जानिये- महात्मा गांधी ने दिल्ली में कितने दिन बिताए थे
जब गांधी जी पहली बार 12 अप्रैल 1915 में दिल्ली आए थे तो वे सेट स्टीफन कॉलेज के प्रधानाचार्य व अपने खास मित्र सुशील कुमार रुद्र के यहां रुके थे।
नई दिल्ली (किशन कुमार)। गांधी जी का दिल्ली से काफी लगाव था। यही कारण था कि उन्होंने जीवन के 720 दिन देश के दिल दिल्ली में रहकर गुजारे थे। दिल्ली सचिवालय में चल रही प्रदर्शनी के माध्यम से गांधी व उनके दिल्ली से जुड़े लगाव के बारे में कुछ इसी तरह की रोचक जानकारी लोग हासिल कर सकेंगे। अभिलेखागार विभाग की ओर से आयोजित इस प्रदर्शनी का बुधवार को उद्घाटन किया गया। यह 19 अक्टूबर तक चलेगी।
अभिलेखागार के अधिकारी संजय गर्ग ने बताया कि इसमें गांधी के जीवन से जुड़ी दिल्ली की स्मृतियों के दस्तावेजों की प्रदर्शनी लगाई गई है। उन्होंने बताया कि गांधी जी ने 1915 से 1948 के बीच 80 बार दिल्ली का रुख किया था।
उन्होंने बताया कि जब गांधी जी पहली बार 12 अप्रैल 1915 में दिल्ली आए थे तो वे सेट स्टीफन कॉलेज के प्रधानाचार्य व अपने खास मित्र सुशील कुमार रुद्र के यहां रुके थे। उन्होंने कहा कि जब बापू अपने मित्र सुशील के साथ उनके कॉलेज गए थे तो वहां मौजूद अन्य शिक्षक गांधी जी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए आगे आए थे।
यह भी कहा जाता है कि असहयोग आंदोलन व वायसरॉय को ओपन लेटर गांधी जी ने कश्मीरी गेट स्थित रुद्र हाउस से ही लिखा था। इसी के साथ रुद्र हाउस में ही गांधी जी कांग्रेस नेता हाकिम अजमल खां साहिब से मिलने के लिए राजी हुए थे। उन्होंने बताया कि सन् 1918 में गांधी जी ने दोबारा दिल्ली का रुख किया था। इस बार वे सेट स्टीफन कॉलेज के छात्र बृज कृष्ण चांडीवाला के यहां रुके थे। उस समय गांधी जी यहां 21 दिन के लिए रुके थे।
गर्ग ने बताया कि उस समय गांधी जी ने यहां रुक कर लोगों में रोलेट एक्ट के खिलाफ भावना को जागृत करने का काम किया था। गांधी जी की ओर से किए जा रहे विरोध को देखकर 1919 में ब्रिटिश सरकार ने उनको नजरबंदी का आदेश सौंपकर पलवल के पास उनके दिल्ली में प्रवेश पर रोक लगा दी थी।
गर्ग ने बताया कि 23 नवंबर 1919 को गांधी जी ने दिल्ली आकर ऑल इंडिया खिलाफत कान्फ्रेंस में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। इसके बाद वे 1946 से 1947 तक मंदिर मार्ग स्थित हरिजन कॉलोनी स्थित वाल्मीकि मंदिर में रुके थे। यहां उन्होंने अपने जीवन के 214 दिन गुजारे थे। इसके बाद 30 जनवरी 1948 को गांधी जी की हत्या कर दी गई थी।