Delhi Health ALERT ! इन 4 तरह की समस्याओं से पीड़ित हैं तो हो जाएं सावधान, न निकलें घर से
Delhi Health ALERT ! अमूमन देखा गया है कि प्रदूषण बढ़ने पर अस्पतालों की इमरजेंसी में मरीजों की संख्या करीब एक तिहाई बढ़ जाती है। लिहाजा डाक्टर कहते हैं कि मौजूदा समय में बुजुर्ग फेफड़े और दिल की बीमारियों से पीड़ित पुराने मरीज घर से बाहर नहीं निकलें
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने से दिल और फेफड़े की बीमारियों के बढ़ने का खतरा बढ़ गया है। दिल्ली में हवा की मौजूदा स्थिति को देखते हुए डाक्टर कहते हैं कि हवा बेहद जहरीली हो चुकी है। इससे हृदयाघात और अस्थमा के मरीज बढ़ेंगे। अमूमन देखा गया है कि प्रदूषण बढ़ने पर अस्पतालों की इमरजेंसी में मरीजों की संख्या करीब एक तिहाई बढ़ जाती है। लिहाजा, डाक्टर कहते हैं कि मौजूदा समय में बुजुर्ग, फेफड़े और दिल की बीमारियों से पीड़ित पुराने मरीज घर से बाहर नहीं निकलें, क्योंकि दिल्ली की हवा में अभी सांस लेना धूमपान करने के बराबर है।
फोर्टिस एस्काट्र्स हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डा. अशोक सेठ ने कहा कि मौजूदा हवा स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक है। इससे ब्रोंकाइटिस और निमोनिया, फेफड़े में अन्य संक्रमण, अस्थमा और हृदयाघात के मामले बढ़ सकते हैं। खास तौर पर बुजुर्ग और फेफड़े तथा दिल के पुराने मरीजों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है। इसलिए इन बीमारियों से पीड़ित मरीजों को अभी घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
एन-95 मास्क जरूरी
डा. अशोक सेठ ने कहा कि सर्जिकल या कपड़े के सामान्य मास्क प्रदूषण से बचाव में सक्षम नहीं है, क्योंकि पीएम-2.5 के कण बहुत सूक्ष्म होते हैं। एन-95 मास्क से ही इससे बचाव संभव हो पाएगा। उन्होंने कहा कि घर में एयर प्यूरीफायर चलाने के बावजूद कमरे के अंदर की हवा साफ नहीं है। फिर भी बचाव के लिए लोग एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा अभी सुबह-शाम को सैर करने बिल्कुल न जाएं। एम्स के कार्डियोलाजी विभाग के प्रोफेसर डा. अंबुज राय ने कहा कि प्रदूषण होने पर अस्पतालों में मरीजों के दाखिले बढ़ जाते हैं। मौजूदा समय बाहर व्यायाम के अनुकूल नहीं है।
मधुमेह, हाईपरटेंशन के मरीजों को हो सकती है ज्यादा परेशानी: वसंत कुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल के कार्डियोलाजी विभाग के निदेशक डा. तपन घोष ने कहा कि वातावरण में पीएम-2.5 की मात्र अधिक बढ़ने पर यह सांस के जरिये शरीर में प्रवेश कर जाता है। दीपावली की रात एयर इंडेक्स बहुत खराब था, दिन में भी खास सुधार नहीं हुआ। ऐसी हवा में सांस लेना धूमपान करने जैसा है। इस वजह से हृदयाघात की आशंका बढ़ जाती है। मधुमेह, हाईपरटेंशन, तनाव से पीड़ित लोगों और धूमपान करने वालों की परेशानी बढ़ सकती है।
सिर्फ स्माग टावर नाकाफी
लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक डा. अरविंद कुमार ने कहा कि इस समय हवा की गुणवत्ता वह इंसानों के सांस लेने के लिए उपयुक्त नहीं है। यह हवा फेफड़े को काला करने वाली है। इंसान प्रतिदिन 25 हजार बार सांस लेता है। यदि एयर इंडेक्स 450-500 है तो 25 हजार बार सांस के साथ प्रदूषक तत्व के रूप में जहर शरीर में घुस रहा है। ऐसे में सिर्फ स्माग टावर लगाने से बात नहीं बनेगी। प्रदूषण रोकने के असली कारणों को ढूंढ़ कर उस पर रोक लगाने होंगे और किसानों को ऐसे विकल्प उपलब्ध कराने होंगे जिससे पराली न जलाना पड़े। प्रदूषण के लिए दिल्ली के लोग भी कुछ हद तक जिम्मेदार हैं।