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kisan Andolan: कृषि कानून विरोधियों को नरेंद्र मोदी सरकार ने कैसे दिया तगड़ा जवाब, पढ़िये- पूरी स्टोरी

kisan Andolan सरसों और मसूर के एमएसपी में की गई 400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी के पीछे दूरगामी संदेश है। कैबिनेट के फैसले का सामाजिक-आर्थिक असर ही नहीं राजनीतिक असर भी होगा। सही मायने में सरसों के सहारे कृषि कानून विरोधियों को सरकार का जवाब है।

By Jp YadavEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 06:10 AM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 10:25 AM (IST)
kisan Andolan: कृषि कानून विरोधियों को नरेंद्र मोदी सरकार ने कैसे दिया तगड़ा जवाब, पढ़िये- पूरी स्टोरी
kisan Andolan: कृषि कानून विरोधियों को नरेंद्र मोदी सरकार ने कैसे दिया तगड़ा जवाब, पढ़िये- पूरी स्टोरी

नई दिल्ली/रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने का फैसला प्रत्यक्ष में प्रतिवर्ष की तरह सामान्य बात है, मगर सरसों और मसूर के एमएसपी में की गई 400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी के पीछे दूरगामी संदेश है। कैबिनेट के फैसले का सामाजिक-आर्थिक असर ही नहीं, राजनीतिक असर भी होगा। सही मायने में सरसों के सहारे कृषि कानून विरोधियों को सरकार का जवाब है।

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बता दें कि हरियाणा की गिनती राजस्थान व उप्र सहित प्रमुख सरसों उत्पादक राज्यों में होती है। कैबिनेट ने यह बताने का प्रयास किया है कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील है। भाजपाई इसे मोदी सरकार का तोहफा बता रहे हैं। इससे एक ओर कम पानी में पकने वाली सरसों की फसल के प्रति रुझान बढ़ेगा, वहीं दूसरी ओर गेहूं की तुलना में उत्पादन लागत कम होने से आमदनी भी बढ़ेगी। दक्षिण व पश्चिम हरियाणा के किसानों को सर्वाधिक लाभ मिलेगा। बुधवार को विपणन वर्ष 2022-23 के लिए की गई बढ़ोतरी के बाद सरसों का एमएसपी 5050 रुपये व मसूर का 5500 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।

इस वर्ष नहीं पड़ी एमएसपी की जरूरत

वर्ष 2020-21 में पूरी सरसों खुले बाजार में बिकी, क्योंकि एमएसपी 4650 रुपये था, जबकि खुले बाजार में सरसों 5 से 7 हजार तक बिकी। इसकी वजह केंद्र की नीति रही। केंद्र सरकार ने इसी वर्ष दो फरवरी को पाम आयल पर आयात शुल्क बढ़ा दिया था। आयात शुल्क व कृषि विकास सेस मिलाकर तीस फीसद से अधिक ड़्यूटी लगने से तेल कारोबारी अन्य देशों से अधिक मात्रा में तेल आयात नहीं कर पाए।

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हरियाणा में सरसों का गणित

प्रदेश में लगभग 5 से 6 लाख हेक्टेयर में सरसों बोई जाती है। प्रति हेक्टेयर पैदावार लगभग 20 क्विंटल (प्रति एकड़ 8 क्विंटल) है। वर्ष 2018-19 में 2.68, 2019-20 में 6.15 व बीते वर्ष 2020-21 में सबसे अधिक 7.49 लाख मीट्रिक टन सरसों एमएसपी पर खरीदी गई। इस वर्ष (2021-22) भाव अधिक होने से सरकार बीच में नहीं आई। एमएसपी पर खरीद के इन्हीं आंकड़ों से भाजपा सरकार, कांग्रेस को आइना दिखाती रही है। हालांकि स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव यह कहते रहे हैं कि हरियाणा में उनकी सक्रियता से ही सरसों की खरीद इस आंकड़े तक पहुंची थी।

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डा. बनवारीलाल (कैबिनेट मंत्री हरियाणा) का कहना है कि मोदी सरकार का यह किसान हितैषी फैसला है। इससे सरसों उत्पादकों को लाभ होगा। हमारे किसान भाइयों का तिलहन व दलहन की ओर रुझान बढ़ेगा। किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य निकट आएगा। मैं इसके लिए पीएम को बधाई देता हूं।

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