Omicron Variant Update: टीके की दोनों डोज लगवा चुके हैं तो ओमिक्रोन से डरें नहीं
दिल्ली में ओमिक्रोन संक्रमण का सिर्फ एक मरीज मिलने से यह नहीं कहा जा सकता कि इससे संक्रमण बढ़ सकता है। संक्रमण फैलने से रोकने के लिए कांटेक्ट ट्रेसिंग और अधिक से अधिक जांच की जरूरत है जो दिल्ली में पहले से ही चल रही है।
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन का पहला मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा संक्रमण को रोकने और विदेश से आने वाले मरीजों को लेकर चौकसी बढ़ा दी गई है। संदिग्ध मरीजों को फिलहाल लोकनायक अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है। अब अगर संक्रमण बढ़ता है तो उससे निपटने के लिए अस्पताल कितने तैयार हैं? दिल्ली में कितना घातक हो सकता है नया वैरिएंट और इससे बचाव के लिए क्या एहतियात बरतनी चाहिए। इन सभी बातों को लेकर लोकनायक अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डा. सुरेश कुमार से राहुल चौहान ने बातचीत की है। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश:-
लोकनायक अस्पताल में कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट का मामला सामने आया है, इसे आप कैसे देखते हैं?
अगर मरीज में कोरोना के पहले के वैरिएंट की तरह ही लक्षण हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है। लेकिन, सावधानी बरतना जरूरी है। त्योहारी सीजन के बाद शादियों का सीजन चल रहा है, बाजारों में लोगों की खूब भीड़ उमड़ रही है। बड़ी संख्या में लोग बिना मास्क लगाए घूम रहे हैं। साथ ही शारीरिक दूरी का भी पालन नहीं कर रहे हैं। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ा है। तंजानिया से दिल्ली आए जिस यात्री में ओमिक्रोन वैरिएंट मिला है उसको टीके की दोनों डोज लग चुकी है, इसलिए उसे संक्रमण के हल्के लक्षण हैं। फिलहाल उसकी हालत स्थिर है।
तंजानिया से आए इस मरीज के संपर्क में अस्पताल में और कितने स्वास्थ्यकर्मी व मरीज आए हैं, क्या उनसे भी संक्रमण फैलने का खतरा है?
विदेश से आने वाले सभी संक्रमित मरीजों को अस्पताल में लाने के लिए जितने भी स्वास्थ्यकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है, वे सभी बचाव के लिए पूरे प्रोटोकाल का पालन कर रहे हैं। इसके अंतर्गत सभी स्टाफ पीपीई किट, मास्क और अन्य सभी आवश्यक उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए ही संक्रमितों के संपर्क में आ रहे हैं। इसलिए ओमिक्रोन से संक्रमित मरीज के संपर्क में आने वाले किसी भी स्वास्थ्यकर्मी को कोई खतरा नहीं है।
खतरे वाले देशों से जो मरीज यहां स्पेशल वार्ड में लाए जा रहे हैं, उन्हें किस तरह से सबसे अलग आइसोलेट करके रखा जा रहा है? इस दौरान क्या सावधानियां बरती जा रही हैं?
खतरे वाले देशों से आने वाले सभी संक्रमितों को आइसोलेट करने के लिए अलग से विशेष वार्ड बनाया गया है। सभी संक्रमितों को वार्ड के अलग-अलग कमरों में रखा जा रहा है। साथ ही इस वार्ड में ड्यूटी के लिए भी विशेष टीमें गठित की गई हैं। इन टीमों में कार्यरत स्वास्थकर्मी सिर्फ विदेश से आने वाले यात्रियों की ही देख रेख कर हे हैं।
क्या ओमिक्रोन का मरीज आने का मतलब ये है कि इससे राजधानी दिल्ली में एक बार फिर से संक्रमण बढ़ सकता है?
राजधानी दिल्ली में ओमिक्रोन संक्रमण का सिर्फ एक मरीज मिलने से यह नहीं कहा जा सकता कि इससे संक्रमण बढ़ सकता है। संक्रमण फैलने से रोकने के लिए कांटेक्ट ट्रेसिंग और अधिक से अधिक जांच की जरूरत है, जो दिल्ली में पहले से ही चल रही है।
दिल्ली सरकार का सबसे प्रमुख अस्पताल होने के कारण लोकनायक अस्पताल इस चुनौती से निपटने के लिए कितना तैयार है?
कोरोना संक्रमण की किसी भी तरह की चुनौती से निपटने के लिए लोकनायक अस्पताल पूरी तरह तैयार है। हमारे पास 500 आइसीयू बेड पूरी तरह तैयार हैं। फिलहाल, अस्पताल के कुल 2010 बेड में से 450 बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित हैं। साथ ही सभी बेड पर सीधे आक्सीजन की पाइपलाइन से जोड़ दिए गए हैं। इससे हमारी आक्सीजन सिलेंडर पर निर्भरता पूरी तरह खत्म हो गई है। पहले अस्पताल की आक्सीजन उत्पादन क्षमता पांच टन थी जो अब बढ़कर 50 टन से ज्यादा हो गई है।
दिल्ली में अधिकतर लोगों का टीकाकरण हो चुका है, ऐसे में ओमिक्रोन कितना संक्रामक या घातक साबित हो सकता है?
दिल्ली में ओमिक्रोन के अधिक घातक होने की संभावना नहीं है, क्योंकि दिल्ली की आधी से ज्यादा वयस्क आबादी को कोरोना टीके की दोनों डोज लग चुकी हैं। टीके की दोनों डोज लगवा चुके लोगों के लिए ओमिक्रोन खतरनाक नहीं है। हल्का संक्रमण जरूर हो सकता है, लेकिन इससे मरीज के गंभीर स्थिति में पहुंचने की संभावना न के बराबर है। इसलिए टीके की एक डोज लगवाने वाले लोगों को समय से दूसरी डोज लगवा लेनी चाहिए। दूसरी डोज लेने में लोग लापरवाही कर रहे हैं। इससे बचना चाहिए, जिन लोगों ने टीका नहीं लगवाया है, उन्हें भी हर हाल में टीका लगवा लेना चाहिए।