल का मतलब होगा पाॅजिटिव एवं हरे का मतलब निगेटिव।
वर्तमान जांच प्रक्रिया लंबी
कई प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसमें वायरस के न्यूक्लिक अम्लों की पहचान करना भी शामिल है, जिसमें रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस पॉलीमरेस चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) कही जाने वाली तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, यह प्रक्रिया लंबी होती है। इसके लिए महंगे उपकरणों की जरूरत होती है। आइआइटी ने बताया कि राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान के निर्देशन में ट्रायल के दौरान सैकड़ों मरीजों के खून की जांच की गई है। जो बिल्कुल सही था। यही नहीं राष्ट्रीय एडस अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर आइआइटी ने एसईआरएस आधारित तकनीक एचआइवी-1 वायरस की जांच के लिए भी किया गया था। इसका परिणाम भी सकारात्मक था। यानी यह डिवाइस एक घंटे के अंदर एचआइवी-1 का टेस्ट रिजल्ट भी बताने में सक्षम है।