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Tokyo Paralympics 2020: गोल्ड न जीतकर भी करोड़ों लोगों के दिल में जगह बना गए IAS सुहास

उत्तर प्रदेश का शो विंडो माने जाने वाले गौतमबुद्ध नगर में जिलाधिकारी के पद पर सौ फीसद खरा उतरने के साथ ही खेल में भी जीत दर्ज की। जीत के बाद गौतमबुद्ध नगर के लोग अधिक उत्साहित हैं क्योंकि वह सुहास एलवाई से भलीभांति परिचित हैं।

By Jp YadavEdited By: Published: Mon, 06 Sep 2021 08:51 AM (IST)Updated: Mon, 06 Sep 2021 03:45 PM (IST)
Tokyo Paralympics 2020: गोल्ड न जीतकर भी करोड़ों लोगों के दिल में जगह बना गए IAS सुहास
Tokyo Paralympics 2020: गोल्ड न जीतकर भी करोड़ों लोगों के दिल में जगह बना गए IAS सुहास

नई दिल्ली/नोएडा [मनीष तिवारी]। कड़े मुकाबले में सुहास एलवाइ स्वर्ण पदक जीतने से भले ही चूक गए हों, लेकिन उन्होंने रजत पदक से ही देश के करोड़ों लोगों का दिल जीत लिया, जिसका प्रमुख कारण है कि उत्तर प्रदेश का शो विंडो माने जाने वाले गौतमबुद्ध नगर में जिलाधिकारी के पद पर सौ फीसद खरा उतरने के साथ ही खेल में भी जीत दर्ज की। जीत के बाद गौतमबुद्ध नगर के लोग अधिक उत्साहित हैं ,क्योंकि वह सुहास एलवाई से भलीभांति परिचित हैं। कोरोना संक्रमण काल की विकट परिस्थिति में अपने कौशल का परिचय देते हुए संक्रमण से निपटने की व्यापक व्यवस्था कर वह पूर्व में भी लोगों का दिल व प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विश्वास जीत चुके हैं।

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गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण काल की पहली लहर में स्थिति काफी विकराल हो गई थी। दौरे पर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने व्यवस्थाओं में खामियां मिलने पर तत्कालीन जिलाधिकारी बीएन सिंह को पद से हटा दिया था। संकट की स्थिति में मुख्यमंत्री ने सुहास एलवाई पर भरोसा जताया था। भरोसे पर खरा उतरते हुए सुहास एलवाई ने रात-दिन एक कर व्यवस्था में सुधार किया था। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पहले के मुकाबले अधिक खतरनाक थी। लहर की शुरुआत में कुछ दिक्कतें हुई, लेकिन बाद में जिलाधिकारी ने व्यवस्था में व्यापक सुधार किया। परिणाम रहा कि लोगों को घर बैठे जांच, दवा व अन्य सुविधाएं मिलीं।

पैरालिंपिक में चयनित होने पर जिलाधिकारी के दायित्वों का निर्वहन करने के साथ ही खेल की तैयारियों के लिए समय निकालना मुश्किल भरा था। सुहास एलवाई ने इसमें अच्छा सामंजस्य बैठाया। कार्यालय में बैठकर लोगों की समस्याएं सुनीं, न्यायालय में मुकदमों का निपटारा किया, केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं का सफल क्रियान्वयन करने के साथ ही शाम को खेल की तैयारी के लिए प्रतिदिन तीन से चार घंटे का समय निकाल कर कोर्ट में पसीना बहाया। अगले दिन निर्धारित समय पर चेहरे पर ताजगी व मंद-मंद मुस्कान लिए कार्यालय में हाजिर होते थे। उनके द्वारा की जाने वाली नियमित मेहनत को देखकर लोगों को पहले ही विश्वास हो गया था कि पैरालिंपिक में पदक पक्का है।


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