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अगर आप दफ्तर में तनाव महसूस कर रहे हैं तो अपने साथियों से खुलकर अपनी समस्याओं को शेयर करें

काम के दौरान कई बार आपको गुस्सा या मायूसी का सामना करना पड़ सकता है। वर्कप्लेस पर ऐसा होना सामान्य है क्योंकि हर चीज आपके नियंत्रण में नहीं होती है। आपको यह पता करना होगा कि आप क्या कर सकते हैं और क्या आपके क्षेत्र से बाहर है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 11:46 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 11:46 AM (IST)
अगर आप दफ्तर में तनाव महसूस कर रहे हैं तो अपने साथियों से खुलकर अपनी समस्याओं को शेयर करें
मायूस होने के बजाय सहयोगियों की मदद से काम को बेहतर बनाने की कोशिश करें।

नई दिल्ली, जेएनएन। वह समय याद करें, जब आप लॉकडाउन के कारण घर पर रहने को बाध्य थे। इसके बाद धीरे-धीरे अनलॉक की तरफ बढ़े और दफ्तर जाना शुरू हो गया। लोगों के काम पर लौटने के बाद एक अंतर आया था, वह है मानसिक थकान। घरों में लंबे समय तक बंद रहने के बाद यह स्वाभाविक था। दूसरी तरफ एक आशा भी जागी कि अब हम वापस पुरानी जिंदगी में लौट पाएंगे। पर वैसा नहीं हो रहा है।

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ज्यादातर लोगों के साथ यही बात है। जिंदगी पटरी पर लौटने लगी, लेकिन वैसी नहीं, जैसी पहले थी। उन्हें दफ्तर में अपने साथियों के साथ भी एक एंग्जायटी रहती है। संक्रमण का डर ऐसा है कि लोग एक ही जगह अपनी सीट पर बैठे रहते हैं। ऐसे में कामकाजी वर्ग को यह समझना है कि परेशान दिमाग के साथ न खुद को संभाला जा सकता है और न ही स्वास्थ्य को। आइए कुछ ऐसी बातें जान लें, ताकि अपनी एंग्जायटी कम करने में आपको कुछ मदद मिल सके :

  • अगर आप तनाव महसूस कर रहे हैं तो दफ्तर में साथियों से खुलकर अपनी दुविधाओं, शंकाओं आदि को शेयर करें। ध्यान रहे, हर किसी का एक ही दुख है, यह तो एक कॉमन समस्या है।
  • इस समय बहुत सारे लोगों की नौकरियां गई हैं या उन्हें कम में समझौता करना पड़ रहा है। यदि आपके दोस्त, सहयोगी ऐसे लोगों में से हैं तो अपने काम के दौरान दिमाग को इस मामले में व्यस्त करना सही नहीं है। इससे मानसिक परेशानी बढ़ेगी।
  • महामारी के कारण आपके काम में बदलाव आया होगा। समय में बदलाव आदि के कारण यदि आप काम को सही तरीके से पूरा नहीं कर पा रहे हों, तो इस संबंध में कोई ग्लानि आपकी एंग्जायटी बढ़ा सकता है।इसके साथ ही मायूस होने के बजाय सहयोगियों की मदद से काम को बेहतर बनाने की कोशिश करें।

    डॉ. एल. सी. सुंदा (वरिष्ठ मनोचिकित्सक, बाड़ा हिंदूराव अस्पताल, नई दिल्ली)

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