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दिल्ली पुलिस में कानून का पालन कराने वाले एसीपी के घर ही टूट रहे थे नियम, मासूम के साथ कदम-कदम पर हुई नियमों की अनदेखी

दिल्ली पुलिस की एसीपी प्रीत विहार शिप्रा गिरि के वसंत कुंज स्थित घर में काम करने वाले बच्चे को चाइल्ड लाइन द्वारा रेस्क्यू करने के मामले में सीडब्ल्यूसी कमेटी ने भी नियमों का पूरी तरह उल्लंघन किया है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 01:02 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 01:02 PM (IST)
दिल्ली पुलिस में कानून का पालन कराने वाले एसीपी के घर ही टूट रहे थे नियम, मासूम के साथ कदम-कदम पर हुई नियमों की अनदेखी
एसीपी प्रीत विहार के घर काम करने वाले मासूम को थाने व एसडीएमस आफिस में भी कराया गया इंतजार

नई दिल्ली [गौरव बाजपेई]। दिल्ली पुलिस की एसीपी प्रीत विहार शिप्रा गिरि के वसंत कुंज स्थित घर में काम करने वाले बच्चे को चाइल्ड लाइन द्वारा रेस्क्यू करने के मामले में सीडब्ल्यूसी कमेटी ने भी नियमों का पूरी तरह उल्लंघन किया है। कमेटी में शामिल एक सदस्य के मुताबिक, रेस्क्यू किए गए बच्चे को सार्वजनिक अवकाश के दिन कमेटी चेयरमैन ने कमेटी मेंबर की गैरमौजूदगी में ही परिवार के हवाले कर दिया। जबकि मामले में अब तक सामाजिक जांच रिपोर्ट (एसआइआर) रिपोर्ट भी नहीं मिली थी। वहीं, दिल्ली पुलिस ने सात दिन बाद भी एनसीपीसीआर के नोटिस का जवाब नहीं दिया है। आयोग के अधिकारी ने बताया कि मंगलवार को पुलिस को रिमाइंडर नोटिस भेजा जाएगा।

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कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि बच्चे को रेस्क्यू कराने वाली रात को 11:15 पर मेडिकल कराया गया था। इसके बाद उसे पूरी रात थाने में रखने के बाद सुबह शेल्टर होम में लाया गया। बच्चे को कस्तूरबा निकेतन ब्वाज शेल्टर होम में रखा गया। शुक्रवार को कमेटी की चेयरमैन वैदही सुब्रह्मण्यम अवकाश पर थीं। जबकि शाम पांच बजे तक कमेटी के सभी लोग कार्यालय में मौजूद थे।

शाम पांच बजे तक बच्चे को उसके पिता को सौंपने की कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन शाम 6:30 बजे चेयरमैन ने एक लाइन के मेल से बच्चे को रिलीज करने का आदेश दे दिया। जबकि जेजे एक्ट के अनुसार, कमेटी के कम से कम तीन सदस्य या दो सदस्य और चेयरमैन का रिलीज आदेश पर हस्ताक्षर अनिवार्य है। उन्होंने जोड़ा कि बच्चे के परिवार को वेरीफाई करने के लिए इस्तेमाल होने वाली एसआइआर को भी अनदेखा किया गया।

एसडीएम कार्यालय में भी बच्चे को कराया गया पांच घंटे इंतजार

बाल अधिकारों की देखरेख में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि बच्चे को मजिस्ट्रेट के सामने बयान देने के लिए शेल्टर होम से सुबह 11 से 11:30 बजे के बीच भेजा गया था जो कि शेल्टर होम के रजिस्टर में दर्ज है। जबकि बच्चे के बयान शाम को पांच बजे के बाद दर्ज कराए गए। बच्चे को पांच घंटे तक एसडीएम कार्यालय में ही बिठाए रखा गया।

नियमों की लगातार हुई अनदेखी

जेजे एक्ट के अनुसार बच्चे को रात में पुलिस थाने में नहीं रखा जा सकता इसके बावजूद उसे रेस्क्यू करने वाली रात में थाने में ही रखा गया। बच्चे के भविष्य की सुरक्षा के लिए बच्चे के गृह जनपद के पुलिस अधिकारी और सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट जिसमें बच्चे के अभिभावक का वेरीफिकेशन किया जाता है, उसे पूरी तरह से अनदेखा किया गया।


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